बदलेगा पैसा रखने-खर्च करने का नजरिया

वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नोट बंदी देश में काले धन की समानांतर अर्थव्यवस्था चलाने वालों पर जबर्दस्त चोट है। अब देश में चलने वाले नोट को बैंकिंग प्रणाली में लाना होगा। इस एक कदम से लोगों का पैसा खर्च करने व उसे रखने का तरीका बदल जाएगा। जेटली की इस बात से सरकार की सोच का बड़ा मकसद समझा जा सकता है। सरकार देश में दौड़ रही पूंजी को बैंकिंग छतरी के नीचे लाना चाहती है और इससे उन लोगों की मुसीबत जरूर बढऩे वाली है जिन्होंने भारी मात्रा में नकदी दबा कर रखी है। इससे देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा और लोग घरों व अन्य जगहों पर कैश छिपा कर रखने से परहेज करेंगे। कैशलेस सिस्टम पूरी तरह लागू करने से पहले अभी लंबी कवायद करनी बाकी है। वैसे बैंकों में खाते की समस्या का समाधान काफी हद तक किया जा चुका है। प्रधानमंत्री की जन-धन योजना के तहत पूरे देश में करीब 24.45 करोड़ खाते खोले जा चुके है। बीस करोड़ से अधिक रूपे कार्ड बांटे जा चुके हैं। मात्र १८ फीसदी तक कैश लेस भुगतान :भारत में कैशलेस भुगतान ग्राहकों के कुल खर्च का 14 से 18 फीसदी ही है। ऑनलाइन शापिंग बढऩे के बावजूद लोग कैश आन डिलीवरी को ज्यादा आसान मानते हैं और इसे पसंद करते हैं। बीते वर्ष देश में कुल ऑन लाइन खरीदारी का 78 फीसदी भुगतान नकद में किया गया। 
बढ़ चले कैशलेस की ओर कदम:भारत ने अब जाकर कैशलेस प्रणाली की ओर धीरे-धीरे कदम बढ़ाना शुरू किया है मगर दुनिया के कई देश बहुत आगे बढ़ चुके हैं। स्वीडन में तो सिर्फ दो फीसदी लोग ही नोटों का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहां की बसों, ट्रेनों, मेट्रो सहित किसी अन्य सार्वजनिक परिवहन में सफर के दौरान लोगों को कैश रखने की जरूरत ही नहीं पड़ती। मॉल या शापिंग सेंटर की बात तो दूर सडक़ किनारे दुकान लगाने वाले भी कार्ड से ही पेमेंट लेते हैं। वहां ज्यादातर इलाकों से एटीएम मशनें तक हटा ली गयी हैं और कई बैंकों ने चेकों के बदले नकद देना तक बंद कर दिया है। खुदरा व्यापारियों को नकद भुगतान ठुकराने की कानूनी छूट दी गयी है। स्वीडन के अगले पांच साल के दौरान पूरी तरह कैशलेस सोसायटी में तब्दील होने की संभावना है। वहां दुकानों से 20 फीसदी से कम खरीदारी में नकद का इस्तेमाल किया जा रहा है। सिंगापुर में तो चेक भुनाने और एटीएम से पैसे निकालने पर ग्राहकों से पैसा वसूलने तक पर विचार किया जा रहा है। बेल्जियम, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों ने नकद खर्च की सीमा तय कर रखी है। फ्रांस व स्पेन में तय सीमा से अधिक भुगतान करने पर अपना बैंकिंग ब्योरा व आय का स्रोत बताना पड़ता है। इन जानकारियों में कोई भी गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति पर भारी जुर्माना लगाने का प्राविधान भी किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बेल्जियम में 93,फ्रांस में 92, कनाडा में 90, ब्रिटेन में 89, आस्ट्रेलिया में 86 व नीदरलैंड में 85 फीसदी भुगतान कैशलेस है। इसका मतलब साफ है कि दुनिया कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है।


अब इन पर होगी नजर
जन धन खाते : देश में करीब बीस करोड़ जन धन खाते खुले हैं। जीरो बैलेंस वाले इन खातों में पचास हजार रुपए तक जमा किए जा सकते हैं। इन खातों में आठ नवंबर के बाद अचानक पैसा जमा होने की खबरों पर वित्त मंत्रालय और आरबीआई सतर्क हप गया है और ऐसे खातों की बाद में जांच की जाएगी। 
दिहाड़ी पर एक्सचेंज: इस खेल को रोकने के लिए अब बैंक काउंटर पर ही ग्राहक की उंगली पर मतदान जैसी काली स्याही लगा दी जाएगी। इससे एक व्यक्ति बार बार नोट नहीं बदलवा पाएगा। 
बैक डेट में खरीदारी: आयकर विभाग शोरूम, आदि में बिक्री और स्टॉक की जांच कर रही है जिससे बैक डेट का लेन देन पकड़ में आ जाएगा। इसी डर से सराफा दुकानें बंद चल रही हैं। 
बड़े नोट की कीमत १४ लाख करोड़ रुपए
३१ मार्च 2016 के आंकड़ों के मुताबिक बाजार में जितने नोट चलन में हैं उनका 86.4 फीसदी हिस्सा पांच सौ व एक हजार के नोट के रूप में है। यानी यह करीब 14 लाख करोड़ रुपए के बराबर है। पिछले पांच साल के दौरान इन नोटों के बढऩे की दर क्रमश: 76 व 109 फीसदी रही है। 

काली कमाई के दो रंग
काली कमाई वाले बेईमानों में भी दो वर्ग हैं। इनकी काली कमाई भी दो तरह की है। एक बेईमान वह हैं जो सरकार को टैक्स नहीं देते, टैक्स की चोरी करते हैं। मसलन कोई चाट का ठेलेवाला साल में दस लाख की कमाई कर लेता है। यह कोई डॉक्टर दिन में सौ मरीज से फीस लेता है और आयकर देते वक्त अपनी कमाई बहुत घटा कर दिखाता है तो वह टैक्स चोरी वाला बेईमान है और इसने जिस रकम को छिपा कर रखा है और टैक्स नहीं दिया है वह काली कमाई है। दूसरे बेईमान वह तत्व हैं जो घूस लेते हैं या अवैध काम करते हैं। इनमें घूस और कमीशन खोर नेता, सरकारी अफसर-कर्मचारी, वसूली करने वाली पुलिस, गुंडे, माफिया, अवैध खनन वाले वगैरह हैं जिनकी सूची काफी लंबी है। ऐसे तत्व महज टैक्स चोर से कहीं ज्यादा बड़े बेईमान और गुनहगार हैं क्योंकि इनकी कमाई सीधे-सीधे जनता की जेब से चुराई गई रकम से है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यही दोनों वर्ग परेशान हैं और गरीबों के, जनधन वाले खातों में पैसा जमा करवा कर, दिहाड़ी मजदूरों से लाइन लगवा कर पैसा बदलवाने, सोना-डॉलर खरीद कर इस चोरी के पैसे को बचाने के जुगाड़ में लगा है। 
जगह जगह से खबरें हैं कि मॉल में सन्नाटा है, ज्वेलर्स खाली बैठे हैं, महंगी गाडिय़ों के शोरूम में खरीदार नदारद हैं, महंगे टिकट वाले मॉल सिनेमाघर में दर्शक नहीं हैं। क्या इन जगहों पर सिर्फ वह लोग जाते थे जो आज बैंक के बाहर लाइन लगाए खड़े हैं? मॉल, ज्वेलर्स, ऑटो डीलर्स के यहां जाने वाले खरीदार अमूमन सभी ऐसे होते हैं जिनका कम से कम एक बैंक खाता तो जरूर होता है और सबके पास डेबिट-क्रेडिट कार्ड भी जरूर होता है। तो फिर शोरूम में सन्नाटा क्यों है? असली खरीदार तो कार्ड से भी मॉल में खरीदारी करेगा। ज्वेलरी खरीदेगा और कारें खरीदेगा। अब वह खरीदार कहां गया? इसका मतलब यह हुआ कि ज्यादातर लेन-देन कैश में होता आया है। बैंक की चेकबुक और कार्ड होने के बावजृद कैश में ही लाखों का माल खरीदने के पीछे कोई तर्क तो होगा ही। विश्लेषकों के अनुसार बाजार की वर्तमान स्थिति ही असली आर्थिक स्थिति है। 

काला धन बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे 
 काला धन बचाने के लिए लोग तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। काली कमाई वालों ने अपनी महरी, चपरासी, ड्राइवर, दूधिए और पेपर देने वाले तक के खाते में ढाई लाख रुपए तक जमा कराना शुरू कर दिया है। यह काम परिचितों और रिश्तेदारों के खातों में किया जा रहा है। लोगों को कुछ कमीशन देने का भी लालच दिया जा रहा है। आजमगढ़ जिले में ऐसे लोगों की लम्बी फेहरिस्त है जो तीस से चालीस फीसदी कमीशन लेकर कालेधन को सफेद बनाने के खेल में जुटे हुए हैं। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से भी अच्छा खासा कमीशन लेकर यह खेल चल रहा है। रसूखदार लोग तमाम लोगों के आईडी की फोटो कापी के साथ प्रति आईडी चार हजार की दर से बैंक के बैकडोर से पुराने नोट बदल रहे हैं। जिन खातों में हजार-पांच सौ रुपए आज तक नहीं डाले गए थे उनमें अचानक लाख, दो लाख रुपए जमा किए गए हैं। कानपुर और नोएडा में बड़े बिजनेसमैन अपना माल ठिकाने लगाने के लिए फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के खाते में रुपए जमा करा रहे हैं। इसके अलावा दिहाड़ी पर आदमी लगा कर नोट बदलवाए जा रहे हैं। गोंडा, बलरामपुर, लखनऊ वगैरह तमाम इलाकों में लाइन में लगकर नोट बदलने के लिए चार सौ रुपए तक दिए जा रहे हैं। फतेहपुर जिले के बैंकों में अप्रत्याशित ढंग से कैश जमा हो रहा है। केवल फतेहपुर जिला सहकारी बैंक में चार दिन के अंदर 27 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। जिन खातों में बीस हजार से अधिक का लेन-देन नहीं होता था उनमें अचानक लाखों की रकम जमा हो रही है। लोन चुकाने में भी पुराने नोटों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एआरटीओ, रजिस्ट्री व आबकारी जैसे विभागों में कमीशन लेकर नोट बदलने का खेल चल रहा है। इलाहाबाद और फिरोजाबाद जिले में कुछ लोग कमीशन लेकर कालेधन वालों का ढाई लाख रुपए तक अपने खातों में जमा कर रहे हैं। आगरा में चार दिनों में 170 करोड़ और कानपुर में 70 करोड़ की रकम जनधन खातों में जमा की गयी। 

सोशल मीडिया पर सिर्फ ‘नोट’
- देख लो सभी प्रमुख पंचांगों में लिखा हुआ है : ‘‘काॢतक कृष्ण पक्ष को रविवार होने से सन्ताप, अर्थनाश,क्लेश होगा।’’काॢतक शुक्ल पक्ष में पूॢणमा के दिन तीन पहर तक भरणी नक्षत्र होने से तीन महीने तक धन का अभाव रहेगा। बैंकों की वर्तमान स्थिति में गड़बड़ी होगी और भारत की आंतरिक आॢथक स्थिति मजबूत होगी, किसी बड़े नेता पर प्राणघातक हमला हो सकता है या आक्षेप लगेगा।’’ 

- अपने खाते में दूसरे का पैसा जमा करने वाले,कमीशन लेकर दूसरों के नोट बदलने वाले और बैंकों से छोटे नोट लेकर उसे बेचने वाले भविष्य में कभी भ्रष्टाचार, महंगाई,कालाधन, घूसखोरी व बेईमानी की बात न करें क्योंकि ऐसे लोग ही इसे बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे लोग खुद बेईमान व चोर हैं। ऐसे लोगों का पर्दाफाश करें और उनसे सावधान रहें। इन्हें हमेशा के लिए पहचान लें। जो देश का ना हुआ वह किसी और का क्या होगा। 

- अपने खाते में बेईमानों का खूब माल जमा करो। लेकिन जब वापस मांगें तब बेईमानी में उनके भी बाप निकलो। बोल देना-कैसा पैसा? इसी को कहते हैं जैसे को तैसा। 

- बदलवा दे मेरे नोट ए गालिब - या वो जगह बता जहां पर कतार न हो
उमरे दराज मांगकर लाए थे चार दिन - दो कमाने में लग गए,दो बदलवाने में। 

बेनामी पर चोट
बेनामी लेनदेन (प्रतिबंध) संशोधन एक्ट २०१६ पहली नवंबर से प्रभावी हो चुका है। बेनामी संपत्ति यानी ऐसी संपत्ति जो बिना नाम की होती है। लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता है जिसने इस संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी दूसरे शख्स के नाम पर होता है। यह संपत्ति पत्नी, बच्चों या किसी रिश्तेदार के नाम पर खरीदी गई होती है। जिस शख्स के नाम पर ऐसी संपत्ति खरीदी गई होती है, उसे बेनामदार कहा जाता है। नए कानून के तहत सजा की मियाद बढ़ाकर सात साल कर दी गई है। जो लोग जानबूझकर गलत सूचना देते हैं उन पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10 फीसदी तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है। नया कानून घरेलू ब्लैक मनी खासकर रियल एस्टेट सेक्टर में लगे काले धन की जांच के लिए लाया गया है। कानून के तहत  बेनामी जांच अधिकारी, अपीली प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव है।

- कोई संपत्ति यदि पति या पत्नी अथवा बच्चे के नाम है और संपत्ति में लगाया गया धन आय के ज्ञात स्रोत से है तो वह बेनामी नहीं मानी जाएगी।
- भाई, बहन या किसी अन्य रिश्तेदार के नाम संयुक्त संपत्ति जिसमें लगाया गया धन आय के ज्ञात स्रोत से है तो वह बेनामी नहीं मानी जाएगी।
- लेकिन यदि संपत्ति माता-पिता के नाम खरीदी गयी है तो वह बेनामी करार दी जा सकती है। 

भारत में लोगों के पास है २० हजार टन सोना
भारत में लोगों के पास ज्वेलरी, सिक्के और सोने के बिस्किट के रूप में करीब २० हजार टन सोना है। यह तो वल्र्ड गोल्ड काउंसिल का सन् २०१२ का एक अनुमान मात्र है और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा भी है कि देश में लोगों के पास कितना सोना है इसका कोई आंकड़ा भारत सरकार के पास नहीं है। भारत में २०१४ में सोने के आयात पर लगी रोक हटा ली थी और ८०:२० का नियम भी वापस ले लिया था। इस नियम के तहत सोने के व्यापारी जितना सोना आयात करते थे उसका २० फीसदी निर्यात करना जरूरी था। २०१४-१५ में सोने का आयात ९०० टन रहा जो पिछले साल की तुलना में ३६ फीसदी ज्यादा था। 
विश्व में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता : जिन देशों के केंद्रीय बैंकों में सबसे ज्यादा सोना है उनमें भारत दसवें नंबर पर है। भारतीय रिजर्व बैंक के पास ५५७.७ टन सोना रखा है। नीदरलैंड्स के पास ६१२.५ टन, जापान के पास ७६५.२ टन, अमेरिका के पास ८,१३३.५ टन, जर्मनी के पास ३,३८४.२ टन और इटली के पास २,४५१.८ टन सोना है। 
मंदिरों में है भरमार : एक अनुमान के मुताबिक भारत के मंदिरों में चार हजार टन से ज्यादा सोना रखा हुआ है। सबसे ज्यादा सोना संभवत: केरल के पद्मनाभस्वामी मंदिर में है। २०११ में अदालती लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत टीम ने यहां १३०० टन पांच तहखानों में दर्ज किया था। आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर या तिरुपति मंदिर में हर साल करीब सवा टन सोना चढ़ता है। माना जाता है कि इस मंदिर के पास ३०० टन सोना होगा। इसी तरह वैष्णो देवी मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, शिरडी साईं बाबा मंदिर अािद में टनों सोना है।

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