सनातन की स्थापना का युद्ध- दो
संजय तिवारी
इस बार के चुनाव के बहाने दुनिया को पहली बार उस राजपरिवार की असलियत खुल कर देखने को मिल रही है। जिस नेहरू - गाँधी डायनेस्टी ने भारत की स्वाधीनता के बाद जिस तरह झूठ और फरेब के आधार पर ईसाईयों की चरणपादुका लेकर इस देश पर शासन किया है उसकी परतें पहली बार खुलनी शुरू हुई हैं। ये लोग मोदी युग के उदय के बाद किस हद तक परेशान और बेचैन हैं उसका अंदाजा आप केवल कांग्रेस पार्टी के आज ही जारी किये गए घोषणापत्र से लगा सकते हैं। इसमें कहा गया है कि यदि देश में फिर से उनकी सरकार बनेगी तो वे राष्ट्र द्रोह जैसी धरा को संविधान से ही ख़त्म कर देंगे। सेना को सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा के लिए जो विशेष अधिकार दिए गए हैं उसे समाप्त कर देंगे। तात्पॉर्य - भारत तेरे टुकड़े होंगे - इंशा अल्ला - इंशा अल्ला। जब इनकी सरकार आएगी तो पूरा देश आतंकवादियों के हवाले। आतंक फैलाने वालो पर कार्रवाई के सारे अधिकार संविधान से ख़त्म।
यही असली चेहरा है। यह साबित करता है कि भारत को ईसाई राज्य के रूप में जो काम करना रह गया बाकी था , वह अब खुल कर हो सकेगा। अभी तक यह सब चोरी छिपे हो रहा था। डॉ सुभ्रमण्यं स्वामी भले ही इस परिवार की कैथोलिक नागरिकता की बात कर रहे थे लेकिन देश की जनता को इस पर भरोसा नहीं हो रहा था। नेहरू के खुद के खंडन और जाती को लेकर भ्रम था। आज भी ये लोग देश को भ्रमित कर रहे हैं। उत्तेर भारत में ये रुद्राक्ष की माला और जनेऊ पहन लेते हैं। दक्षिण में जाते ही क्रॉस धारण कर लेते है। इनकी जाति , इनके मजहब आदि को लेकर जिस भ्रम में देश था अब अब वह भ्रम काफी हद तक टूट रहा है। जिस तरह कांग्रेस ने आज अपने घोषणापत्र के जरिये इस चुनाव को केवल हिन्दू विरोध और भारतीयता के विरोध के रूप में सामने रख दिया है उससे जाहिर हो रहा है कि यह चुनाव कही न कही हिंदुत्व और चर्च के बीच होने जा रहा है। उधर उम्र अब्दुल्ला के बयान ने साबित कर दिया है की इस चुनाव का एक मोड़ हिंदुत्व एवं भारतीयता और इस्लाम तथा इस्लामी आतंकवाद के बीच भी है।
दरअसल इस बार इस कथित गांधी परिवार की पोल ही खुल गयी है। जनेऊ , रुद्राक्ष , तिलक आदि के ढकोसले अब नहीं चलने वाले। देश यह भली प्रकार से जान गया है कि गाँधी टाइटिल के पीछे से कैथोलिक एजेंडा लेकर अभी तक राजनीति करने वाली कांग्रेस वास्तव में अब देश को तोड़ने का मन बना चुकी है। धरा ३७७ का हटाना भी इसी पार्टी का एजेंडा था जिसे उसने हासिल कर लिया। जे एन यू , AMU , जामिया मिलिया आदि परिसरों में बैठे उनके पैरोकारों के लिए बेचैनी वाली बात है कि ये जो भी साजिश रच रहे हैं उसका खुलासा तुरंत होने लगा है। इनकी बेचैनी इस कदर बढ़ी है कि भारतीय सेना के बढे हौसले इनको रास नहीं आ रहे। इनकी बेचैनी इसलिए भी बढ़ गयी है क्योकि अब जनता इनसे सीधे सवाल कर रही है और दौड़ा भी रही है।
आज जो घोषणापत्र कांग्रेस ने जारी किया है उसे देखने के बाद हर भारतवासी का खून खौल रहा है। राष्ट्र का अपमान। राष्ट्र की सेना का अपमान। अब भला इससे बड़ा नीच कर्म क्या होगा। देश की आजादी का गलत इतिहास पढ़ाकर ६५ वर्षो तक देश को गुमराह नहीं कर सके तो अब आतंकवादियों के सहयोग से सत्ता पाना चाहते हैं। छिः ---- ये भारत माता के सपूत तो कदापि नहीं हो सकते।
वंदे मातरम
क्रमशः