प्रखर हिंदुत्व के नायक योगी आदित्यनाथ 


संजय तिवारी 

वह गोरखपुर से भाजपा के सांसद हैं। वह बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं। पूर्वांचल में उन्हें हिंदुत्व के पुरोधा के रूप में जाना जाता है। नाथ सम्प्रदाय के भक्तों के लिए वह धर्मगुरु हैं। लेकिन बहुत काम लोगो को यह जानकारी होगी कि योगी आदित्यनाथ केवल एक धर्म गुरु और राजनेता ही नहीं बल्कि बहुत सफल लेखक , पत्रकार और स्तंभकार भी हैं। योगी की लेखन क्षमता , शैली और उनके विषय हमेशा नयी पीढ़ी के लिए मार्गदर्शिका के रूप में रहे हैं। भारती संस्कृति , अध्यात्म , राजनीति और राष्ट्रीयता उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। वही जितने अच्छे वक्ता हैं उतने  ही प्रभावशील लेखक भी हैं। वह युगवाणी मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्दवी के भी  संपादक हैं।  योगी आदित्यनाथ अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।


आज के आदित्यनाथ वही हैं जिनका जन्म पौड़ी जिले के पंचेर गांव में नंद सिंह बिष्ट के घर पांच जून 1972 को हुआ था। 14 सितंबर 2015 को उनके जीवन में नया अध्याय जुड़ गया। महंत अवैद्यनाथ के समाधिस्थ होने के साथ ही बेशुमार लोगों और संत समाज के गणमान्य लोगों के बीच उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर का दायित्व संभाल लिया। वैसे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र जीवन से ही हो गई थी। गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल करने तक उनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रखर कार्यकर्ताओं के रूप में होने लगी थी। नाम के अनुरूप बाल्यावस्था से हर काम की तेजी से अजय ने न सिर्फ अपने अजेयभाव का प्रदर्शन किया बल्कि कम उम्र में संत पंथ को अपनाकर न सिर्फ आदित्यनाथ बन गए बल्कि वोटों की शक्ल में आम लोगों का दिल जीतकर 1998 में सबसे कम उम्र सांसद बनने का गौरव भी हासिल किया।
 जहां तक योगी के जीवन यात्रा की कहानी का प्रश्न है, वह किसी फ़िल्मी कथानक से कम नहीं है। महज़ 22 साल की उम्र में परिवार त्यागकर वह योगी स्वरूप में आ गए। 1993 से अपना केंद्र गोरखपुर बना लिया और गोरखनाथ मंदिर में निरंतर बढ़ते सेवाभाव ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को उनको गोरक्षपीठाधीश्वर के उत्तराधिकारी की पदवी तक पहुंचा दिया। इसके बाद 1998 में जब फिर लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो गोरक्षपीठाधीश्वर ने अपनी सियासी विरासत भी उन्हें सौंपते हुए चुनाव लड़ाने का फैसला लिया क्योंकि पूर्व महंत दिग्विजय नाथ और अवैद्यनाथ इससे पहले चुनाव लड़ चुके थे। इस चुनाव को जीतकर उन्हें सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। उसके बाद से वह लगातार पांचवीं बार चुनाव जीतकर बाल्यावस्था के अपने नाम के अनुरूप खुद के अजेय भाव को प्रदर्शित कर रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उनके भाषण ने ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ को प्रभावित किया और उनके आह्वान पर रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए। गतिविधियों के साथ काम के प्रति समर्पण का भाव बढ़ता देख महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना शिष्य बनाने पर हामी भर दी। 1996 के लोकसभा चुनाव में जब महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे तो चुनाव का कुशल संचालन करके उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ का खासा परिचय दिया।
 जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथ पंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। अपने धार्मिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के साथ-साथ योगी निरंतर समाज से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए प्रयास करते रहते हैं। व्यक्तिगत समस्याओं से लेकर विकास योजनाओं तक की समस्याओं का हल वे बहुत ही धैर्यपूर्वक निकालते हैं।
 हिन्दू जनमानस में अपनी ख़ास पहचान रखने वाले गोरखपुर का ‘गोरक्ष पीठ’ नाम का मठ नाथ सम्प्रदाय के हठ-योगियों का गढ़ रहा, जाति-पाति से दूर इस सम्प्रदाय की शाखा तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर पूरे पश्चिम उत्तर भारत में फैली थी। नाथ संप्रदाय को गुरु मच्छेंद्र नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ को हिन्दू समेत तिब्बती बौद्ध धर्म में महासिद्ध योगी माना जाता है। रावलपिंडी शहर को बसाने वाले राजपूत राजा बप्पा रावल के गोरखनाथ को अपना गुरु मानते थे व इन्हीं की प्रेरणा से मोरी (मौर्या) सेना को एकत्र कर मुहम्माब बिन कासिम के नेतृत्व में अरब हमलों से भारत की रक्षा की, आज उसी प्रकार से ‘समाज की रक्षा’ गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी होने के नाते योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं।
 योगी की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा है, जिसमें गोरखपुर मंडल के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती मंडल के बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर और आज़मगढ़ मंडल के आज़मगढ़, बलिया, मऊ जिले शामिल हैं। ये तीनों मंडल एक ख़ास विचारधारा से प्रभावित हो साम्प्रदायिकता का जवाब साम्प्रदायिकता की राजनीति की तरफ आकृष्ट हुए हैं। कई दशकों से मठ आधारित ये राजनीति अपने शुरुआती दिनों के नरम हिंदुत्व से उग्र हिन्दुत्ववादी हो चुकी है तो इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ के आक्रामक स्वाभाव को ही जाता है। पूर्व में इसी विचारधारा के तहत महंत अवैद्यनाथ ने 1989 और 1991 में गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीता व उनके बाद से उनके उत्तराधिकारी बने योगी आदित्यनाथ ने लगातार 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव जीत कर अपनी राजनीति के सफल होने का प्रमाण दिया।
 जनप्रतिनिधि के रूप में उन्होंने जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव और उसके उपचार के लिए उल्लेखनीय प्रयास किये, उसके अलावा गोरखपुर में सफाई व्यवस्था व राप्ती नदी पर बांध बनवाने जैसे कई विकास के कार्य कराए हैं। सदियों से श्रद्धा का केंद्र रहने वाले गोरखनाथ पीठ के महंत होने की वजह से वे कभी भी मतदाता के सामने हाथ नहीं जोड़ते, उल्टे मतदाता उनके पैर छूकर आशीर्वाद मांगते हैं। सांसद होने के नाते कोई समस्या बयान करता तो वे सरकारी प्रक्रिया का इंतज़ार किये बिना तुरंत संबंधित अधिकारी से बात कर समस्या का अपने स्तर पर निपटारा कर देते हैं। कुछ वर्ष पहले एक माफिया डॉन के द्वारा उनके एक मतदाता के मकान पर कब्जे से क्षुब्द, योगी ने सीधे ही उस मकान पर पहुँच अपने समर्थकों के द्वारा उसे कब्जे से मुक्त करवा दिया। ऐसे कई और मामले हैं जो उनकी धार्मिक रहनुमाई से रोबिनहुडाई तक के सफ़र की कथा बयान करते हैं।


2009 में पार्टी पर मजबूत पकड़, मठ से प्राप्त धार्मिक हैसियत, विकास और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे युवाओ के संगठन के बदौलत उन्होंने करिश्माई रूप से स्वयं की गोरखपुर शहर व् कांग्रेस के दिग्गज महावीर प्रसाद को कमलेश पासवान से हरवा कर बांसगांव लोकसभा सीट जीत ली.आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर सिर्फ चुनाव लड़ते हैं, और पार्टी की भी राज्य में अपने घटी हैसीयत के कारण उनकी ब्रांड वाली राजनीति को मजबूरन स्वीकारना पड़ता है।  वे पार्टी की सांगठनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करके उसके पदों पर अपने समर्थकों को तो बिठाते हैं पर भाजपा संगठन की बनिस्बत वे अपने जन कार्यक्रम  हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा के बैनर तले चलाते हैं।   योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है।

2008 में हुआ था जानलेवा हमला

7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किए गए जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी। डीएम ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है, तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने के लिए अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। उनपर कार्यवाही का असर हुआ और मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला हो गया।

योगी की संसदीय यात्रा 

1998 : 12वीं लोक सभा के लिए पहली बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।
1999 : 13वीं लोक सभा के लिए दूसरी बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।
2004 : 14वीं लोक सभा हेतु पुनः तीसरी बार निर्वाचित।
2009 : 15वीं लोक सभा हेतु पुनः चौथी बार निर्वाचित।
2014 : 16वीं लोक सभा हेतु पुनः पाँचवी बार निर्वाचित।

लेखक और पत्रकार भी हैं योगी 

यह संयोग ही है कि व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक अवतरण से लेकर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा राजनीतिक उत्तराधिकार घोषित करने के क्षणों का गवाह रहने का मुझे भी अवसर मिला है। इस अवधि  में योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक , सांस्कृतिक और लेखकीय गतिविधियों को भी मैंने करीब से देखा और समझा है। लिखने की उनकी बेचैनी राज ही दिखती है। वह प्रतिदिन दैनंदिन लिखने वाले व्यक्ति हैं। उनके उत्तराधिकारी बनने के बाद से गोरक्षपीठ से जुडी संस्थाओ में एक अलग प्रकार का परिवर्तन भी आया है। राष्रीय , अंतर राष्ट्रीय संगोष्ठियों के आयोजन से लेकर गंभीर विचारो के प्रकाशन तक में वह खुद बहुत रूचि लेते हैं।  इस आधार पर यकीन के साथ लिख सकता हूँ कि योगी की लेखन क्षमता अद्भुत है। युगवाणी के प्रबंध संपादक और हिन्दवी के संपादक रहे डॉ प्रदीप राव कहते हैं कि महाराज जी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि युगवाणी और हिन्दवी का सम्पादकीय लेख वह खुद लिख कर देते हैं ,भले ही उनके पास समय की किल्लत रही हो , वे सम्पादकीय आलेख जरूर लिखते हैं।  योगी की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखकऔर पत्रकार का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ वे समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं।
 योगी के संरक्षकत्व में महंत अवेद्यनाथ के जीवन पर आधारित स्मृति ग्रन्थ  किसी कीर्तिमान से कम नहीं है। डॉ प्रदीप राव बताते हैं कि हिन्दवी के सम्पादकीय लेख सच में राष्ट्रीय धरोहर की तरह हैं।  
अत्यल्प अवधि में ही 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग: स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं। राजनीतिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्‍हें वर्ष 1999, 2004 और 2009, 20014  के चुनाव में निरंतर बढ़ते हुए मतों के अंतर से विजयी बनाकर पांच  बार लोकसभा का सदस्य बनाया। हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्‍होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संपन्‍न कराया। 

विश्व हिन्दू महा संघ और हिन्दू युवा वाहिनी 


विश्व हिन्दू महासंघ और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे संघठन खड़ा करने वाले योगी आदित्यनाथ की अनगिनत विशेषताएं हैं जिनको महज़ कुछ शब्दों में बाँध पाना बहुत दुष्कर लगता है।एक तरफ विश्व के कई देशो में फैला उनका संगठन विश्व हिन्दू महासंघ की सक्रियता है तो दूसरी तरफ देश के भीतर कई प्रांतो में कार्यरत उनके संरक्षण वाली संस्था हिन्दू युवा वाहिनी की अतिशय लोकप्रियता है।  यह अलग बात है कि उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद से हिन्दू युवा वाहिनी की सदस्यता को फिलहाल रोक दिया गया है। दर असल योगी आदित्यनाथ आज देश में और दुनिया में भी हिंदुत्व के प्रखर चेहरे के रूप में स्थापित हैं। यह स्थापना यूओ ही नहीं है।  इसके लिए इतिहास में झांकना भी जरूरी लगता है। जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में उन्होंने सफलता प्राप्त की। योगी के हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गांव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी आदित्यनाथ , धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गए। योगी की संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केन्द्र सरकार ने उन्‍हें खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।


योगी के विवादित बयान


1- दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा यूपी कैबिनेट के मंत्री (आजम खान) ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। आज ही मैंने पढ़ा कि अखलाख पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उनकी गतिविधियां बदल गई थीं। क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था। आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है।

2- अगस्त 2014 में लव जेहाद’ को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था, जिसे लेकर काफी हल्ला मचा था। 

3- फरवरी 2015 में योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे। उन्होंने कहा था कि आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे। मक्का में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वेटिकन सिटी में गैर ईसाई नहीं जा सकता है। हमारे यहां हर कोई आ सकता है।

4- योग के ऊपर भी विवादित बयान देते हुए योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए। उन्होंने ने यहां तक कहा कि लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए।

5- अगस्त 2015 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिमों के बीच ‘उच्च’ प्रजनन दर से जनसंख्या असंतुलन हो सकता है।

6- अप्रैल 2015 में योगी ने हरिद्वार में विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल 'हर की पौड़ी' पर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था।

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लेखक 
संजय तिवारी 
संपादक विचार ,
अपना भारत , हिंदी साप्ताहिक 
लखनऊ 
एवं 
अध्यक्ष , भारत संस्कृति न्यास , नयी दिल्ली 

mail --- sanjay24.1967@gmail.com

mobile- 9450887186

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