लेखक और पत्रकार भी हैं योगी

लेखक और पत्रकार भी हैं योगी 
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संजय तिवारी 
वह गोरखपुर से भाजपा के सांसद हैं। वह बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं। पूर्वांचल में उन्हें हिंदुत्व के पुरोधा के रूप में जाना जाता है। नाथ सम्प्रदाय के भक्तों के लिए वह धर्मगुरु हैं। लेकिन बहुत काम लोगो को यह जानकारी होगी कि योगी आदित्यनाथ केवल एक धर्म गुरु और राजनेता ही नहीं बल्कि बहुत सफल लेखक , पत्रकार और स्तंभकार भी हैं। योगी की लेखन क्षमता , शैली और उनके विषय हमेशा नयी पीढ़ी के लिए मार्गदर्शिका के रूप में रहे हैं। भारती संस्कृति , अध्यात्म , राजनीति और राष्ट्रीयता उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। वही जितने अच्छे वक्ता हैं उतने  ही प्रभावशील लेखक भी हैं। वह युगवाणी मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्दवी के भी  संपादक हैं।  योगी आदित्यनाथ अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। 
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यह संयोग ही है कि व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक अवतरण से लेकर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा राजनीतिक उत्तराधिकार घोषित करने के क्षणों का गवाह रहने का मुझे भी अवसर मिला है। इस अवधि  में योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक , सांस्कृतिक और लेखकीय गतिविधियों को भी मैंने करीब से देखा और समझा है। लिखने की उनकी बेचैनी राज ही दिखती है। वह प्रतिदिन दैनंदिन लिखने वाले व्यक्ति हैं। उनके उत्तराधिकारी बनने के बाद से गोरक्षपीठ से जुडी संस्थाओ में एक अलग प्रकार का परिवर्तन भी आया है। राष्रीय , अंतर राष्ट्रीय संगोष्ठियों के आयोजन से लेकर गंभीर विचारो के प्रकाशन तक में वह खुद बहुत रूचि लेते हैं।  इस आधार पर यकीन के साथ लिख सकता हूँ कि योगी की लेखन क्षमता अद्भुत है। युगवाणी के प्रबंध संपादक और हिन्दवी के संपादक रहे डॉ प्रदीप राव कहते हैं कि महाराज जी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि युगवाणी और हिन्दवी का सम्पादकीय लेख वह खुद लिख कर देते हैं ,भले ही उनके पास समय की किल्लत रही हो , वे सम्पादकीय आलेख जरूर लिखते हैं।  योगी की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखकऔर पत्रकार का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ वे समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं।
 योगी के संरक्षकत्व में महंत अवेद्यनाथ के जीवन पर आधारित स्मृति ग्रन्थ  किसी कीर्तिमान से कम नहीं है। डॉ प्रदीप राव बताते हैं कि हिन्दवी के सम्पादकीय लेख सच में राष्ट्रीय धरोहर की तरह हैं।  
अत्यल्प अवधि में ही 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग: स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं। राजनीतिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्‍हें वर्ष 1999, 2004 और 2009, 20014  के चुनाव में निरंतर बढ़ते हुए मतों के अंतर से विजयी बनाकर पांच  बार लोकसभा का सदस्य बनाया। हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्‍होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संपन्‍न कराया। 
योगी के हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गांव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगीजी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गए।
योगी की संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केन्द्र सरकार ने उन्‍हें खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।

यहाँ यह उल्लेख भी जरुरी लगता है कि जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। 


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