बाहुबली : अमर चित्रकथा बनी प्रेरणा


यह  पीएम मोदी के मेक इन इंडिया अभियान का चमकता उदाहरण  है.एक के बाद एक आ रही फिल्मों में हमें मेक इन इंडिया की झलक दिखती है. ये फिल्में न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में इसे पसंद किया जा रहा है. चाहे वो दंगल हो, सुल्तान हो या न्यू रिलीज फिल्म बाहुबली. फिल्म बाहुबली भव्यता के मामले में एक पैमाना बन गई है. इसमें हमारे ही लोगों की तैयार की गई हमारे देश की प्रतिभा दिखती है. ये ‘मेक इन इंडिया’ का चमकता उदाहरण है. मैं डायरेक्टर को उनके स्किल और शानदार उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं जिसपर हम सब को गर्व है। 1913 में 'राजा हरिश्चंद्र' के बाद से, भारतीय सिनेमा में एक महान बदलाव आया है.सिनेमा की भाषा यूनिवर्सल है. भारतीय सिनेमा ने हमारी सांस्कृति, विविधता, एकता, भाषा और हमारे लैंडस्केप को दुनिया के सामने दिखाने में काफी योगदान दिया है। फिल्म बाहुबली भारतीय सिनेमा को नई उंचाईयों तक ले गया है। इसमें शानदार विजुअल के प्रयोग हैं ,जो हॉलीवुड की फिल्म ‘बेन हर’ और ‘टेन कमांडेंट्स’ जैसा एक्सपीरियंस देती है. मैं फिल्म के कैनवास, डायरेक्टर राजामौली के साहस, चरित्र, प्रोडक्शन क्वालिटी से आश्चर्यचकित हूं और इस तरह के ग्लोबल क्वालिटी फिल्म बनाने की प्रशंसा करता हूं। 

वेंकैय्या नायडू 
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री 
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राज से पर्दा उठ चुका है। कटप्पा ने बाहुबली को मारा, इस बहुप्रतिक्षित सवाल का जवाब देश को मिल चुका है। दूसरे भाग बाहुबली: द कॉन्क्लूज़न को देखने के लिए लोगों की बेसब्री का तो ये हाल रहा कि कई सिनेमाघरों में टिकट का दाम 2000 तक पहुंच गया। शुरुआती कुछ दिनों के लिए सभी शो हाउसफुल हैं। कटप्पा ने राजमाता शिवागमी के कहने पर बाहुबली को मारा था। कटप्पा ने बाहुबली को मारने से मना किया तो राजमाता ने कहा कि वो खुद बाहुबली को मारेंगी। लेकिन कटप्पा ने बाहुबली को मारने का फैसला इसलिए लिया कि कहीं मां को सब गलत न समझने लगें। अमरेंद्र बाहुबली का बेटा महेंद्र बाहुबली वापस आता है और कटप्पा के साथ मिलकर भल्लालदेव को खत्म कर अपने पिता की साजिशन करवाई गई हत्या का बदला लेता है।

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बाहुबली : अमर चित्रकथा बनी प्रेरणा 

संजय तिवारी 



भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक बाहुबली के सेट, इसके पात्र, हथियार हर चीज के पीछे एक रोचक बात है। नयापन है। फिल्म के निर्माता राजामौली बताते हैं - मैं तब 7 वर्ष का रहा था जब भारत में प्राकशित अमर चित्र कथा पढ़ा करता था। इनमें किसी महानायक या सुपरहीरो के विषय नहीं होता था, लेकिन भारत से जुड़ी लोककथाओं, दंतकथाओं और ऐसे ही कई कहानियों का इसमें चित्रण किया जाता था। पर उनमें से अधिकतर कहानियाँ भारतीय इतिहास को रेखांकित करती थी। मैं महज उन राजमहलों, युद्धों, राजाओं-महाराजाओं की कहानियों को पढ़ता ही नहीं था बल्कि उन्हीं कहानियों को अपने तरीके से मेरे दोस्तों को सुनाया करता था।

किलिकिलि नाम की नयी भाषा मिली 
किसी भी भारतीय फिल्म के लिए ये पहला मौका है जब उसके लिए कोई नई भाषा रची गई है। एसएस राजामौली की ब्लॉकबस्टर 'बाहुबली’ में ऐसा किया गया है। तीन दिन में करीब 160 करोड़ की वैश्विक कमाई कर चुकी इस फिल्म में कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली भाषा किलिकिलि बनाई गई। इस भाषा में कथित तौर पर 750 शब्द और 40 व्याकरण के नियम हैं। इससे पहले ऐसा सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों में ही किया गया है। जेम्स कैमरॉन ने 'अवतार’ और 'द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ सीरीज में भी ऐसी भाषाएं रची जा चुकी हैं जिनकी बाकायदा डिक्शनरी हैं, जिनमें व्याकरण के नियम हैं।

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माहिष्मती साम्राज्य 
भारत के प्राचीन साम्राज्यों में से एक माहिष्मति, की रानी शिवागामी (रमैया कृष्णन), एक विशाल जलप्रपात के निकट की मांद से एक शिशु को गोद लिए बाहर आती है। वह बड़ी निडरता से अपने पीछा करते सिपाहियों को मार डालती है और शिशु की रक्षा खातिर स्वयं के प्राण बलिदान देती है। ऐन समय पर, स्थानीय ग्रामीण पानी में डूबी रानी की ऊपर उठी बांह में शिशु को देख लेते हैं और उस बच्चे को सुरक्षित बचा लेते हैं।

इस तरह रानी पर्वत की ऊँचाई से गिरते जलप्रपात में डूब कर विलीन होती है। सांगा (रोहिणी) एवं उसके पति उस शिशु का नाम शिवा रखते हैं और अपने बालक समान ही परवरिश करते हैं। गुजरते समय के साथ शिवा (प्रभास) एक बलवान युवक के रूप में बड़ा होता है जिसकी आकांक्षा पर्वत चढ़ने की रहती है और कई बार की वह नाकाम प्रयत्न करता है। एक रोज उसे जलप्रपात में बहते हुए किसी युवती का मुखौटा मिलता है। उस युवती की पहचान ढूंढने की चाह में, वह पुनः पर्वत चढ़ाई का प्रयास करता है और आखिरकार वह सफल भी होता है।

जलप्रपात के शिखर पर, शिवा उस मुखौटे की मालिक अवनतिका (तमन्ना) को खोज निकालता है, एक विद्रोही योद्धा जिसका दल गुरिल्ला पद्धति के जरिए माहिष्मति साम्राज्य के राजा भल्लाल देव/पल्लवाथेवान (राणा दग्गुबती) के विरुद्ध युद्ध लड़ रहा है। दल का लक्ष्य है कि वे पूर्व महारानी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) को छुड़ाए जिन्हें राजमहल में गत २५ वर्षों से ज़जीरों में जकड़ रखा है। और यह महत्वपूर्ण जिम्मेवारी अवनतिका को सौंपा गया है। अवनतिका को शिवा की यह बात सुन प्रेम होता है कि वह इस जलप्रपात की तमाम मुश्किलों पर चढ़ाई करता हुआ सिर्फ उसके लिए आया है। शिवा अब इस अभियान को अपने जिम्मे लेने वचन देता है और छिपते-छुपाते हुए माहिष्मति में प्रवेश कर देवसेना को कैद से मुक्त कराता है। शिवा उसे छुड़ा लाता है और साथ लेकर भाग निकलता है मगर जल्द ही राजा का शाही गुलाम कट्टप्पा (सत्यराज), जिन्हें बेहतरीन युद्धकौशल के लिए जाना जाता है, उसके पीछे पड़ता है। मगर घात लगाए भद्रा (अदिवि शेष), भल्लाल देव का पुत्र, अचानक ही शिवा के सर पर वार करता है, मगर कटप्पा अपने शस्त्र गिरा देता है जब उसे मालूम होता है कि शिवा असल में माहेन्द्र बाहुबली है, दिवंगत राजा अमरेंद्र बाहुबली का पुत्र।

फिर यहां भूतकाल में हुए राजा अमरेंद्र बाहुबली की विगत घटनाओं का उल्लेख होता है। अमरेंद्र की माता की मृत्यु उसके जन्म पश्चात होता है, जबकि पिता उससे काफी पूर्व ही गुजर चुके होते हैं। शिवागामी अपने अंगरक्षक कटप्पा के सहयोग से नए राजा चुने तक साम्राज्य के शासन की बागडोर संभालती है। वह अमरेंद्र बाहुबली तथा भल्लाल देव को समान रूप से परवरिश देती है, उन्हें कला, विज्ञान, छल-विद्या, राजनीति और युद्ध कला जैसे कई विद्याओं एवं प्रशिक्षण में पारंगत किया जाता है, मगर दोनों में ही साम्राज्य के शासन की अभिलाषा भिन्न रहती है। जहाँ अमरेंद्र बाहुबली का लोगों के प्रति उदारवादी व्यवहार करते है तो भल्लाल देव बेहद कठोर हैं और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए हर संभव निष्ठुरता बरतता है, यहां तक कि वह बाहुबली की हत्या भी करा देते है।

जब माहिष्मति को शत्रु कालाकेयास द्वारा युद्ध की चुनौती मिलती है, शिवागामी वचन देती है कि जो कोई भी कालाकेयास के राजा का सिर काटकर लाएगा उसे नया राजा बना दिया जाएगा और इस तरह दोनों नातिनों के बीच बराबरी से युद्ध साधनों का बंटवारे का आदेश दिया जाता है। लेकिन भल्लाल देव के अपाहिज पिता, बिज्जाला देव (नस्सर), छल-प्रपंच द्वारा भल्लाल को अधिक से अधिक युद्ध साधन मुहैया कराता है। युद्ध में जब माहिष्मति एक दफा असफल होकर अपना अंत समझ लेती है, अमरेंद्र अपने सैनिकों को उसके साथ मृत्यु से ही लड़ने को पुनः प्रेरित करता है और शत्रुओं को कुचलकर युद्ध समाप्त करता है। मगर भल्लाल देव पहले ही कालाकेया के राजा का वध कर देता है, शिवागामी बतौर नये शासक के रूप में अमरेंद्र बाहुबली का चयन उसके युद्ध में श्रेष्ठता और नेतृत्वता के फैसले पर घोषणा करती है तो भल्लाल देव को उसके साहस और पराक्रम के लिए सेनानायक बनाती है।

इस पूर्व घटनाओं के बाद, जब राजा अमरेंद्र के बारे में प्रश्न किया गया, तो भावुक कटप्पा राजा के देहांत होने की बात कहता है, और कटप्पा स्वयं को ही उनकी मृत्यु का जिम्मेदार बताता है।


फिल्म के निर्माता राजामौली बताते हैं - मैं तब 7 वर्ष का रहा था जब भारत में प्राकशित अमर चित्र कथा पढ़ा करता था। इनमें किसी महानायक या सुपरहीरो के विषय नहीं होता था, लेकिन भारत से जुड़ी लोककथाओं, दंतकथाओं और ऐसे ही कई कहानियों का इसमें चित्रण किया जाता था। पर उनमें से अधिकतर कहानियाँ भारतीय इतिहास को रेखांकित करती थी। मैं महज उन राजमहलों, युद्धों, राजाओं-महाराजाओं की कहानियों को पढ़ता ही नहीं था बल्कि उन्हीं कहानियों को अपने तरीके से मेरे दोस्तों को सुनाया करता था।

 
निर्माण

प्रभास, राणा और अनुष्का ने इस फिल्म के लिए घर में भी काम किया और कड़ी मेहनत से प्रभास और राणा ने घुड़सवारी सीखी और तलवार से लड़ने का भी अभ्यास किया। इस कारण यह फिल्म के निर्माण और प्रदर्शन में अधिक समय लगा और यह फिल्म जुलाई २०१५ में प्रदर्शित हो सकी।। तमिल संस्करण के संवाद लिखने के लिए तमिल गीतकार मदन कर्की को चुना गया था। उन्होंने पुराने महाकाव्यों व ऐतिहासिक फिल्मों की तर्ज पर इस फिल्म के संवादों को लिखा है। फिल्म में लड़ाई के दृश्यों के प्रत्येक दृश्य को ध्यान से बनाया गया था और यह इस फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं। एक विशेष दृश्य के लिए, पीटर हेन ने 2000 लोगो और हाथियों को आसपास दिखाया है। के.के. सेंथिल कुमार को फिल्म का छायांकन करने के लिए चुना गया था। एस॰एस॰ राजामौली ने इस फिल्म में कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक भाषा बनवाई। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी ने सिर्फ फ़िल्म में इस्तेमाल के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया हो। इसमें कथित तौर पर 750 शब्द और 40 व्याकरण के नियम हैं।

पात्र चुनाव

अनुष्का शेट्टी जो पहले भी मिर्ची (2013) में काम कर चुकीं हैं को राजमौली ने पुनः इस फिल्म के लिए चुन लिया। इस फिल्म से जुडने के कारण अनुष्का के 2013 और 2014 का पूरा समय पूरी तरह से व्यस्त हो गया।.इससे वे किसी अन्य फिल्म में काम नहीं कर पाई। राणा दग्गुबती को एक मुख्य नकारात्मक किरदार के रूप में चुना गया, जो संयोग से रुध्रमादेवी में भी कार्य कर चुके हैं। इसके बाद सत्यराज जो तमिल फिल्मों में कार्य करते हैं, उन्हें लिया गया। एक अफवाह के अनुसार श्री देवी और सुष्मिता सेन को इस फिल्म में प्रभास की माँ के रूप में लिया जाने वाला था। लेकिन राजमौली ने इस बात का खण्डन किया। इसके बाद मई 2013 में राजमौली ने सोनाक्षी सिन्हा को अनुष्का शेट्टी के स्थान पर हिन्दी संस्करण के लिए रखने से मना कर दिया। एक समाचार के अनुसार श्रुति हासन भी इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाली थीं। लेकिन राजमौली ने इस बात को भी एक अफवाह कहा और कहा की मैंने उनसे किसी भी किरदार के लिए नहीं पूछा था।
कन्नड़ भाषा के एक अभिनेता सुदीप को एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण किरदार के लिए चुना गया। लेकिन जुलाई 2013 में चार दिन के इस काम में उनके और सत्यराज के मध्य विवाद और लड़ाई हो गई। इसके बाद पीटर हिन के साथ भी लड़ाई हो गई। अप्रैल 2013 में अदिवि शेष को उनके पंजा (2011) फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद रम्या कृष्णन को अगस्त 2013 में राजमाता के किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद नस्सर को एक सहायक किरदार के लिए लिया गया। 11 दिसम्बर 2013 को चरणदीप एक नकारात्मक किरदार के लिए चुने गए। उसके बाद 20 दिसम्बर 2013 में तमन्ना को दूसरे महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद राजमौली ने पवन कल्याण, एन टी रामा राव और सुनील के इस फिल्म में कार्य करने की खबर को एक आधारहीन अफवाह कहा।

फिल्मांकन

करनूल में इसकी शुरुआत हुई। फिल्म को करनूल में 6 जुलाई 2013 से फिल्माया जाना शुरू हुआ। यह राजमौली की एक और फ़िल्म, एगा (2012) के लगभग एक वर्ष के पश्चात बननी शुरू हुई। यहाँ इसे अगस्त 2013 तक पूरा किया गया। इसके बाद बाकी के हिस्से हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी में बने। 29 अगस्त तक का कार्य पूरा हो गया और 17 अक्टूबर को अगले हिस्से को बनाना शुरू किया गया, जो अक्टूबर के अंत तक समाप्त हो गया। लेकिन उसके लिए जो स्थान और सेट बनाया गया था वह बारिश के कारण नष्ट हो गया। उस जगह पर लगभग एक सप्ताह का काम था। इसके बाद प्रभास और राणा ने एक और जगह तलाश की। इसके लिए राजमौली ने सभी से इस बारे में बात की। इस घटना को भी फिल्म के अंत में जोड़ा गया। इसके बाद वह लोग केरल में अगले हिस्से के निर्माण के लिए चले गए। जो 14 नवम्बर 2013 में शुरू हुआ।

केरल के थ्रिसूर जिले का अथिरप्पली जलप्रपात

नवम्बर 2013 के अंत तक फिल्म का बाहर में होने वाला हिस्सा बारिश के कारण नहीं फिल्माया जा सका था। इसके लिए केरल में इसका निर्माण शुरू हुआ। यह 4 दिसम्बर 2013 तक समाप्त हुआ। इसमें केरल के प्रसिद्ध जलप्रपात अथिरप्पिल्ली को भी दिखाया गया है। रमौजी ने मीडिया को बताया की इस फिल्म का सबसे बड़ा हिस्सा हैदराबाद में बना है। इस फिल्म में शहर के लगभग 2000 छोटे कलाकार शामिल हुए थे जिन्होंने 23 दिसम्बर 2013 में एक मैदान में काम किया। इसके लिए वह सभी अक्टूबर 2013 से तैयारी कर रहे थे। एक सूचना में पता चला की अनाजपुर गाँव के किसान इस फिल्म को बनने से रोक रहे हैं। वह कह रहे हैं की इस फिल्म को बनाने के लिए अनिवार्य आज्ञा नहीं ली गई है। इस बात को राजमौली ने नहीं माना। नए वर्ष के समय इस फिल्म के निर्माण को 2 दिनों के लिए रोक दिया गया। इसे 3 जनवरी 2014 से शुरू किया गया। मकर संक्रांति के दौरान इस फिल्म में पुनः रुकावट आई और फिल्मांकन पुनः 16 जनवरी 2014 से शुरू हो सका। इस फिल्म ने 18 जनवरी 2014 को अपने फिल्म के निर्माण के 100 दिन पूरे किए।

रामोजी फिल्म सिटी, जहाँ फ़िल्म का मुख्य हिस्सा बना 

28 मार्च 2014 से रात के समय सारे भाग रामोजी फिल्म सिटी में ही बनाए गए। 5 अप्रैल 2014 को राजमौली ने बताया की लड़ाई का आखिरी हिस्सा का ही निर्माण बचा हुआ है। इसके लिए एक नई तिथि तय हुई। कुछ समय के आराम के पश्चात 20 अप्रैल 2014 को पुनः कार्य शुरू हुआ। पहले भाग के दल को मई 2014 के रमोजी फ़िल्म सिटी में कार्य के पश्चात उन्हें कुछ समय के लिए आराम करने छुट्टी दी गई। उसके पश्चात राणा भी आराम के लिए छुट्टी में चले गए। इसके पश्चात ही तमन्ना जून 2014 से दिसम्बर 2014 तक दल से जुड़ गई। साथ ही सुदीप भी 7 जून 2014 को वापस दल में शामिल हो गए। उनके साथ सत्यराज भी शामिल हो गए। वह सभी गोलकोण्डा किले से एक नए हिस्से के निर्माण में लग गए। यह हिस्सा 10 जून 2014 को समाप्त हुआ। राजमौली ने इसके कुछ हिस्सों को पुनः बनाते हैं, जो पिछले वर्ष भारी वर्षा के कारण रुक गया था। 23 जून 2014 को हैदराबाद में दल के साथ तमन्ना भी शामिल हो गई। इस फ़िल्म का निर्माण हैदराबाद के अन्नपूर्णा स्टूडियो में शुरू हुआ। जिसमें प्रभास, तमन्ना, अनुष्का और राणा ने काम किया। यहाँ फ़िल्म के कुछ महत्वपूर्ण भाग बनाए गए। इसे बनाने में 4 दिन का समय लग गया। इसी दौरान यह दल बुल्गारिया तक यात्रा करता है। यहाँ उस भाग का निर्माण किया गया, जो अक्टूबर 2013 में भारी बारिश के कारण तबाह हो गया था।

महाबलेश्वर, जहाँ धुंध, बारिश और ठण्ड के मौसम में इस फ़िल्म के कुछ भाग बनाए गए।

एक गीत के निर्माण में प्रभास और तमन्ना दोनों रामोजी फ़िल्म सिटी में जुलाई 2014 के तीसरे सप्ताह में के शिवशंकर के द्वारा नृत्य सीखते हैं। यह नृत्य रस्सी आदि के सहारे किए गए, जो सामान्यतः किसी लड़ाई के दौरान उपयोग होते हैं। इसके गाने में के के सेंथिल कुमार द्वारा कई लड़ाई के कई हिस्से लिए गए। इसके अलावा इसमें कई उन्नत प्रभाव भी डाले गए हैं। इसके पूर्ण होने के पश्चात इसका अगला भाग रामोजी फ़िल्म सिटी में पीटर हेन के देख रेख में बनाए गए। 10 अगस्त 2014 में यह बताया गया कि यह पहली तेलुगू फ़िल्म है, जिसे बनाने में 200 दिन लगे। इसके पश्चात एक नया भाग महाबलेश्वर में बनाने का निर्णय लिया गया। यह कार्य 26 अगस्त 2014 को शुरू हुआ। सभी कलाकार और दल इस जगह के बेकार मौसम में भी जिसमें धुंध, बारिश और ठण्ड भी शामिल है। इस हिस्से को पूर्ण कर लिया। इसके पश्चात दल अगले हिस्से के लिए रामोजी फ़िल्म सिटी लौट गया। जहाँ 12 सितम्बर 2014 से निर्माण शुरू हुआ। साबू क्यरिल ने 100 फीट का एक मूर्ति का निर्माण किया।. तेलुगू फ़िल्म संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा हड़ताल के कारण इसके निर्माण में और समय लग गया।

इसके कुछ हिस्से रमोजी फिल्म सिटी में 30 नवम्बर तक प्रभास और राणा के साथ बनाए गए। इसके निर्माण के दौरान तमन्ना को एक कृत्रिम पेड़ पर दिखाया गया। जिसे साबू क्यरिल ने बनाया था। इसमें इस बात को ध्यान में रखा गया था, की तेज हवा में वह कहीं दूर न उड़ जाए। दिसम्बर 2014 में उन्हें 25वें दिन हैदराबाद से बुल्गारिया में स्थानांतरित करना पड़ा। क्योंकि तेलुगू फिल्म के कर्मचारियों ने हड़ताल कर रखा था। वह तीन सप्ताह बाद 23 दिसम्बर 2014 को वापस हैदराबाद लौट आए। इसके बाद निर्माण कार्य चलता गया। इसके बाद निर्माण के लिए राजस्थान से हजारों घोड़ों को खरीदा गया। इसके बाद मार्च 2015 में मनोहरी नामक एक गाना फिल्माया गया।

संगीत

बाहुबली के गाने हिन्दी, तेलुगू और तमिल तीनों भाषाओं में बने हैं। हिन्दी में गानों के बोलों को मनोज मुंतशिर ने और तमिल के सभी गानों के बोल को मधन कर्की ने लिखा है। वहीं इस फ़िल्म में संगीत इसके निर्देशक राजामौलि के भतीजे एम॰ एम॰ कीरवानी ने दिया है।

प्रदर्शन

इस फिल्म का प्रदर्शन 10 जुलाई 2015 को 4 हज़ार से अधिक सिनेमाघरों में किया गया। तेलुगू और हिन्दी के ट्रेलर को 10 लाख से अधिक लोगों ने देखा। इस ट्रेलर को 24 घंटों में फ़ेसबुक पर 1.50 लाख लोगों ने देखा और 3 लाख ने पसंद किया व 2 लाख लोगों ने इसे साझा किया। लेकिन इसे केरल के कुछ ही सिनेमाघरों में दिखाया गया था।

प्रचार

इसके प्रचार के लिए निर्माण के कुछ छोटे दृश्यों को भी प्रदर्शित किया गया था। यह सभी दृश्य अर्का मीडिया वर्क्स के आधिकारिक यूट्यूब खाते में डाले गए थे। इसका प्रचार मुख्य रूप से हैदराबाद में किया गया। इसके लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था जिसमें जीतने वाले को फिल्म के निर्माण स्थल में जाने का मौका मिलता। फिल्म के निर्माण की जानकारी व्हाट्सएप पर लगातार उपलब्ध कराई जा रही थी। इसके प्रचार में इस बात से भी काफ़ी मदद मिली कि यह बीबीसी की एक डाक्यूमेंट्री (भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष) में भी उद्धृत हुई जिसका निर्देशन संजीव भास्कर द्वारा किया गया है।

समालोचना

इसके प्रदर्शन के पश्चात इसे इसके दृश्य प्रभाव, कथन और पृष्ठभूमि के लिए कई सकारात्मक समीक्षा मिल चुकी है। दैनिक भास्कर ने इसे 5 में से 3.5 सितारे ही दिये। इसने राजमौली के निर्देशन की प्रशंसा की और इसके गानों में 2-3 को छोड़ कर सभी गानों को अच्छा और दर्शकों को आकर्षित करने वाला बताया। हरिभूमि ने भी निर्देशन की प्रशंसा की। इसके साथ-साथ प्रभास और राणा दग्गुबती के अभिनय और किरदार की भी प्रशंसा की। 

कमाई

बाहुबली ने पहले ही दिन देश विदेश मे 60-70 करोड़ कमाने वाली भारत की पहली फिल्म का दर्जा प्राप्त किया। बाहुबली ने पहले सप्ताह के अंत तक में 250 करोड़ (US$36.5 मिलियन) की कमाई की। यह चौथी सबसे बड़ी फिल्म है, जिसने तीन दिन में ही 162 करोड़ की कमाई की है। इस फिल्म ने विदेशों में पहले ही दिन 20 करोड़ (US$2.92 मिलियन) की कमाई की। अमेरिका और कनाडा में इसने 1.2 मिलियन डालर (7.2 करोड़ रुपये) की कमाई की। फ़िल्म के हिन्दी संस्करण ने पहले दिन 4.25 करोड़ (US$6,20,500) की कमाई की जो किसी भी डब हिन्दी फ़िल्म के लिये दूसरी सबसे बड़ी कमाई के रूप में दर्ज़ हो गयी। इस तरह बाहुबली देश विदेश में 9 दिन मे 303 करोड़ की कमाई करने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म गयी। हिन्दी संस्करण कि कुल कमाई पहले सप्ताह में 19.50 करोड़ (US$2.85 मिलियन) पहुँच गई।


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 मुख्य कलाकार 

प्रभास - शिवडु उर्फ माहेन्द्र बाहुबली एवं अमरेंद्र बाहुबली की भूमिका में
राणा डग्गुबती - भल्लाल देव/पल्लवाथेवान
अनुष्का शेट्टी - महारानी देवसेना
तमन्ना - अवनतिका, एक विद्रोही योद्धा और शिवा की प्रेयसी
रमैया कृष्णन - शिवागामी, शिवा की पालक माता
सत्यराज - कट्टप्पा, राज अंगरक्षक
नास्सर - बिज्जालादेव, भल्लाल देव के अपाहिज पिता
रोहिणी - सांगा
तन्नीकेला बहारणी - स्वामीजी
अदिवि शेष - भद्रा, भल्लाल देव का पुत्र
प्रभाकर - राजा कालाकेया
सुदीप (अतिथि भूमिका) - असलम ख़ान
एस. एस. राजामौली (अतिथि भूमिका) - क्रेता
नोरा फ़तेही (अतिथि भूमिका) - नृतक, हरे रंग के परिधान में।
स्कार्लेट मेलिश विल्सन (अतिथि भूमिका) - केसर रंग के परिधान में।
स्नेहा उपाध्याय (अतिथि भूमिका) - नीले रंग के परिधान में।
राकेश वैर्रे -भल्लाल देव का मित्र
तेजा काकुमनु - साकेथुडु
भरानी -मर्थण्डा
सुब्बार्या शर्मा
अदात्या - राज गुरू

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निर्देशक - एस॰एस॰ राजामौली
निर्माता - के राघवेंद्र राव
शोबू यर्लागद्दा
प्रसाद देवीनेनी
पटकथाशंकर,
राहुल कोडा,
मधन कर्की,
विजयेन्द्र प्रसाद
कहानी - वी॰ विजयेन्द्र कुमार

छायाकार - के॰के॰ सेंथिल कुमार
वितरक - अर्का मीडिया वर्क्स


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बाहुबली की ख़ास 12 बातें 

1. टिशू पेपर से बनाया 1000 फीट का झरना
फिल्म के दोनों पार्ट में करीब 1000 फीट ऊंचाई से गिरने वाले वाटरफॉल के सीन को टिशू पेपर की मदद से शूट किया गया है। टिशू पेपर को लंबे और मीडियम साइज में काटकर झरने वाले सीन में पानी की तरह मशीन से गिराया गया था। टीम ने मशीन की फिक्व्रेंसी ऐसी सेट की थी कि टिशू पेपर बिना रुकेे लगातार पानी की तरह ही गिरता रहे। ताकि यह एकदम रियल लगे। बर्फ के बुरादे के लिए भी हमने टिशू पेपर का ही इस्तेमाल किया गया था। इसे लोगों ने खूब पसंद किया है। झरने की शूटिंग केरल की है। झरने का नीचे का हिस्सा असली है। ऊपर से झरना गिरने का सीन टिशू की मदद से है।

2.पैलेस की नक्काशी राजस्थान के मंदिर की
बाहुबली-2 में बना माहिष्मति किंगडम पैलेस देश में किसी भी फिल्म के लिए बनाया गया अब तक का सबसे ऊंचा पैलेस है। इसके पीछे सोच थी कि इसमें भव्यता दिखे। इसकी ऊंचाई 300 मीटर है। ये पेरिस के एफिल टॉवर के बराबर है। राजस्थान के 2 मंदिरों पर रिसर्च करने के बाद पैलेस के अंदर की नक्काशी की गई थी। यह काफी बारीक है। इसे बिल्कुल रियल लुक देने के लिए राजस्थान से पेड़, मार्बल और बुल्गारिया से रॉ मटेरियल मंगाया गया था। माहिष्मति पैलेस के सेट को बनाने के लिए 1900 लोगों ने 90 से 100 दिन तक लगातार काम किया।

3. धान काटने की मशीन से रथ का आइडिया

पहले भाग में  सिंगल ब्लेड का रथ दिखाया गया  था। दूसरे पार्ट के लिए 4 ब्लेड का रथ बनाया गया । टीम को इसका विचार किसानों की धान काटने की मशीन को देखकर आया था। इसे चलाने के लिए एक लाख रु. की बुलेट खरीदी गई और उसके इंजन को रथ में फिट किया गया था। जिसे बनाने में एक माह का समय लगा था।

4.1500 सैनिक थे, युद्ध में दिखाए सवा लाख

फर्स्ट पार्ट के क्लाइमेक्स सीन में माहिष्मति के 25 हजार सैनिक दुश्मन के 1 लाख सैनिकों से लड़ते दिखाए गए हैं। ये रियल टाइम नहीं था। रियल टाइम में एक समय में 1500 से ज्यादा सैनिकों को शूट करना नामुमकिन था। यही कारण है कि इस सीन में बाकी के 1.24 लाख योद्धाओं को 3डी तकनीक से दिखाया गया। इन नकली सैनिकों को बाद में कंप्यूटर से जोड़ा गया। इसके अलावा भी युद्ध के सभी दृश्यों में अधिकतम 1500 असली सैनिक ही लिए गए हैं। क्लाइमेक्स का यह सीन भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा क्रोमा सीन है। इसमें एल शेप का ग्रीन पर्दा इस्तेमाल हुआ।

5. 100 ट्रक मिट्‌टी डाली फिर बाहुबली मरा

बाहुबली को मारने वाले सीन की शूटिंग चंबल वैली में होनी थी। लेकिन शूट के एक हफ्ते पहले अचानक बारिश होने से वैली में घांस उग आई थी। जबकि, ये सीन प्लेन और बिना हरियाली वाली जगह में शूट करना था। फिर इसे हैदराबाद के आउटर में "क्वेरी' में शूट किया गया । यहां ना रोड थी ना पहाड़। रातोरात 100 ट्रक मिट्टी गिरवाकर रोड़ बनवाई गई। 60 फीट ऊंचे नकली पहाड़ बनाकर उस पर लाल कलर का टैक्सचर पेंट किया गया। राजस्थान से पेड़ मंगाकर फाइबर ग्लास की मदद से इन पेड़ों की नकल बनाई गई। बाहुबली के मरने वाले सीन का सेट तैयार करने के लिए 45 दिन तक 200 लोगों ने दिन-रात काम किया।

6. हेलीकॉप्टर विंग मैटेरियल से बने हल्के हथियार

इस फिल्म के लिए  सांड, घोड़े, सांप आदि सभी जानवर और छोटे-बड़े हथियार हेलीकॉप्टर के विंग को बनाने वाले मैटेरियल कार्बन फाइबर से बनाए गए थे। देश में पहली बार किसी फिल्म में कार्बन फाइबर का इस्तेमाल हुआ है। फौलाद जैसे ताकतवर फाइबर का वजन हल्का होता है। युद्ध के कई दृश्यों में पचासों बार हथियार चलाना था। हथियार चलाने में हाथ दर्द ना हो और वे असली भी लगे, इसी मकसद से  कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। 2000 के करीब कारिगारों ने महल, किला और अन्य सैट बनाए। 4 क्रेन सेट एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए खड़ी रहती थीं।

7. 5 साल तक शूटिंग के लिए उठना पड़ा सुबह 3.30 बजे

 सभी क्रू मेंबर्स रोजाना सुबह 3.30 बजे उठ जाते थे। 4.30 बजे लोकेशन के लिए निकलना होता था। एक घंटे के ट्रैवल के बाद सभी सेट पर पहुंचते थे। कुछ दिनों को छोड़कर बाकी सभी दिन सुबह 6-6:15 पर शूटिंग शुरू हो जाती थी। 5 साल तक सभी लोगों ने इसी रूटीन को फॉलो किया था। बाहुबली के दोनों पार्ट की शूटिंग 615 दिन चली थी। काम जुलाई 2013 में शुरू किया गया था और जनवरी 2017 तक चला। विदेशी स्टूडियोज़ की भी मदद ली गयी । 30 स्टूडियो ने फिल्म में विजुअल इफेक्ट पर काम किया है। 3.5 साल का समय लगा। यूक्रेन, सर्बिया, इरान और चीन के स्टूडियो में काम हुआ।

8. ‘बाहुबली' और ‘भगवान कृष्ण' का ये संबंध है

यह  पूरी तरह से फिक्शन मूवी है। कोई भी कैरेक्टर रियल स्टोरी से मैच नहीं करता है। हां, ये जरूर है कि बाहुबली को भगवान कृष्ण की महाभारत से इन्सपायर होकर लिखा गया है। बिज्जलदेव का कैरेक्टर महाभारत के शकुनि मामा जैसा है। भल्लालदेव दुर्योधन जैसा है, जिसे लगता है उसके साथ गलत हुआ है और हर हाल में साम्राज्य पाना चाहता है। महेंद्र बाहुबली कुछ-कुछ भगवान कृष्ण और भगवान राम की तरह है। कटप्पा रामायण के हनुमान की तरह है। चार भाषाओं में फिल्म डब की गई है। तमिल, तेलुगु, मलयालम और हिन्दी में। पार्ट 2 देश के 6500 थियेटरों में लगी है।

9. 2 मिनट के सीन की शूटिंग में लगे 100 दिन

मूवी की स्क्रिप्टिंग के दौरान  सबसे बड़ी डिमांड युद्ध, मार-धाड़, लड़ाई, टेक्नोलॉजी का जबरदस्त इस्तेमाल जैसी चीजें थीं। प्रभास के रूप में  मूवी का एक्टर पहले ही तय कर लिया गया था। बाद में उसकी पर्सनैलिटी और इन सारी जरूरतों के आधार पर स्क्रिप्टिंग के लिए कहा गया था।  सबसे मुश्किल लास्ट की लड़ाई को शूट करना था। 2 मिनट के सीन की शूटिंग में करीब 100 दिन लग गए थे। इसमें तकनीक का भी बेहतर इस्तेमाल किया गया  है। 10 करोड़ लोगों ने फिल्म का ट्रेलर इसके जारी हाेने के एक सप्ताह के भीतर देखा। भारत में किसी फिल्म का ट्रेलर पहले कभी इतना नहीं देखा गया।

10. बाहुबली’ के 90% सीन हैं पूरी तरह से नकली

दोनों पार्ट के 90 फीसदी सीन नकली हैं। फिर चाहे वो कटप्पा द्वारा बाहुबली को मारने वाला सीन ही क्यों न हो। फिल्म में दिखे पहाड़ से लेकर जानवर तक सभी के निर्माण में  तकनीक के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया गया  है। इन सीन्स को कम्प्यूटर ग्रॉफिक्स इमेज (सीजीआई) और 3डी की मदद से शूट किया गया है। अगर किसी को असली-नकली सीन्स की पहचान करनी हो तो उसे शूट का एंगल देखना चाहिए। करीब से लिए गए सभी शॉट ओरिजनल हैं। 20 से 25 फीट की दूरी से लिए गए सीन ही फिल्म में केवल रियल हैंं। दूर से लिए गए सभी तकनीक और सेट के कमाल से बने हैं।

11. 4 हिस्सों में बना भल्लाल का 400 किलो का स्टैच्यू

माहिष्मति किंगडम में लगे भल्लालदेव के स्टैच्यू का वजन 400 किलो है। इसे करीब 400 लोगों की  टीम ने बनाया है। इसे 4 अलग-अलग हिस्सों में तैयार किया गया है। जिसमें करीब 1 महीने का समय लगा था। मूवी के क्रू मेंबर्स को भल्लालदेव का स्टैच्यू लगाने का आइडिया ग्रीस के कोलोस्सस ऑफ रोहड्स को देखकर आया था। ग्रीस के इस स्टैच्यू को प्राचीन संसार के 7 अजूबों में से एक माना जाता है।

12. क्रू मेंबर्स ने कहा, ड्रामा लाओ- तो मरा बाहुबली

बाहुबली की शुरुआती स्क्रिप्ट में कटप्पा द्वारा बाहुबली को मारे जाने का प्लान नहीं था। इस सीन की जगह कहानी कुछ और ही थी। लेकिन जब मूवी क्रू ने फिल्म में ड्रामा ऐड करने को कहा, उसके बाद ये सीन सबसे आखिरी में जोड़ा गया । अगर टीम द्वारा ड्रामे की डिमांड ना होती तो शायद ये सवाल वायरल ना हो पाता कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा...? आज ये मूवी की जान है।  उस समय यह उम्मीद नहीं थी कि यह इतना हिट हो जाएगा।
विदेश के 30 थियेटरों में भी यह रिलीज़ हो रही है। बाहुबली ऐसी फिल्म है जिसमें इसके कलाकारों से ज्यादा चर्चा इसके निर्देशक की है।

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बाहुबली 3 भी बन सकती है


 बाहुबली 3 भी बन सकती है।  भाग दो की कहानी यह कह रही है। भले ही भाग 2 की तरह भाग 3 अपेक्षित न हों, लेकिन बाहुबली: द कॉन्क्लूज़न में कई घटनाएं और कहानियों का रुख अगले भाग की ओर इशारा कर रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर एस राजामौली बाहुबली 3 बनाने की घोषणा कर दें। क्यों बननी चाहिए भाग 3 या क्यों बन सकती है बाहुबली 3, इसके एक दो नहीं कुल 10 कारण हैं-

1- जिंदा हैं भल्लाल के पिता बिज्जलदेव

बाहुबली (प्रभास) को अपनी रणनीतियों से मरवाने वाला भल्लालदेव (राणा दुग्गुबाती) का पिता बिज्जलदेव (नस्सर) अभी भी जिंदा है। महेंद्र बाहुबली ने भल्लालदेव को तो मार दिया लेकिन बिज्ज्लदेव को छोड़ दिया। ऐसे में ये सवाल उठा रहा है कि बाहुबली के दोनों भागों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला ये शख्स अगर जिंदा है तो इसके पीछे कुछ तो कारण होगा ही।

2- कटप्पा को जिंदा रखने का कारण

पहले भाग की तरह इस भाग में भी कटप्पा (सत्यराज) की भूमिका सबसे महत्वपूण रही। या यों कहें कि कटप्पा का रोल सब पर भारी रहा। बूढ़े हो चुके कटप्पा को इस भाग में खत्म किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

3- महेंद्र बाहुबली और अवंतिका की शादी

महेन्द्र बाहुबली और अवंतिका (तमन्ना भाटिया) की शादी इस भाग में नहीं हुई। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगले भाग में दोनों की शादी होगी और कहानी और आगे बढ़ेगी।

4- अवंतिका का रोल छोटा करना

पहले भाग में देवसेना (अनुष्का शेट्टी) का रोल कम था। इस भाग में अवंतिका की झलक मात्र दिखाई गई है। चूंकि देवसेना सख्त तेवर की हैं, तो ऐसे में अगले भाग में सास-बहू की कहानी को बिज्जलदेव अपने सकूनि चाल से आगे बढ़ा सकता है। बाहुबली 2 में महेंद्र भले ही अपनी मां देवसेना से मिल गया हो लेकिन प्रेमिका अवंतिका से उसका मिलन अभी अधूरा है। यानी बाहुबली 3 बनने का रास्ता पूरी तरह खुला है।

5- राजामौली ने भी बनाए रखा है सस्पेंस

बाहुबली 2 को लेकर हुए तमाम प्रमोशनल इवेंट्स में राजामौली के सामने ये सवाल आया कि क्या बाहुबली 3 बनेगी। इसको लेकर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा। वैसे उन्होंने यह बात कबूली कि पहले बाहुबली को लेकर वेब सीरीज बनाएंगे। ऐसे में राजामौली खुद भाग 3 कही ओर इशारा कर रहे हैं।

6- बाहुबली 2 का आखिरी सीन याद करिए

राजा बनने के बाद महेंद्र बाहुबली ने कहा कि मेरा वचन ही मेरा शासन है। उनके पिता को भी प्रजा राजा के रूप देखना चाहती थी लेकिन उनकी हत्या हो गई। ऐसे में महेंद्र बाहुबली अपने पिता और प्रजा के लिए शासक बन सकते हैं। अगले भाग में उनको कुशल शासक के रूप में पेश किया जा सकता है।

7- पिंडारियों का खत्म न होना

पिंडारियों पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। वीर में सलमान खान पिंडार के रुप में दिखे थे। देवसेना की राज्य को बचाने के लिए बाहुबली ने कुछ पिंडारियों को मारा तो जरूर लेकिन उनका खात्मा नहीं हुआ। ऐसे में अगले भाग में पिंडारी महेंद्र बाहुबली से बदला ले सकते हैं। इसलिए भी अगला भाग बनाया जा सकता है।

8- शिवडु और संगा की कहानी

शिवडु और और उसकी मांग संगा की कहानी तो आपको याद ही होगी। बाहुबली के पहले भाग में जबतक बाहुबली पहाड़ के ऊपर नहीं जाते जबतक उनको अपनी सच्चाई नहीं पता चलती तब तक उनका नाम शिवडु था और उनकी मां का नाम संगा था। भाग दो में संगा के कैरेक्टर को साइलेंट रखा गया है। ऐसे में में उनकी भूमिका को जीवंत करने के लिए भाग तीन बनाई जा सकती है।

9- संन्यासी ने बताई शिव की मर्जी

फिल्म के एकदम आखिरी में एक बच्चा सवाल पूछता है कि माहिष्मती पर शासन किसने किया। क्या महेंद्र बाहुबली और उनके बच्चों का राज चला। इस पर बाहुबली वाले संन्यासी की आवाज में जवाब आता है- शिव की मर्जी मैं क्या जानूं। मतलब इसका जवाब अगले भाग में बताया जा सकता है।

10- हिट फिल्मों की सीरीज का चलन

जैसा की हम हॉलीवुड में देख चुके हैं। हिट फिल्मों की पूरी सीरीज चलती है। दोनों भाग के हिट होने के बाद अगले भाग का तुक इसलिए भी बढ़ सकता है।
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