सनातन की स्थापना का युद्ध- एक
संजय तिवारी
इस बार भारत मे हो रहे लोकसभा का चुनाव कोई सामान्य चुनाव भर नही है। यह वस्तुतः सभ्यताओ के संघर्ष का वह युद्ध है जिसमे सनातन हिंदुत्व की वैश्विक स्थापना होने वाली है। यह भारत की सनातन संस्कृति की स्थापना का संघर्ष है जिसमे दुनिया एक त्रिभुज का आकार लेने वाली है। अभी तक यह धरती ईसाइयत और इस्लाम के वर्चस्व की जंग में चोटिल और लहूलुहान होती रही है। पहली बार विश्व को शांति प्रदाता भारतीय सनातन संस्कृति दिखी है और दुनिया की निगाहें अंततः इसी पर आकर टिक गई हैं। इस चुनाव की इस वैश्विक रूपरेखा को दुनिया ने उसी समय समझ लिया था जब भारत का प्रधान मंत्री विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों से लगायत दर्जनों देशो में अपनी जनसभाओं के माध्यम से यह संदेश देना शुरू कर दिया था कि संबंधित देश की धरती पर भी भारतीय सनातन की उपस्थिति है और उसे नजरअंदाज नही किया जा सकता। विश्व के इतिहास में यह पहली बार हो रहा था कि एक अन्य देश का प्रधानमंत्री किसी अन्य देश मे जनसभाएं कर रहा था। भारत समेत विश्व के कथित बुद्धिजीवियों को यह बात उसी समय समझ मे क्यो नही आई, यह ताज्जुब की बात है।
भला कोई प्रधानमंत्री किसी दूसरे देश के जनसभा क्यो करेगा । वह से उसको चुनाव तो लड़ना नही है। लेकिन ऐसा हुआ । भारत के प्रधानमंत्री की उन जन सभाओं की भाषा पर जिन्होंने गौर किया होगा उनको अंदाजा होगा कि आखिर जनसभा का उद्देश्य तो होगा। यदि भारत के संदर्भ में सोचा जाय तो यहां के प्रधानमंत्री ने उसी समय इस चुनाव की बुनियाद मजबूत कर दी थी।
आलोचक लोग प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं को लेकर काफी टिप्पणियां करते हैं लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि भारतीय सनातन संस्कृति और सभ्यता के प्रसार का ही यह प्रतिफल रहा कि इस बार के प्रयाग कुम्भ में 72 देशो ने अपने ध्वज स्थापित किये। जो भी विदेशी कुम्भ तक आया वह हिंदुत्व और सनातन से अभिभूत होकर लौटा। हिदुत्व के वैश्विक विस्तार की यह नई शुरुआत जैसी बात लगी। आज जब भारत के लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं तो ऐसा पहली बार हो रहा है कि गैर भाजपाई पार्टियों के नेताओ के सिर से वे जालीदार टोपियां गायब हैं। प्रियंका वाड्रा को मजबूरी में रुद्राक्ष धारण करना पड़ रहा है। अचानक सभी मंदिरों से मुखातिब होने लगे हैं । चुनाव जितना नजदीक आ रहा है प्रधानमंत्री पर तरह तरह के शाब्दिक हमले किये जा रहे है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि भारत मे चुनावी जंग में शामिल बहुतेरे लोगो को इस जंग की वैश्विक महत्ता का अंदाजा तक नही है। उनको यह पता ही नही है कि विगत चार वर्ष और कुछ महीनों के भीतर हमारे प्रधानमंत्री ने दुनिया की जंग रत सभ्यताओ को ऐसी चुनौती में डाल दिया है जहां से मिशनरियों और जेहादियों को स्वयं के अस्तित्व का खतरा नजर आने लगा है । ईसाइयत और इस्लाम की जंग में हिंदुत्व की सनातन परंपरा ने त्रिभुज के कर्ण की जगह ले ली है।
वंदे मातरं
क्रमशः
Bahut Achchha Post..
ReplyShree ram ji aapka bhala kare..🚩🚩🚩