बाहुबली : अमर चित्रकथा बनी प्रेरणा 


संजय तिवारी 


बाहुबली तेलुगू और तमिल भाषाओं में बनी एक भारतीय फ़िल्म है। यह हिन्दी, मलयालम व कुछ विदेशी भाषाओं में भी बनी है तथा इसे 10 जुलाई 2015 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। इसे एस॰एस॰ राजामौली ने निर्देशित किया है। प्रभास, राणा डग्गुबती, अनुष्का शेट्टी और तमन्ना ने मुख्य किरदार निभाए हैं। इसमे रम्या कृष्णन, सत्यराज, नासर, आदिवि सेश, तनिकेल्ल भरनी और सुदीप ने भी कार्य किया है। फ़िल्म की कुछ खास बातों में से एक रही इस फिल्म में चित्रित कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक कृत्रिम भाषा जिसका निर्माण मधन कर्की ने लगभग 750 शब्दों और 40 व्याकरण के नियमों द्वारा किया। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी फ़िल्म के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया गया हो।

किलिकिलि नाम की नयी भाषा मिली 

किसी भी भारतीय फिल्म के लिए ये पहला मौका है जब उसके लिए कोई नई भाषा रची गई है। एसएस राजामौली की ब्लॉकबस्टर 'बाहुबली’ में ऐसा किया गया है। तीन दिन में करीब 160 करोड़ की वैश्विक कमाई कर चुकी इस फिल्म में कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली भाषा किलिकिलि बनाई गई। इस भाषा में कथित तौर पर 750 शब्द और 40 व्याकरण के नियम हैं। इससे पहले ऐसा सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों में ही किया गया है। जेम्स कैमरॉन ने 'अवतार’ और 'द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ सीरीज में भी ऐसी भाषाएं रची जा चुकी हैं जिनकी बाकायदा डिक्शनरी हैं, जिनमें व्याकरण के नियम हैं।

माहिष्मती साम्राज्य 

भारत के प्राचीन साम्राज्यों में से एक माहिष्मति, की रानी शिवागामी (रमैया कृष्णन), एक विशाल जलप्रपात के निकट की मांद से एक शिशु को गोद लिए बाहर आती है। वह बड़ी निडरता से अपने पीछा करते सिपाहियों को मार डालती है और शिशु की रक्षा खातिर स्वयं के प्राण बलिदान देती है। ऐन समय पर, स्थानीय ग्रामीण पानी में डूबी रानी की ऊपर उठी बांह में शिशु को देख लेते हैं और उस बच्चे को सुरक्षित बचा लेते हैं।

इस तरह रानी पर्वत की ऊँचाई से गिरते जलप्रपात में डूब कर विलीन होती है। सांगा (रोहिणी) एवं उसके पति उस शिशु का नाम शिवा रखते हैं और अपने बालक समान ही परवरिश करते हैं। गुजरते समय के साथ शिवा (प्रभास) एक बलवान युवक के रूप में बड़ा होता है जिसकी आकांक्षा पर्वत चढ़ने की रहती है और कई बार की वह नाकाम प्रयत्न करता है। एक रोज उसे जलप्रपात में बहते हुए किसी युवती का मुखौटा मिलता है। उस युवती की पहचान ढूंढने की चाह में, वह पुनः पर्वत चढ़ाई का प्रयास करता है और आखिरकार वह सफल भी होता है।

जलप्रपात के शिखर पर, शिवा उस मुखौटे की मालिक अवनतिका (तमन्ना) को खोज निकालता है, एक विद्रोही योद्धा जिसका दल गुरिल्ला पद्धति के जरिए माहिष्मति साम्राज्य के राजा भल्लाल देव/पल्लवाथेवान (राणा दग्गुबती) के विरुद्ध युद्ध लड़ रहा है। दल का लक्ष्य है कि वे पूर्व महारानी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) को छुड़ाए जिन्हें राजमहल में गत २५ वर्षों से ज़जीरों में जकड़ रखा है। और यह महत्वपूर्ण जिम्मेवारी अवनतिका को सौंपा गया है। अवनतिका को शिवा की यह बात सुन प्रेम होता है कि वह इस जलप्रपात की तमाम मुश्किलों पर चढ़ाई करता हुआ सिर्फ उसके लिए आया है। शिवा अब इस अभियान को अपने जिम्मे लेने वचन देता है और छिपते-छुपाते हुए माहिष्मति में प्रवेश कर देवसेना को कैद से मुक्त कराता है। शिवा उसे छुड़ा लाता है और साथ लेकर भाग निकलता है मगर जल्द ही राजा का शाही गुलाम कट्टप्पा (सत्यराज), जिन्हें बेहतरीन युद्धकौशल के लिए जाना जाता है, उसके पीछे पड़ता है। मगर घात लगाए भद्रा (अदिवि शेष), भल्लाल देव का पुत्र, अचानक ही शिवा के सर पर वार करता है, मगर कटप्पा अपने शस्त्र गिरा देता है जब उसे मालूम होता है कि शिवा असल में माहेन्द्र बाहुबली है, दिवंगत राजा अमरेंद्र बाहुबली का पुत्र।

फिर यहां भूतकाल में हुए राजा अमरेंद्र बाहुबली की विगत घटनाओं का उल्लेख होता है। अमरेंद्र की माता की मृत्यु उसके जन्म पश्चात होता है, जबकि पिता उससे काफी पूर्व ही गुजर चुके होते हैं। शिवागामी अपने अंगरक्षक कटप्पा के सहयोग से नए राजा चुने तक साम्राज्य के शासन की बागडोर संभालती है। वह अमरेंद्र बाहुबली तथा भल्लाल देव को समान रूप से परवरिश देती है, उन्हें कला, विज्ञान, छल-विद्या, राजनीति और युद्ध कला जैसे कई विद्याओं एवं प्रशिक्षण में पारंगत किया जाता है, मगर दोनों में ही साम्राज्य के शासन की अभिलाषा भिन्न रहती है। जहाँ अमरेंद्र बाहुबली का लोगों के प्रति उदारवादी व्यवहार करते है तो भल्लाल देव बेहद कठोर हैं और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए हर संभव निष्ठुरता बरतता है, यहां तक कि वह बाहुबली की हत्या भी करा देते है।

जब माहिष्मति को शत्रु कालाकेयास द्वारा युद्ध की चुनौती मिलती है, शिवागामी वचन देती है कि जो कोई भी कालाकेयास के राजा का सिर काटकर लाएगा उसे नया राजा बना दिया जाएगा और इस तरह दोनों नातिनों के बीच बराबरी से युद्ध साधनों का बंटवारे का आदेश दिया जाता है। लेकिन भल्लाल देव के अपाहिज पिता, बिज्जाला देव (नस्सर), छल-प्रपंच द्वारा भल्लाल को अधिक से अधिक युद्ध साधन मुहैया कराता है। युद्ध में जब माहिष्मति एक दफा असफल होकर अपना अंत समझ लेती है, अमरेंद्र अपने सैनिकों को उसके साथ मृत्यु से ही लड़ने को पुनः प्रेरित करता है और शत्रुओं को कुचलकर युद्ध समाप्त करता है। मगर भल्लाल देव पहले ही कालाकेया के राजा का वध कर देता है, शिवागामी बतौर नये शासक के रूप में अमरेंद्र बाहुबली का चयन उसके युद्ध में श्रेष्ठता और नेतृत्वता के फैसले पर घोषणा करती है तो भल्लाल देव को उसके साहस और पराक्रम के लिए सेनानायक बनाती है।

इस पूर्व घटनाओं के बाद, जब राजा अमरेंद्र के बारे में प्रश्न किया गया, तो भावुक कटप्पा राजा के देहांत होने की बात कहता है, और कटप्पा स्वयं को ही उनकी मृत्यु का जिम्मेदार बताता है।


फिल्म के निर्माता राजामौली बताते हैं - मैं तब 7 वर्ष का रहा था जब भारत में प्राकशित अमर चित्र कथा पढ़ा करता था। इनमें किसी महानायक या सुपरहीरो के विषय नहीं होता था, लेकिन भारत से जुड़ी लोककथाओं, दंतकथाओं और ऐसे ही कई कहानियों का इसमें चित्रण किया जाता था। पर उनमें से अधिकतर कहानियाँ भारतीय इतिहास को रेखांकित करती थी। मैं महज उन राजमहलों, युद्धों, राजाओं-महाराजाओं की कहानियों को पढ़ता ही नहीं था बल्कि उन्हीं कहानियों को अपने तरीके से मेरे दोस्तों को सुनाया करता था।

 मुख्य कलाकार 

प्रभास - शिवडु उर्फ माहेन्द्र बाहुबली एवं अमरेंद्र बाहुबली की भूमिका में
राणा डग्गुबती - भल्लाल देव/पल्लवाथेवान
अनुष्का शेट्टी - महारानी देवसेना
तमन्ना - अवनतिका, एक विद्रोही योद्धा और शिवा की प्रेयसी
रमैया कृष्णन - शिवागामी, शिवा की पालक माता
सत्यराज - कट्टप्पा, राज अंगरक्षक
नास्सर - बिज्जालादेव, भल्लाल देव के अपाहिज पिता
रोहिणी - सांगा
तन्नीकेला बहारणी - स्वामीजी
अदिवि शेष - भद्रा, भल्लाल देव का पुत्र
प्रभाकर - राजा कालाकेया
सुदीप (अतिथि भूमिका) - असलम ख़ान
एस. एस. राजामौली (अतिथि भूमिका) - क्रेता
नोरा फ़तेही (अतिथि भूमिका) - नृतक, हरे रंग के परिधान में।
स्कार्लेट मेलिश विल्सन (अतिथि भूमिका) - केसर रंग के परिधान में।
स्नेहा उपाध्याय (अतिथि भूमिका) - नीले रंग के परिधान में।
राकेश वैर्रे -भल्लाल देव का मित्र
तेजा काकुमनु - साकेथुडु
भरानी -मर्थण्डा
सुब्बार्या शर्मा
अदात्या - राज गुरू

निर्माण

प्रभास, राणा और अनुष्का ने इस फिल्म के लिए घर में भी काम किया और कड़ी मेहनत से प्रभास और राणा ने घुड़सवारी सीखी और तलवार से लड़ने का भी अभ्यास किया। इस कारण यह फिल्म के निर्माण और प्रदर्शन में अधिक समय लगा और यह फिल्म जुलाई २०१५ में प्रदर्शित हो सकी।। तमिल संस्करण के संवाद लिखने के लिए तमिल गीतकार मदन कर्की को चुना गया था। उन्होंने पुराने महाकाव्यों व ऐतिहासिक फिल्मों की तर्ज पर इस फिल्म के संवादों को लिखा है। फिल्म में लड़ाई के दृश्यों के प्रत्येक दृश्य को ध्यान से बनाया गया था और यह इस फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं। एक विशेष दृश्य के लिए, पीटर हेन ने 2000 लोगो और हाथियों को आसपास दिखाया है। के.के. सेंथिल कुमार को फिल्म का छायांकन करने के लिए चुना गया था। एस॰एस॰ राजामौली ने इस फिल्म में कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक भाषा बनवाई। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी ने सिर्फ फ़िल्म में इस्तेमाल के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया हो। इसमें कथित तौर पर 750 शब्द और 40 व्याकरण के नियम हैं।

पात्र चुनाव

अनुष्का शेट्टी जो पहले भी मिर्ची (2013) में काम कर चुकीं हैं को राजमौली ने पुनः इस फिल्म के लिए चुन लिया। इस फिल्म से जुडने के कारण अनुष्का के 2013 और 2014 का पूरा समय पूरी तरह से व्यस्त हो गया।.इससे वे किसी अन्य फिल्म में काम नहीं कर पाई। राणा दग्गुबती को एक मुख्य नकारात्मक किरदार के रूप में चुना गया, जो संयोग से रुध्रमादेवी में भी कार्य कर चुके हैं। इसके बाद सत्यराज जो तमिल फिल्मों में कार्य करते हैं, उन्हें लिया गया। एक अफवाह के अनुसार श्री देवी और सुष्मिता सेन को इस फिल्म में प्रभास की माँ के रूप में लिया जाने वाला था। लेकिन राजमौली ने इस बात का खण्डन किया। इसके बाद मई 2013 में राजमौली ने सोनाक्षी सिन्हा को अनुष्का शेट्टी के स्थान पर हिन्दी संस्करण के लिए रखने से मना कर दिया। एक समाचार के अनुसार श्रुति हासन भी इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाली थीं। लेकिन राजमौली ने इस बात को भी एक अफवाह कहा और कहा की मैंने उनसे किसी भी किरदार के लिए नहीं पूछा था।
कन्नड़ भाषा के एक अभिनेता सुदीप को एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण किरदार के लिए चुना गया। लेकिन जुलाई 2013 में चार दिन के इस काम में उनके और सत्यराज के मध्य विवाद और लड़ाई हो गई। इसके बाद पीटर हिन के साथ भी लड़ाई हो गई। अप्रैल 2013 में अदिवि शेष को उनके पंजा (2011) फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद रम्या कृष्णन को अगस्त 2013 में राजमाता के किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद नस्सर को एक सहायक किरदार के लिए लिया गया। 11 दिसम्बर 2013 को चरणदीप एक नकारात्मक किरदार के लिए चुने गए। उसके बाद 20 दिसम्बर 2013 में तमन्ना को दूसरे महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद राजमौली ने पवन कल्याण, एन टी रामा राव और सुनील के इस फिल्म में कार्य करने की खबर को एक आधारहीन अफवाह कहा।

फिल्मांकन

करनूल में इसकी शुरुआत हुई।

फिल्म को करनूल में 6 जुलाई 2013 से फिल्माया जाना शुरू हुआ। यह राजमौली की एक और फ़िल्म, एगा (2012) के लगभग एक वर्ष के पश्चात बननी शुरू हुई। यहाँ इसे अगस्त 2013 तक पूरा किया गया। इसके बाद बाकी के हिस्से हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी में बने। 29 अगस्त तक का कार्य पूरा हो गया और 17 अक्टूबर को अगले हिस्से को बनाना शुरू किया गया, जो अक्टूबर के अंत तक समाप्त हो गया। लेकिन उसके लिए जो स्थान और सेट बनाया गया था वह बारिश के कारण नष्ट हो गया। उस जगह पर लगभग एक सप्ताह का काम था। इसके बाद प्रभास और राणा ने एक और जगह तलाश की। इसके लिए राजमौली ने सभी से इस बारे में बात की। इस घटना को भी फिल्म के अंत में जोड़ा गया। इसके बाद वह लोग केरल में अगले हिस्से के निर्माण के लिए चले गए। जो 14 नवम्बर 2013 में शुरू हुआ।

केरल के थ्रिसूर जिले का अथिरप्पली जलप्रपात

नवम्बर 2013 के अंत तक फिल्म का बाहर में होने वाला हिस्सा बारिश के कारण नहीं फिल्माया जा सका था। इसके लिए केरल में इसका निर्माण शुरू हुआ। यह 4 दिसम्बर 2013 तक समाप्त हुआ। इसमें केरल के प्रसिद्ध जलप्रपात अथिरप्पिल्ली को भी दिखाया गया है। रमौजी ने मीडिया को बताया की इस फिल्म का सबसे बड़ा हिस्सा हैदराबाद में बना है। इस फिल्म में शहर के लगभग 2000 छोटे कलाकार शामिल हुए थे जिन्होंने 23 दिसम्बर 2013 में एक मैदान में काम किया। इसके लिए वह सभी अक्टूबर 2013 से तैयारी कर रहे थे। एक सूचना में पता चला की अनाजपुर गाँव के किसान इस फिल्म को बनने से रोक रहे हैं। वह कह रहे हैं की इस फिल्म को बनाने के लिए अनिवार्य आज्ञा नहीं ली गई है। इस बात को राजमौली ने नहीं माना। नए वर्ष के समय इस फिल्म के निर्माण को 2 दिनों के लिए रोक दिया गया। इसे 3 जनवरी 2014 से शुरू किया गया। मकर संक्रांति के दौरान इस फिल्म में पुनः रुकावट आई और फिल्मांकन पुनः 16 जनवरी 2014 से शुरू हो सका। इस फिल्म ने 18 जनवरी 2014 को अपने फिल्म के निर्माण के 100 दिन पूरे किए।

रामोजी फिल्म सिटी, जहाँ फ़िल्म का मुख्य हिस्सा बना 

28 मार्च 2014 से रात के समय सारे भाग रामोजी फिल्म सिटी में ही बनाए गए। 5 अप्रैल 2014 को राजमौली ने बताया की लड़ाई का आखिरी हिस्सा का ही निर्माण बचा हुआ है। इसके लिए एक नई तिथि तय हुई। कुछ समय के आराम के पश्चात 20 अप्रैल 2014 को पुनः कार्य शुरू हुआ। पहले भाग के दल को मई 2014 के रमोजी फ़िल्म सिटी में कार्य के पश्चात उन्हें कुछ समय के लिए आराम करने छुट्टी दी गई। उसके पश्चात राणा भी आराम के लिए छुट्टी में चले गए। इसके पश्चात ही तमन्ना जून 2014 से दिसम्बर 2014 तक दल से जुड़ गई। साथ ही सुदीप भी 7 जून 2014 को वापस दल में शामिल हो गए। उनके साथ सत्यराज भी शामिल हो गए। वह सभी गोलकोण्डा किले से एक नए हिस्से के निर्माण में लग गए। यह हिस्सा 10 जून 2014 को समाप्त हुआ। राजमौली ने इसके कुछ हिस्सों को पुनः बनाते हैं, जो पिछले वर्ष भारी वर्षा के कारण रुक गया था। 23 जून 2014 को हैदराबाद में दल के साथ तमन्ना भी शामिल हो गई। इस फ़िल्म का निर्माण हैदराबाद के अन्नपूर्णा स्टूडियो में शुरू हुआ। जिसमें प्रभास, तमन्ना, अनुष्का और राणा ने काम किया। यहाँ फ़िल्म के कुछ महत्वपूर्ण भाग बनाए गए। इसे बनाने में 4 दिन का समय लग गया। इसी दौरान यह दल बुल्गारिया तक यात्रा करता है। यहाँ उस भाग का निर्माण किया गया, जो अक्टूबर 2013 में भारी बारिश के कारण तबाह हो गया था।

महाबलेश्वर, जहाँ धुंध, बारिश और ठण्ड के मौसम में इस फ़िल्म के कुछ भाग बनाए गए।

एक गीत के निर्माण में प्रभास और तमन्ना दोनों रामोजी फ़िल्म सिटी में जुलाई 2014 के तीसरे सप्ताह में के शिवशंकर के द्वारा नृत्य सीखते हैं। यह नृत्य रस्सी आदि के सहारे किए गए, जो सामान्यतः किसी लड़ाई के दौरान उपयोग होते हैं। इसके गाने में के के सेंथिल कुमार द्वारा कई लड़ाई के कई हिस्से लिए गए। इसके अलावा इसमें कई उन्नत प्रभाव भी डाले गए हैं। इसके पूर्ण होने के पश्चात इसका अगला भाग रामोजी फ़िल्म सिटी में पीटर हेन के देख रेख में बनाए गए। 10 अगस्त 2014 में यह बताया गया कि यह पहली तेलुगू फ़िल्म है, जिसे बनाने में 200 दिन लगे। इसके पश्चात एक नया भाग महाबलेश्वर में बनाने का निर्णय लिया गया। यह कार्य 26 अगस्त 2014 को शुरू हुआ। सभी कलाकार और दल इस जगह के बेकार मौसम में भी जिसमें धुंध, बारिश और ठण्ड भी शामिल है। इस हिस्से को पूर्ण कर लिया। इसके पश्चात दल अगले हिस्से के लिए रामोजी फ़िल्म सिटी लौट गया। जहाँ 12 सितम्बर 2014 से निर्माण शुरू हुआ। साबू क्यरिल ने 100 फीट का एक मूर्ति का निर्माण किया।. तेलुगू फ़िल्म संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा हड़ताल के कारण इसके निर्माण में और समय लग गया।

इसके कुछ हिस्से रमोजी फिल्म सिटी में 30 नवम्बर तक प्रभास और राणा के साथ बनाए गए। इसके निर्माण के दौरान तमन्ना को एक कृत्रिम पेड़ पर दिखाया गया। जिसे साबू क्यरिल ने बनाया था। इसमें इस बात को ध्यान में रखा गया था, की तेज हवा में वह कहीं दूर न उड़ जाए। दिसम्बर 2014 में उन्हें 25वें दिन हैदराबाद से बुल्गारिया में स्थानांतरित करना पड़ा। क्योंकि तेलुगू फिल्म के कर्मचारियों ने हड़ताल कर रखा था। वह तीन सप्ताह बाद 23 दिसम्बर 2014 को वापस हैदराबाद लौट आए। इसके बाद निर्माण कार्य चलता गया। इसके बाद निर्माण के लिए राजस्थान से हजारों घोड़ों को खरीदा गया। इसके बाद मार्च 2015 में मनोहरी नामक एक गाना फिल्माया गया।

संगीत

बाहुबली के गाने हिन्दी, तेलुगू और तमिल तीनों भाषाओं में बने हैं। हिन्दी में गानों के बोलों को मनोज मुंतशिर ने और तमिल के सभी गानों के बोल को मधन कर्की ने लिखा है। वहीं इस फ़िल्म में संगीत इसके निर्देशक राजामौलि के भतीजे एम॰ एम॰ कीरवानी ने दिया है।

प्रदर्शन

इस फिल्म का प्रदर्शन 10 जुलाई 2015 को 4 हज़ार से अधिक सिनेमाघरों में किया गया। तेलुगू और हिन्दी के ट्रेलर को 10 लाख से अधिक लोगों ने देखा। इस ट्रेलर को 24 घंटों में फ़ेसबुक पर 1.50 लाख लोगों ने देखा और 3 लाख ने पसंद किया व 2 लाख लोगों ने इसे साझा किया। लेकिन इसे केरल के कुछ ही सिनेमाघरों में दिखाया गया था।

प्रचार

इसके प्रचार के लिए निर्माण के कुछ छोटे दृश्यों को भी प्रदर्शित किया गया था। यह सभी दृश्य अर्का मीडिया वर्क्स के आधिकारिक यूट्यूब खाते में डाले गए थे। इसका प्रचार मुख्य रूप से हैदराबाद में किया गया। इसके लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था जिसमें जीतने वाले को फिल्म के निर्माण स्थल में जाने का मौका मिलता। फिल्म के निर्माण की जानकारी व्हाट्सएप पर लगातार उपलब्ध कराई जा रही थी। इसके प्रचार में इस बात से भी काफ़ी मदद मिली कि यह बीबीसी की एक डाक्यूमेंट्री (भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष) में भी उद्धृत हुई जिसका निर्देशन संजीव भास्कर द्वारा किया गया है।

समालोचना

इसके प्रदर्शन के पश्चात इसे इसके दृश्य प्रभाव, कथन और पृष्ठभूमि के लिए कई सकारात्मक समीक्षा मिल चुकी है। दैनिक भास्कर ने इसे 5 में से 3.5 सितारे ही दिये। इसने राजमौली के निर्देशन की प्रशंसा की और इसके गानों में 2-3 को छोड़ कर सभी गानों को अच्छा और दर्शकों को आकर्षित करने वाला बताया। हरिभूमि ने भी निर्देशन की प्रशंसा की। इसके साथ-साथ प्रभास और राणा दग्गुबती के अभिनय और किरदार की भी प्रशंसा की। 

कमाई

बाहुबली ने पहले ही दिन देश विदेश मे 60-70 करोड़ कमाने वाली भारत की पहली फिल्म का दर्जा प्राप्त किया। बाहुबली ने पहले सप्ताह के अंत तक में 250 करोड़ (US$36.5 मिलियन) की कमाई की। यह चौथी सबसे बड़ी फिल्म है, जिसने तीन दिन में ही 162 करोड़ की कमाई की है। इस फिल्म ने विदेशों में पहले ही दिन 20 करोड़ (US$2.92 मिलियन) की कमाई की। अमेरिका और कनाडा में इसने 1.2 मिलियन डालर (7.2 करोड़ रुपये) की कमाई की। फ़िल्म के हिन्दी संस्करण ने पहले दिन 4.25 करोड़ (US$6,20,500) की कमाई की जो किसी भी डब हिन्दी फ़िल्म के लिये दूसरी सबसे बड़ी कमाई के रूप में दर्ज़ हो गयी। इस तरह बाहुबली देश विदेश में 9 दिन मे 303 करोड़ की कमाई करने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म गयी। हिन्दी संस्करण कि कुल कमाई पहले सप्ताह में 19.50 करोड़ (US$2.85 मिलियन) पहुँच गई।


निर्देशकएस॰एस॰ राजामौली
निर्माताके राघवेंद्र राव
शोबू यर्लागद्दा
प्रसाद देवीनेनी
पटकथाशंकर,
राहुल कोडा,
मधन कर्की,
विजयेन्द्र प्रसाद
कहानीवी॰ विजयेन्द्र कुमार
अभिनेतानीचे देखें
छायाकारके॰के॰ सेंथिल कुमार
वितरकअर्का मीडिया वर्क्स


प्रदर्शन तिथि(याँ)

10 जुलाई 2015

समय सीमा

159 मिनट

158 मिनट (तेलुगू)
159 मिनट (तमिल)

देशभारत
भाषातेलुगू
तमिल
हिन्दी (डब्बिंग)
मलयालम (डब्बिंग)
लागत₹ 120करोड़
कुल कारोबार

₹ 504 करोड़ (यूएस$79 मिलियन)


बाहुबली -2 



बाहुबली के मुरीद काफी दिनों से #WKKB हैशटैग के जरिए बाहुबली-2 को लेकर जोर-शोर से चर्चा कर रहे थे.
WKKB का अंग्रेजी में विस्तार है Why Katappa Killed Baahubali? हिंदी में ये बेहद लोकप्रिय सवाल है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा? ये सवाल बाहुबली सीरीज की पहली फिल्म के आखिरी सीन से उठा था. बात दो साल पुरानी हो गई, मगर सवाल का जवाब नहीं मिला. अब चाहने वालों को उम्मीद थी कि बाहुबली-2 में इस सवाल का जवाब तो जरूर मिलेगा. लेकिन दर्शकों के सामने इस सवाल के साथ एक और सवाल खड़ा हो गया. #DRTOHS.
पहली फिल्म में आदिवासी युवक शिवुदू को पता चलता है कि वो तो महान अमरेंद्र बाहुबली का बेटा महेंद्र बाहुबली है. उसका महिषमति साम्राज्य का सिंहासन उसके निर्दयी चचेरे भाई बल्लभदेव और चाचा बिज्जलदेव ने छीन लिया था.
बाहुबली-2 में महेंद्र को अपना सिंहासन छीने जाने की कहानी पता चलती है. जिसके बाद वो अपने पिता और मुंहबोली दादी शिवागामी की मौत का बदला लेता है. साथ ही वो अपनी मां देवसेना को कैद से छुटकारा दिलाता है.पहली फिल्म की तरह ही बाहुबली-2 में काल्पनिक कहानी है. पौराणिक किरदार हैं और राजमहल की साजिशें हैं. इन्हें शानदार तस्वीरों की मदद से बड़े पर्दे पर और भी खूबसूरती से उतारा गया है..बाहुबली-1 के मुकाबले किस्सा-कहानी और पुराने पड़ चुके रीति-रिवाज की हिस्सेदारी कम हुई है. इसमें पारिवारिक साजिशों का हिस्सा बढ़ा है. स्पेशल इफेक्ट भी खूब डाले गए हैं.

राज से पर्दा उठ चुका है। कटप्पा ने बाहुबली को मारा, इस बहुप्रतिक्षित सवाल का जवाब देश को मिल चुका है। खैर मेरा मकसद ये नहीं है मैं आपको ये बताऊं कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा, वो सब बाद में।
बाहुबली के पहले भाग के साथ ही लोग दूसरे भाग का इंतजार करने लगे थे। दूसरे भाग बाहुबली: द कॉन्क्लूज़न को देखने के लिए लोगों की बेसब्री का तो ये हाल रहा कि कई सिनेमाघरों में टिकट का दाम 2000 तक पहुंच गया। शुरुआती कुछ दिनों के लिए सभी शो हाउसफुल हैं। कटप्पा ने राजमाता शिवागमी के कहने पर बाहुबली को मारा था। कटप्पा ने बाहुबली को मारने से मना किया तो राजमाता ने कहा कि वो खुद बाहुबली को मारेंगी। लेकिन कटप्पा ने बाहुबली को मारने का फैसला इसलिए लिया कि कहीं मां को सब गलत न समझने लगें। अमरेंद्र बाहुबली का बेटा महेंद्र बाहुबली वापस आता है और कटप्पा के साथ मिलकर भल्लालदेव को खत्म कर अपने पिता की साजिशन करवाई गई हत्या का बदला लेता है। ये तो रही फिल्म की स्टोरी।

मैं आप लोगों को ये बताना चाहता हूं कि बाहुबली 3 भी बन सकती है। ये मैं नहीं भाग दो की कहानी कह रही है। भले ही भाग 2 की तरह भाग 3 अपेक्षित न हों, लेकिन बाहुबली: द कॉन्क्लूज़न में कई घटनाएं और कहानियों का रुख अगले भाग की ओर इशारा कर रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर एस राजामौली बाहुबली 3 बनाने की घोषणा कर दें। क्यों बननी चाहिए भाग 3 या क्यों बन सकती है बाहुबली 3, इसके एक दो नहीं कुल 10 कारण हैं-

1- जिंदा हैं भल्लाल के पिता बिज्जलदेव

बाहुबली (प्रभास) को अपनी रणनीतियों से मरवाने वाला भल्लालदेव (राणा दुग्गुबाती) का पिता बिज्जलदेव (नस्सर) अभी भी जिंदा है। महेंद्र बाहुबली ने भल्लालदेव को तो मार दिया लेकिन बिज्ज्लदेव को छोड़ दिया। ऐसे में ये सवाल उठा रहा है कि बाहुबली के दोनों भागों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला ये शख्स अगर जिंदा है तो इसके पीछे कुछ तो कारण होगा ही।

2- कटप्पा को जिंदा रखने का कारण

पहले भाग की तरह इस भाग में भी कटप्पा (सत्यराज) की भूमिका सबसे महत्वपूण रही। या यों कहें कि कटप्पा का रोल सब पर भारी रहा। बूढ़े हो चुके कटप्पा को इस भाग में खत्म किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

3- महेंद्र बाहुबली और अवंतिका की शादी

महेन्द्र बाहुबली और अवंतिका (तमन्ना भाटिया) की शादी इस भाग में नहीं हुई। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगले भाग में दोनों की शादी होगी और कहानी और आगे बढ़ेगी।

4- अवंतिका का रोल छोटा करना

पहले भाग में देवसेना (अनुष्का शेट्टी) का रोल कम था। इस भाग में अवंतिका की झलक मात्र दिखाई गई है। चूंकि देवसेना सख्त तेवर की हैं, तो ऐसे में अगले भाग में सास-बहू की कहानी को बिज्जलदेव अपने सकूनि चाल से आगे बढ़ा सकता है। बाहुबली 2 में महेंद्र भले ही अपनी मां देवसेना से मिल गया हो लेकिन प्रेमिका अवंतिका से उसका मिलन अभी अधूरा है। यानी बाहुबली 3 बनने का रास्ता पूरी तरह खुला है।

5- राजामौली ने भी बनाए रखा है सस्पेंस

बाहुबली 2 को लेकर हुए तमाम प्रमोशनल इवेंट्स में राजामौली के सामने ये सवाल आया कि क्या बाहुबली 3 बनेगी। इसको लेकर उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा। वैसे उन्होंने यह बात कबूली कि पहले बाहुबली को लेकर वेब सीरीज बनाएंगे। ऐसे में राजामौली खुद भाग 3 कही ओर इशारा कर रहे हैं।

6- बाहुबली 2 का आखिरी सीन याद करिए

राजा बनने के बाद महेंद्र बाहुबली ने कहा कि मेरा वचन ही मेरा शासन है। उनके पिता को भी प्रजा राजा के रूप देखना चाहती थी लेकिन उनकी हत्या हो गई। ऐसे में महेंद्र बाहुबली अपने पिता और प्रजा के लिए शासक बन सकते हैं। अगले भाग में उनको कुशल शासक के रूप में पेश किया जा सकता है।

7- पिंडारियों का खत्म न होना

पिंडारियों पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। वीर में सलमान खान पिंडार के रुप में दिखे थे। देवसेना की राज्य को बचाने के लिए बाहुबली ने कुछ पिंडारियों को मारा तो जरूर लेकिन उनका खात्मा नहीं हुआ। ऐसे में अगले भाग में पिंडारी महेंद्र बाहुबली से बदला ले सकते हैं। इसलिए भी अगला भाग बनाया जा सकता है।

8- शिवडु और संगा की कहानी

शिवडु और और उसकी मांग संगा की कहानी तो आपको याद ही होगी। बाहुबली के पहले भाग में जबतक बाहुबली पहाड़ के ऊपर नहीं जाते जबतक उनको अपनी सच्चाई नहीं पता चलती तब तक उनका नाम शिवडु था और उनकी मां का नाम संगा था। भाग दो में संगा के कैरेक्टर को साइलेंट रखा गया है। ऐसे में में उनकी भूमिका को जीवंत करने के लिए भाग तीन बनाई जा सकती है।

9- संन्यासी ने बताई शिव की मर्जी

फिल्म के एकदम आखिरी में एक बच्चा सवाल पूछता है कि माहिष्मती पर शासन किसने किया। क्या महेंद्र बाहुबली और उनके बच्चों का राज चला। इस पर बाहुबली वाले संन्यासी की आवाज में जवाब आता है- शिव की मर्जी मैं क्या जानूं। मतलब इसका जवाब अगले भाग में बताया जा सकता है।

10- हिट फिल्मों की सीरीज का चलन

जैसा की हम हॉलीवुड में देख चुके हैं। हिट फिल्मों की पूरी सीरीज चलती है। दोनों भाग के हिट होने के बाद अगले भाग का तुक इसलिए भी बढ़ सकता है।


केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू फिल्म बाहुबली की तारीफ करते नहीं थक रहे. बाॅक्स आॅफिस पर भारतीय फिल्म इतिहास के तमाम रिकाॅर्ड तोड़ने वाली एस एस राजमौली की फिल्म "बाहुबली 2: द कन्क्लूजन" को उन्होंने पीएम मोदी के मेक इन इंडिया अभियान का चमकता उदाहरण बताया है.विज्ञान भवन में 64 वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी के दौरान उन्होंने हाल में आई और भी फिल्मों की तारीफ की. लेकिन बाहुबली के लिए उनका खास प्रेम झलका. उन्होंने कहा कि- एक के बाद एक आ रही फिल्मों में हमें मेक इन इंडिया की झलक दिखती है. ये फिल्में न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में इसे पसंद किया जा रहा है. चाहे वो दंगल हो, सुल्तान हो या न्यू रिलीज फिल्म बाहुबली. फिल्म बाहुबली भव्यता के मामले में एक पैमाना बन गई है. इसमें हमारे ही लोगों की तैयार की गई हमारे देश की प्रतिभा दिखती है. ये ‘मेक इन इंडिया’ का चमकता उदाहरण है. मैं डायरेक्टर को उनके स्किल और शानदार उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं जिसपर हम सब को गर्व है.
नायडू ने कहा, 1913 में 'राजा हरिश्चंद्र' के बाद से, भारतीय सिनेमा में एक महान बदलाव आया है.सिनेमा की भाषा यूनिवर्सल है. भारतीय सिनेमा ने हमारी सांस्कृति, विविधता, एकता, भाषा और हमारे लैंडस्केप को दुनिया के सामने दिखाने में काफी योगदान दिया है.

हॉलीवुड वाली फीलिंग

इससे पहले भी नायडू ने एसएस राजामौली की तारीफ करते हुए कहा था कि फिल्म बाहुबली भारतीय सिनेमा को नई उंचाईयों तक ले गया है.केंद्रीय मंत्री ने कहा था, ‘इसमें शानदार विजुअल के प्रयोग हैं. जो हॉलीवुड की फिल्म ‘बेन हर’ और ‘टेन कमांडेंट्स’ जैसा एक्सपीरियंस देती है. मैं फिल्म के कैनवास, डायरेक्टर राजामौली के साहस, चरित्र, प्रोडक्शन क्वालिटी से आश्चर्यचकित हूं और इस तरह के ग्लोबल क्वालिटी फिल्म बनाने की प्रशंसा करता हूं.उन्होंने फिल्म देखने के बाद इसकी तुलना हॉलीवुड की फिल्म ‘द टेन कमांडेंट्स’ से की थी।

प्रणाम का महत्व 


महाभारत का युद्ध चल रहा था -
एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि -

"मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"

उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई -

भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए|

तब -


श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो -

श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए -

शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि - अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो -

द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने - 
"अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!

"वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है" ?

तब द्रोपदी ने कहा कि -

"हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया -

भीष्म ने कहा -

"मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"

शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि -

"तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है " -

" अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती " -
......तात्पर्य्......

वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि -

"जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "

" यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "

बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता -

"निवेदन 🙏 सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय।"

क्योंकि:-

प्रणाम प्रेम है।
प्रणाम अनुशासन है।
प्रणाम शीतलता है।              
प्रणाम आदर सिखाता है।
प्रणाम से सुविचार आते है।
प्रणाम झुकना सिखाता है।
प्रणाम क्रोध मिटाता है।
प्रणाम आँसू धो देता है।
प्रणाम अहंकार मिटाता है।
प्रणाम हमारी संस्कृति है।

अद्भुत अनुभव शब्द अध्ययन 


मनीषा 
maneeshashukla76@rediffmail.com 

मानव सभ्यता  के लिए भाषा अद्भुत उपलब्धि है। यह भाषा ही मनुष्य को सृष्टि और समाज से जोड़ती है। भाषा का उद्भव भी उतना ही अद्भुत है क्योकि दुनिया भर में अलग अलग मानव समूह अलग अलग भाषाओ का प्रयोग करते हैं। भाषा के उद्भव और इसके विकास को मनुष्य ने भाषा विज्ञान के रूप में पढ़ने की व्यवस्था बनायीं है लेकिन आज तक वह इसका आदि और अंत तलाश नहीं सका है। आज प्रचलन में जितने भी शब्द हैं ,उनका अध्ययन अपने आप में अद्भुत अनुभव है। 


वास्तव में दुनियाभर की भाषाओं में शब्द निर्माण व अर्थस्थापना की प्रक्रिया एक-सी है। विवाहिता स्त्री के जोड़ीदार के लिए अनेक भाषाओं के शब्दों में अधीश, पालक, गृहपति जैसे एक से रूढ़ भाव हैं। हिन्दी में ‘पति’ सर्वाधिक बरता जाने वाला शब्द है। अंग्रेजी में वह हसबैंड है। फ़ारसी में खाविन्द है। संस्कृत में शालीन। भारत-ईरानी परिवार की भाषाओं में राजा, नरेश, नरश्रेष्ठ, वीर, नायक जैसे शब्दों में “पालक-पोषक” जैसे भावों का भी विस्तार हुआ। यह शब्द पहले आश्रित, विजित या प्रजा के साथ सम्बद्ध हुआ, फिर किसी न किसी तौर पर स्त्री के जीवनसाथी की अभिव्यक्ति इन सभी रूपों में होने लगी।
दम्पति का अर्थ भी गृहपति ही है। यह दिलचस्प है कि पालक, भरतार यानी भरण-पोषण करने वाला जैसी अभिव्यक्ति के अलावा ‘पति’ जैसी व्यवस्था में रहने अथवा निवासी होने का भाव भी आश्चर्यजनक रूप में समान है। अंग्रेजी के हसबैंड शब्द को लीजिए जिसमें शौहर, पति, खाविंद, नाथ या स्वामी का भाव है। पाश्चात्य भाषा विज्ञानियों के मुताबिक पुरानी इंग्लिश में इसका रूप हसबौंडी था। विलियम वाघ स्मिथ इसे बोंडा बताते हैं, जिसका अर्थ है स्वामी, मालिक।
खाविंद अर्थात स्वामी-फ़ारसी में पति को ख़ाविंद कहते हैं जो मूल फ़ारसी खावंद का अपभ्रंश है। इसका अर्थ है शौहर, पति-परमेश्वर, भरतार, सरताज और गृहपति आदि। घरबारी जिसका घरु-दुआर हो-गृहस्थ के लिए घरबारी शब्द बना है घर और द्वार से। घरद्वार एक सामासिक पद है, जिसमें द्वार भी घर जैसा ही अर्थ दे रहा है। द्वार से ‘द’ का लोप होकर ‘व’ बचता है जो अगली कड़ी में ‘ब’ में तबदील होता है। इस तरह घरद्वार से घरबार प्राप्त होता है, जिससे बनता है घरबारी।
गृहपति भी है दम्पति। दम्पति का एक अन्य अर्थ है गृहपति। पुराणों में अग्नि, इन्द्र और अश्विन को यह उपमा मिली हुई है। दम्पति का एक अन्य अर्थ है जोड़ा, पति-पत्नी, एक मकान के दो स्वामी अर्थात स्त्री और पुरुष। आजकल सिर्फ़ पति-पत्नी के अर्थ में दम्पति शब्द का प्रयोग होने लगा है जबकि इसमें घरबारी युगल का भाव है। दम में है आश्रय। यह जो दम शब्द है, यह भारोपीय मूल का है और इसमें आश्रय का भाव है। दम यानी डोम यानी गुम्बद। गुम्बद के लिए अंग्रेजी का डोम शब्द हिन्दी के लिए जाना-पहचाना है। सभ्यता के विकास क्रम में डोम मूलतः आश्रय था। सर्वप्रथम जो छप्पर मनुष्य ने बनाया वही डोम था। बाद में स्थापत्य कला का विकास होते-होते डोम किसी भी भवन के मुख्य गुम्बद की अर्थवत्ता पा गया मगर इसमें मुख्य कक्ष का आशय जुड़ा है जहां सब एकत्र होते हैं। लैटिन में डोमस का अर्थ घर होता है, जिससे घरेलू के अर्थ वाला डोमेस्टिक जैसा शब्द भी बनता है।

प्रखर हिंदुत्व के नायक योगी आदित्यनाथ 


संजय तिवारी 

वह गोरखपुर से भाजपा के सांसद हैं। वह बीजेपी के फायर ब्रांड नेता हैं। पूर्वांचल में उन्हें हिंदुत्व के पुरोधा के रूप में जाना जाता है। नाथ सम्प्रदाय के भक्तों के लिए वह धर्मगुरु हैं। लेकिन बहुत काम लोगो को यह जानकारी होगी कि योगी आदित्यनाथ केवल एक धर्म गुरु और राजनेता ही नहीं बल्कि बहुत सफल लेखक , पत्रकार और स्तंभकार भी हैं। योगी की लेखन क्षमता , शैली और उनके विषय हमेशा नयी पीढ़ी के लिए मार्गदर्शिका के रूप में रहे हैं। भारती संस्कृति , अध्यात्म , राजनीति और राष्ट्रीयता उनके पसंदीदा विषय रहे हैं। वही जितने अच्छे वक्ता हैं उतने  ही प्रभावशील लेखक भी हैं। वह युगवाणी मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक हैं। साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्दवी के भी  संपादक हैं।  योगी आदित्यनाथ अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।


आज के आदित्यनाथ वही हैं जिनका जन्म पौड़ी जिले के पंचेर गांव में नंद सिंह बिष्ट के घर पांच जून 1972 को हुआ था। 14 सितंबर 2015 को उनके जीवन में नया अध्याय जुड़ गया। महंत अवैद्यनाथ के समाधिस्थ होने के साथ ही बेशुमार लोगों और संत समाज के गणमान्य लोगों के बीच उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर का दायित्व संभाल लिया। वैसे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र जीवन से ही हो गई थी। गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल करने तक उनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रखर कार्यकर्ताओं के रूप में होने लगी थी। नाम के अनुरूप बाल्यावस्था से हर काम की तेजी से अजय ने न सिर्फ अपने अजेयभाव का प्रदर्शन किया बल्कि कम उम्र में संत पंथ को अपनाकर न सिर्फ आदित्यनाथ बन गए बल्कि वोटों की शक्ल में आम लोगों का दिल जीतकर 1998 में सबसे कम उम्र सांसद बनने का गौरव भी हासिल किया।
 जहां तक योगी के जीवन यात्रा की कहानी का प्रश्न है, वह किसी फ़िल्मी कथानक से कम नहीं है। महज़ 22 साल की उम्र में परिवार त्यागकर वह योगी स्वरूप में आ गए। 1993 से अपना केंद्र गोरखपुर बना लिया और गोरखनाथ मंदिर में निरंतर बढ़ते सेवाभाव ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को उनको गोरक्षपीठाधीश्वर के उत्तराधिकारी की पदवी तक पहुंचा दिया। इसके बाद 1998 में जब फिर लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई तो गोरक्षपीठाधीश्वर ने अपनी सियासी विरासत भी उन्हें सौंपते हुए चुनाव लड़ाने का फैसला लिया क्योंकि पूर्व महंत दिग्विजय नाथ और अवैद्यनाथ इससे पहले चुनाव लड़ चुके थे। इस चुनाव को जीतकर उन्हें सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। उसके बाद से वह लगातार पांचवीं बार चुनाव जीतकर बाल्यावस्था के अपने नाम के अनुरूप खुद के अजेय भाव को प्रदर्शित कर रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उनके भाषण ने ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ को प्रभावित किया और उनके आह्वान पर रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए। गतिविधियों के साथ काम के प्रति समर्पण का भाव बढ़ता देख महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें अपना शिष्य बनाने पर हामी भर दी। 1996 के लोकसभा चुनाव में जब महंत अवैद्यनाथ गोरखपुर संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे तो चुनाव का कुशल संचालन करके उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझबूझ का खासा परिचय दिया।
 जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथ पंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। अपने धार्मिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के साथ-साथ योगी निरंतर समाज से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए प्रयास करते रहते हैं। व्यक्तिगत समस्याओं से लेकर विकास योजनाओं तक की समस्याओं का हल वे बहुत ही धैर्यपूर्वक निकालते हैं।
 हिन्दू जनमानस में अपनी ख़ास पहचान रखने वाले गोरखपुर का ‘गोरक्ष पीठ’ नाम का मठ नाथ सम्प्रदाय के हठ-योगियों का गढ़ रहा, जाति-पाति से दूर इस सम्प्रदाय की शाखा तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर पूरे पश्चिम उत्तर भारत में फैली थी। नाथ संप्रदाय को गुरु मच्छेंद्र नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ को हिन्दू समेत तिब्बती बौद्ध धर्म में महासिद्ध योगी माना जाता है। रावलपिंडी शहर को बसाने वाले राजपूत राजा बप्पा रावल के गोरखनाथ को अपना गुरु मानते थे व इन्हीं की प्रेरणा से मोरी (मौर्या) सेना को एकत्र कर मुहम्माब बिन कासिम के नेतृत्व में अरब हमलों से भारत की रक्षा की, आज उसी प्रकार से ‘समाज की रक्षा’ गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी होने के नाते योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं।
 योगी की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश का पूर्वी हिस्सा है, जिसमें गोरखपुर मंडल के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती मंडल के बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर और आज़मगढ़ मंडल के आज़मगढ़, बलिया, मऊ जिले शामिल हैं। ये तीनों मंडल एक ख़ास विचारधारा से प्रभावित हो साम्प्रदायिकता का जवाब साम्प्रदायिकता की राजनीति की तरफ आकृष्ट हुए हैं। कई दशकों से मठ आधारित ये राजनीति अपने शुरुआती दिनों के नरम हिंदुत्व से उग्र हिन्दुत्ववादी हो चुकी है तो इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ के आक्रामक स्वाभाव को ही जाता है। पूर्व में इसी विचारधारा के तहत महंत अवैद्यनाथ ने 1989 और 1991 में गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीता व उनके बाद से उनके उत्तराधिकारी बने योगी आदित्यनाथ ने लगातार 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव जीत कर अपनी राजनीति के सफल होने का प्रमाण दिया।
 जनप्रतिनिधि के रूप में उन्होंने जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव और उसके उपचार के लिए उल्लेखनीय प्रयास किये, उसके अलावा गोरखपुर में सफाई व्यवस्था व राप्ती नदी पर बांध बनवाने जैसे कई विकास के कार्य कराए हैं। सदियों से श्रद्धा का केंद्र रहने वाले गोरखनाथ पीठ के महंत होने की वजह से वे कभी भी मतदाता के सामने हाथ नहीं जोड़ते, उल्टे मतदाता उनके पैर छूकर आशीर्वाद मांगते हैं। सांसद होने के नाते कोई समस्या बयान करता तो वे सरकारी प्रक्रिया का इंतज़ार किये बिना तुरंत संबंधित अधिकारी से बात कर समस्या का अपने स्तर पर निपटारा कर देते हैं। कुछ वर्ष पहले एक माफिया डॉन के द्वारा उनके एक मतदाता के मकान पर कब्जे से क्षुब्द, योगी ने सीधे ही उस मकान पर पहुँच अपने समर्थकों के द्वारा उसे कब्जे से मुक्त करवा दिया। ऐसे कई और मामले हैं जो उनकी धार्मिक रहनुमाई से रोबिनहुडाई तक के सफ़र की कथा बयान करते हैं।


2009 में पार्टी पर मजबूत पकड़, मठ से प्राप्त धार्मिक हैसियत, विकास और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे युवाओ के संगठन के बदौलत उन्होंने करिश्माई रूप से स्वयं की गोरखपुर शहर व् कांग्रेस के दिग्गज महावीर प्रसाद को कमलेश पासवान से हरवा कर बांसगांव लोकसभा सीट जीत ली.आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर सिर्फ चुनाव लड़ते हैं, और पार्टी की भी राज्य में अपने घटी हैसीयत के कारण उनकी ब्रांड वाली राजनीति को मजबूरन स्वीकारना पड़ता है।  वे पार्टी की सांगठनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करके उसके पदों पर अपने समर्थकों को तो बिठाते हैं पर भाजपा संगठन की बनिस्बत वे अपने जन कार्यक्रम  हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा के बैनर तले चलाते हैं।   योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली, उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए। योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है।

2008 में हुआ था जानलेवा हमला

7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे, यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ को गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किए गए जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी। डीएम ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है, तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने के लिए अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। उनपर कार्यवाही का असर हुआ और मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला हो गया।

योगी की संसदीय यात्रा 

1998 : 12वीं लोक सभा के लिए पहली बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।
1999 : 13वीं लोक सभा के लिए दूसरी बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।
2004 : 14वीं लोक सभा हेतु पुनः तीसरी बार निर्वाचित।
2009 : 15वीं लोक सभा हेतु पुनः चौथी बार निर्वाचित।
2014 : 16वीं लोक सभा हेतु पुनः पाँचवी बार निर्वाचित।

लेखक और पत्रकार भी हैं योगी 

यह संयोग ही है कि व्यक्तिगत रूप से योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक अवतरण से लेकर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी द्वारा राजनीतिक उत्तराधिकार घोषित करने के क्षणों का गवाह रहने का मुझे भी अवसर मिला है। इस अवधि  में योगी आदित्यनाथ के आध्यात्मिक , सांस्कृतिक और लेखकीय गतिविधियों को भी मैंने करीब से देखा और समझा है। लिखने की उनकी बेचैनी राज ही दिखती है। वह प्रतिदिन दैनंदिन लिखने वाले व्यक्ति हैं। उनके उत्तराधिकारी बनने के बाद से गोरक्षपीठ से जुडी संस्थाओ में एक अलग प्रकार का परिवर्तन भी आया है। राष्रीय , अंतर राष्ट्रीय संगोष्ठियों के आयोजन से लेकर गंभीर विचारो के प्रकाशन तक में वह खुद बहुत रूचि लेते हैं।  इस आधार पर यकीन के साथ लिख सकता हूँ कि योगी की लेखन क्षमता अद्भुत है। युगवाणी के प्रबंध संपादक और हिन्दवी के संपादक रहे डॉ प्रदीप राव कहते हैं कि महाराज जी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि युगवाणी और हिन्दवी का सम्पादकीय लेख वह खुद लिख कर देते हैं ,भले ही उनके पास समय की किल्लत रही हो , वे सम्पादकीय आलेख जरूर लिखते हैं।  योगी की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखकऔर पत्रकार का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ वे समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं।
 योगी के संरक्षकत्व में महंत अवेद्यनाथ के जीवन पर आधारित स्मृति ग्रन्थ  किसी कीर्तिमान से कम नहीं है। डॉ प्रदीप राव बताते हैं कि हिन्दवी के सम्पादकीय लेख सच में राष्ट्रीय धरोहर की तरह हैं।  
अत्यल्प अवधि में ही 'यौगिक षटकर्म', 'हठयोग : स्वरूप एवं साधना', 'राजयोग: स्वरूप एवं साधना' तथा 'हिन्दू राष्ट्र नेपाल' नामक पुस्तकें लिखीं। राजनीतिक जीवन : योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्‍हें वर्ष 1999, 2004 और 2009, 20014  के चुनाव में निरंतर बढ़ते हुए मतों के अंतर से विजयी बनाकर पांच  बार लोकसभा का सदस्य बनाया। हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगीजी को विश्व हिन्दू महासंघ जैसी हिन्दुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व सौंपा, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए उन्‍होंने वर्ष 1997, 2003, 2006 में गोरखपुर में और 2008 में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन को संपन्‍न कराया। 

विश्व हिन्दू महा संघ और हिन्दू युवा वाहिनी 


विश्व हिन्दू महासंघ और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे संघठन खड़ा करने वाले योगी आदित्यनाथ की अनगिनत विशेषताएं हैं जिनको महज़ कुछ शब्दों में बाँध पाना बहुत दुष्कर लगता है।एक तरफ विश्व के कई देशो में फैला उनका संगठन विश्व हिन्दू महासंघ की सक्रियता है तो दूसरी तरफ देश के भीतर कई प्रांतो में कार्यरत उनके संरक्षण वाली संस्था हिन्दू युवा वाहिनी की अतिशय लोकप्रियता है।  यह अलग बात है कि उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद से हिन्दू युवा वाहिनी की सदस्यता को फिलहाल रोक दिया गया है। दर असल योगी आदित्यनाथ आज देश में और दुनिया में भी हिंदुत्व के प्रखर चेहरे के रूप में स्थापित हैं। यह स्थापना यूओ ही नहीं है।  इसके लिए इतिहास में झांकना भी जरूरी लगता है। जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने मांगलिक वैदिक मंत्रोच्चारणपूर्वक अपने उत्तराधिकारी पट्ट शिष्य उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। आपने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में उन्होंने सफलता प्राप्त की। योगी के हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गांव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी आदित्यनाथ , धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गए। योगी की संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण केन्द्र सरकार ने उन्‍हें खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया।


योगी के विवादित बयान


1- दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा यूपी कैबिनेट के मंत्री (आजम खान) ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। आज ही मैंने पढ़ा कि अखलाख पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उनकी गतिविधियां बदल गई थीं। क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था। आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है।

2- अगस्त 2014 में लव जेहाद’ को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था, जिसे लेकर काफी हल्ला मचा था। 

3- फरवरी 2015 में योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश के सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे। उन्होंने कहा था कि आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे। मक्का में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वेटिकन सिटी में गैर ईसाई नहीं जा सकता है। हमारे यहां हर कोई आ सकता है।

4- योग के ऊपर भी विवादित बयान देते हुए योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए। उन्होंने ने यहां तक कहा कि लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए।

5- अगस्त 2015 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिमों के बीच ‘उच्च’ प्रजनन दर से जनसंख्या असंतुलन हो सकता है।

6- अप्रैल 2015 में योगी ने हरिद्वार में विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल 'हर की पौड़ी' पर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था।

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लेखक 
संजय तिवारी 
संपादक विचार ,
अपना भारत , हिंदी साप्ताहिक 
लखनऊ 
एवं 
अध्यक्ष , भारत संस्कृति न्यास , नयी दिल्ली 

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मोदी की अमेरिका यात्रा 

महाशक्ति बन कर उभरा भारत 
संजय तिवारी 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बार की अमेरिका यात्रा ने देश को बहुत कुछ दिया है।  अपने प्रधानमंत्रित्व के तीसरे साल और तीसरी बार अमेरिका पहुंच कर मोदी ने जिस तरह के वैश्विक सन्देश दिया और वह उनका जैसा स्वागत हुआ वह अपने आप में ऐतिहासिक ही माना जायेगा। ट्रम्प कार्यकाल में  ऐसा पहली बार हुआ कि अमेरिकी प्रेजिडेंट के निवास यानी व्हाइट हाउस में किसी देश के नेता  का अवसर मिला हो।  यकीनन यह स्थिति साबित करने के लिए पर्याप्त है कि अब अमेरिकी नज़र में भारत केवल एक बाज़ार भर नहीं है बल्कि वह उसी के समकक्ष एक ऐसी ताकत है जिसके साथ के बिना उसका काम नहीं चलने वाला।  के सन्दर्भ में ही नहीं कही जानी चाहिए।  इस यात्रा के और भी पहलू बनते हैं जिनमे सबसे महत्वपूर्ण पाकिस्तान को लेकर साझा बयान में की गयी टिपण्णी है। ऐसा पहली बार हुआ है कि अमेरिका ने खुल कर पकिस्तान की आलोचना की है और विश्व को उसकी आतंकी प्रवृति से अवगत कराया है।  कूटनीतिक दृष्टि से भारत की यह बहुत बड़ी जीत है। इस यात्रा ने चीन को भी बहुत कुछ समझाने में सफलता पायी है।  
दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत और आधिकारियों के स्तर पर जो बातचीत हुई है उससे यह भी संकेत निकलता है कि ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान का स्वीकार करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत व अमेरिका के रिश्ते 21वीं सदी की सबसे बड़ी घटना होगी। अगर ऐसा नहीं होता तो दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में सीधे तौर पर पाकिस्तान को चेतावनी नहीं दी गई होती और न ही चीन को परोक्ष तौर पर साउथ चाईना सी के मुद्दे पर आगाह किया गया होता। ट्रंप की अगुवाई में अमेरिकी सरकार ने चीन और पाकिस्तान के साथ हर संवेदनशील मुद्दे पर भारत का खुल कर समर्थन किया है। संयुक्त बयान में पहली बार भारत और अमेरिका ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को आगाह किया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिलाने के लिए नहीं करे। साथ ही पाकिस्तान से यह भी कहा गया है कि वह मुंबई हमले और इस तरह के अन्य हमलों के दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए कदम उठाये। यह कुछ ही घंटों के भीतर पाकिस्तान को दिया गया दूसरा झटका है। ट्रंप-मोदी मुलाकात से कुछ ही घंटे पहले अमेरिकी सरकार ने हिज्बुल आतंकी सैयद सलाहुद्दीन को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया है। भारत और अमेरिका ने अल कायदा, हिज्बुल, डी-कंपनी, लश्कर, जैश जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के खिलाफ भी अपने सहयोग को लगातार मजबूत करने की बात कही है। इसमें से चार आतंकी सगंठन पाकिस्तान आधारित ही हैं। पहले भी भारत व अमेरिकी सरकार की तरफ से जारी संयुक्त बयान में पाकिस्तान का जिक्र होता था लेकिन पहली बार अब उसे सीधे तौर पर बोला जा रहा है।


यात्रा पर विस्तार से -
अब आइये थोड़ा विस्तार से इस यात्रा पर नज़र डालते हैं। भारत के प्रधानमंत्री 
नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर रविवार को वॉशिंगटन पहुंचे। ज्वाइंट बेस एंड्रियूज एयरपोर्ट पर मोदी का स्वागत अमेरिका में भारत के एंबेसडर नवतेज सरना और उनकी पत्नी अविना सरना ने किया। इससे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट करके मोदी को अपना सच्चा दोस्त बताया। उन्होंने अमेरिकी प्रेसिडेंट के आफिशयल अकाउंट पर ट्वीट किया- भारतीय पीएम मोदी के स्वागत के लिए व्हाइट हाउस तैयार है। अहम स्ट्रैटजिक इश्यूज पर अपने सच्चे दोस्त के साथ चर्चा होगी। सोमवार को मोदी डोनाल्ड ट्रम्प से पहली बार मिलेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई करार होने की उम्मीद है।
 एयरपोर्ट से मोदी का काफिला सीधा विलार्ड होटल पहुंचा, जहां उनके ठहरने का इंतजाम किया गया था । भारतीय समय के मुताबिक, रविवार शाम वो अमेजन के CEO जेफ बेजोस, अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन जिम टैक्लेट, एप्पल CEO टिम कुक, एडोब के CEO शांतनु नारायणन, कैटरपिलर के CEO जिम उम्पलबी, गूगल CEO सुंदर पिचाई, वॉलमार्ट प्रेसिडेंट डग मैकमिलन से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। मोदी ने इससे पहले सितंबर 2015 में भी CEOs के साथ राउंडटेबल मीटिंग की थी। सुंदर पिचाई, सत्या नडेला के साथ डिजिटल इंडिया डिनर किया था। 26 जून को मोदी ट्रम्प से व्हाइट हाउस में मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं की इस पहली मुलाकात पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई थी। 
वॉशिंगटन के ज्वाइंट बेस एंड्रियूज एयरपोर्ट पर मोदी उनके स्वागत में खड़े भारतीयों से भी मिले। मोदी के स्वागत में खड़े लोगों ने भारत माता की जय और मोदी-मोदी के नारे लगाए। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक सीनियर ऑफिशियल ने बताया, "मोदी के दौरे को व्हाइट हाउस स्पेशल बनाने की तैयारी कर रहा है। मोदी के लिए रेड कारपेट वेलकम होगा। मोदी और ट्रम्प एक साथ डिनर करेंगे। ये व्हाइट हाउस में होने वाला वर्किंग डिनर होगा। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के दौरान व्हाइट हाउस में डिनर करने वाले मोदी दुनिया के पहले नेता होंगे।अमेरिका में भारत के एम्बेसडर नवतेज सरना ने बताया, "'ट्रम्प का मोदी को डिनर देना एक खास मौका होगा। ये हमारे लिए सम्मान की बात है। दोनों नेताओं के बीच किन मुद्दों पर बात होगी, इसका अभी अंदाजा लगाना मुश्किल है। लेकिन जिन मुद्दों को शामिल किया जा सकता है, उनमें स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप, डिफेंस, सिक्युरिटी, इकोनॉमिक ग्रोथ और टेररिज्म हो सकते हैं।"
3 साल पहले मेडिसन स्क्वेयर में दी थी स्पीच
प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2014 के अपने पहले अमेरिका दौरे में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन में पॉलिटिकल रॉक स्टार जैसा इवेंट किया था। इसमें 18 हजार लोग शामिल हुए थे। सितंबर 2015 के दौरे में उन्होंने फेसबुक हेडक्वार्टर में मार्क जुकरबर्ग के साथ टाउनहॉल किया था। यहां वे अपनी मां का जिक्र होने पर इमोशनल हो गए थे। हालांकि, 2016 के दौरे पर ऐसा कोई बड़ा पब्लिक इवेंट नहीं हुआ था। लेकिन मोदी ने यूएस कांग्रेस को एड्रेस किया था जो अपने आप में ऐतिहासिक मौका था।




भारत-पाक के साथ अलग-अलग रिश्ते
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले व्हाइट हाउस ने साफ किया कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन की नजर में भारत-पाकिस्तान से रिलेशन का नेचर ही नहीं, बल्कि प्रायोरिटीज भी अलग हैं। एक अफसर के मुताबिक, "भारत के साथ हम एक स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप चाहते हैं। भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम इस ट्रेंड को और मजबूती देना चाहते हैं। इसके लिए को-ऑपरेशन और आपसी हितों पर बातचीत होगी। पाकिस्तान के साथ भी हमारे रिश्ते हैं, लेकिन उनका नेचर थोड़ा अलग है। भारत-पाक से रिलेशन उनकी खूबियों और शर्तों पर आधारित है। एक के साथ दूसरे को मिलाकर नहीं देखा जा सकता। लेकिन अमेरिका दोनों देशों के बीच तनाव कम करना चाहता है।"

भारत में 7000 रिफॉर्म्स किए :210 ट्रिलियन की कंपनियों के CEOs से बोले मोदी

वॉशिंगटन/नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिका के टॉप 21 CEOs से मुलाकात की। इस राउंड टेबल मीटिंग में मोदी ने GST को गेम चेंजर बताते हुए कहा, "पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। बिजनेस को बढ़ावा देने के मकसद से हमारी सरकार ने 7000 रिफॉर्म्स किए हैं।'' बिजनेस लीडर्स को भारत में इन्वेस्ट करने का न्योता देते हुए मोदी ने कहा, "हमारी ग्रोथ ने अमेरिका-इंडिया दोनों को ही पार्टनरशिप में फायदे का मौका दिया है। कंपनियों के लिए इसमें कॉन्ट्रिब्यूशन करने का अच्छा मौका है।" बता दें कि जिन कंपनियों के CEOs से मोदी ने मुलाकात की, उनमें से 19 कंपनियों की मार्केट वैल्यू 210 लाख करोड़ रुपए यानी 210 ट्रिलियन है।

 बिजनेस स्कूलों में पढ़ाया जा सकता है GST

मोदी ने कहा, "GST लागू करना ऐतिहासिक पहल है। इसे अमेरिका के बिजनेस स्कूलों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है।पीएम ने भारत में इनोवेशन, इंटेलेक्चुअल्स के इस्तेमाल, एजुकेशन और पेशेवर ट्रेनिंग के सेक्टर में संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि सफाई, उनके प्रोडक्टस और टेक्नोलॉजी को स्कूल जाने वाली लड़कियों की जरूरतों से जोड़ा जाए।

500 रेलवे स्टेशनों पर टूरिज्म बढ़ाने का मौका
मोदी बोले कि भारत के 500 रेलवे स्टेशनों पर होटल डेवलप करने और इसके जरिए टूरिज्म को बढ़ाने का मौका है। इन होटलों को PPP मॉडल्स पर डेवलपमेंट किया जाना है। इसके साथ ही मोदी ने NDA सरकार की पारदर्शिता, क्षमता, सबका साथ-सबका विकास जैसी चीजों के महत्व पर जोर डाला।

CEOs ने डिजिटल इंडिया और नोटबंदी की तारीफ की
मीटिंग में मौजूद CEOs ने मोदी सरकार के नोटबंदी, डिजिटल इंडिया, जीएसटी, बिजनेस के लिए माहौल अच्छा बनाने, प्रॉसेस आसान करने जैसे सुधारों की तारीफ की। साथ ही, सरकार के डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और दूसरी फ्लैगशिप योजनाओं में सहयोग देने की बात कही।

क्या बोले बिजनेस लीडर्स
1) सुंदर पिचाई (CEO, गूगल):

 ये बहुत अच्छा रहा। कई इंडस्ट्रीज के बारे में चर्चा हुई। मोदी ये खोज रहे थे कि ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्टमेंट कैसे हो। कई अच्छे आइडियाज पर चर्चा हुई। मुझे लगता है कि हर कोई इंडिया में इन्वेस्टमेंट को लेकर काफी उत्साहित था। मैं भी एक्साइटेड हूं कि हम लोग मिलकर क्या कर सकते हैं। GST के लागू होने का इंतजार है। मैं जानता हूं कि ये मुश्किल है, लेकिन इसे लागू होते देखना एक्साइटिंग है। ये दिखाता है कि अगर ठान लिया जाए तो सुधार किए जा सकते हैं।

2) मेरिलिन ए ह्यूसन (CEO, लॉकहीड मॉर्टिन): 
अमेरिका और भारत के बीच बेहद प्रोडक्टिव रिश्तों को कैसे मजबूत किया जा सकता है, इस पर चर्चा करने का मौका मिला। टाटा के साथ F-16 फाइटर जेट्स के प्रोडक्शन के बारे में चर्चा करने का मौका मिला। विश्वास है कि ये पार्टनरशिप इंडिया-अमेरिका की नेशनल सिक्युरिटी और इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी को बढ़ाएगी और हमारे रिश्तों को मजबूत करेगी।

3) टिम कुक (CEO, एप्पल):
 कुक ने मीटिंग से बाहर निकलने के बाद कहा, "अच्छा"।

4) मुकेश आघी, प्रेसिडेंट (USICB):

 CEOs ने पीएम के रिफॉर्म्स की तारीफ की। इंडिया को बिजनेस फ्रेंडली डेस्टिनेशन बनाने की कोशिशों का भी अच्छी तरह जिक्र किया गया। हालांकि, H-1B वीजा पर इस मीटिंग में कोई बात नहीं हुई।

ये है कंपनियों की मार्केट वैल्यू
प्रधानमंत्री जिन 21 CEOs से मिले, उनकी कंपनियों की मार्केट वैल्यू 210 लाख करोड़ रुपए यानी 210 ट्रिलियन है। यह आंकड़ा फोर्ब्स और फॉर्च्यून की लिस्ट के मुताबिक है। बता दें कि 2015 के अपने दौरे में भी मोदी ने यूएस के टॉप 47 CEOs से मुलाकात की। उन CEOs की कंपनियों की उस वक्त मार्केट वैल्यू 300 लाख करोड़ रुपए यानी 300 ट्रिलियन थी।
CEO, कंपनीमार्केट वैल्यू (बिलियन डॉलर)
1शांतनु नारायण, एडोब64.40
2जेफ बेजोस, अमेजन427
3जिम टैक्लेट, अमेरिका टावर कॉरपोरेशन33
4टिम कुक, एप्पल752
5जिम उम्प्लेबाई, कैटरपिलर56
6जॉन चैम्बर्स, सिस्को165.10
7पुनित रेंजेन, डिलाइट35
8डेविड फार, इमर्सन38.30
9मार्क वेनबर्ग, अर्नेस्ट एंड यंग29.60
10सुंदर पिचाई, गूगल600
11जेमी डिमोन, जेपी मॉर्गन11
12मेरीलिन ह्यूसन, लॉकहीड मार्टिन78.30
13आर्ने सोरेनसन, मैरियट इंटरनेशनल34.90
14अजय बंगा, मास्टरकार्ड121.30
15इरेन रोसेनफील्ड , मोंडेलेज इंटरनेशनल67.40
16डेविड रूबेन्स्टीन, कार्लाइल ग्रुप162
17डग मैकमिलन, वालमार्ट221
18चार्ल्स काये, वारबर्ग पिनकस40
19डेनियल यारगिन, IHS मार्किट17.2
कुल3,275 बिलियन डॉलर, यानी 210 लाख करोड़ रुपए (210 ट्रिलियन)

सर्जिकल स्ट्राइक पर किसी ने सवाल नहीं उठाया: मोदी 

अमेरिका दौरे के पहले दिन नरेंद्र मोदी ने रविवार को वर्जीनिया में इंडियन कम्युनिटी को एड्रेस किया। मोदी ने कहा, ''पीएम बनने के बाद आपने मेरे लिए इतने बड़े प्रोग्राम किए कि दुनिया के लिए ये मेरी पहचान बन गए। हमारी सरकार पर 3 साल में कोई दाग नहीं लगा। पहले आतंकवाद की परेशानी को कोई मानने को तैयार नहीं था, लेकिन अब खुद आतंकियों ने कई देशों को इसे समझा दिया। दुनिया ने हमारी सर्जिकल स्ट्राइक की ताकत देखी, पर जिन्हें भुगतना पड़ा उन्हें छोड़कर किसी ने सवाल नहीं उठाए।'' अपनी स्पीच में मोदी ने विदेश मंत्रालय के कामकाज को लेकर सुषमा स्वराज की तारीफ की। इस प्रोग्राम में करीब 600 लोग शामिल हुए। यहां मोदी के लिए खास लंच रखा गया। सोमवार को उनकी मुलाकात डोनाल्ड ट्रम्प से होगी। 1) आप से मिलकर नई ऊर्जा भर जाती है। मोदी ने कहा, ''अमेरिका में बसे हुए मेरे सभी परिवार के लोग। परिवार के लोगों से मिलने का जो आनंद होता है, वो आनंद मैं जब-जब आपसे मिलता हूं, अनुभव करता हूं। ऊर्जा, नई उमंग-उत्साह आप मुझमें भर देते हैं। फिर मुझे आज वो मौका मिला है।'पिछले 20 साल में कई बार मुझे अमेरिका आने का मौका मिला। जब सीएम नहीं था, पीएम नहीं था, तब अमेरिका के करीब 30 स्टेट्स का मैंने भ्रमण किया। हर बार किसी ना किसी स्वरूप में यहां बसे हुए आप सब परिवारजनों से मिलने का मौका मिलता रहा।''
 अमेरिका के प्रोग्राम मेरी पहचान बन गए
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम बनने के बाद आपने इतने बड़े प्रोग्राम किए, जिसकी गूंज आज भी दुनिया में सुनाई दे रही है। न सिर्फ अमेरिकी लीडर्स, दुनिया के नेता भी जब मिलते हैं, तो उनके दिमाग में मेरी पहचान अमेरिका के उसी इवेंट से शुरू होती है। ये सब आप ही लोगों का कमाल है। मैं जानता हूं कि अमेरिका में रहते हुए इस तरह की चीजें ऑर्गनाइज करने में कितनी मेहनत लगती है। उसके बावजूद आप इसको सफल बनाते हैं। इस बार की यात्रा में मैं ज्यादातर लोगों को नाराज करके जाने वाला हूं। कई दबाव और सुझाव थे कार्यक्रमों के। आपका भी मन था बड़ा कार्यक्रम करने का। मैं आज उन लोगों से मिलकर दर्शन करना चाहता हूं, जिन्होंने मेरे पिछले कार्यक्रमों के लिए मेहनत की। समय, धन दिया, निजी कार्यक्रम बदले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विश्व आतंकवाद से परेशान है। कई देश जब भारत आतंकवाद की बात बताता था तो कई देश ऐसे थे, जिन्हें ये गले नहीं उतरता था। उन्होंने भुगता नहीं था। आज समझाने की जरूरत नहीं है, आतंकियों ने खुद समझा दिया है। लेकिन जब हिंदुस्तान सर्जिकल स्ट्राइक करता है तो दुनिया को ताकत का अहसास होता है कि हम संयम रखते हैं, लेकिन जरूरत पड़े तो हम अपने सामर्थ्य का परिचय भी देते हैं। हम कानूनों से बंधे हुए हैं, हम वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करते हैं, ये हमारा चरित्र है। 'हम दुनिया के नियमों का पालन करते हुए हमारे अखंडता, सुरक्षा और आम आदमी की सुख-शांति के लिए कठोर कदम उठाने का सामर्थ्य रखते हैं। हम ऐसा जब जरूरत पड़ी करते रहे हैं और दुनिया हमें कभी भी रोक नहीं सकती। सर्जिकल स्ट्राइक एक ऐसी घटना थी कि दुनिया चाहती तो भारत को कठघरे में खड़ा करत देती, आलोचना होती। पहली बार आपने अनुभव किया होगा कि इतने बड़े कदम पर किसी ने भी एक सवाल नहीं उठाया। जिन्हें भुगतना पड़ा, उनकी बात अलग है। हम दुनिया को समझाने में सफल हुए हैं कि आतंकवाद का कौन-सा रूप हमें परेशान कर रहा है।
उन्होंने प्रवासी भारतीयों से कहा कि ये भारत का बुद्धिधन, अनुभव धन जो विश्व में फैला है, मैं निमंत्रण देता हूं कि अगर आपको लगे कि ये भारत के काम आ सकता है तो इससे उत्तम अवसर कभी नहीं आएगा। अमेरिका में दुनिया के सभी देशों के लोग रहते हैं। यहां रहने वाले हिंदुस्तानी जितना आदर देते हैं, शायद ही दुनिया के किसी लीडर को उतना मिला होगा। कभी लगता है कि इस पीढ़ी के बाद क्या। जो इस पीढ़ी के पास जज्बा है, वो आने वाली पीढ़ी में बना रहेगा क्या? भारत के साथ आपका जुड़ना जरूरी है, निरंतर प्रयास जरूरी है। जिन राज्यों से आप आते हैं, उन राज्यों में अपने यहां अप्रवासी भारतीयों के लिए डिपार्टमेंट बनाए हैं, भारत सरकार ने भी भवन बनाया है।

पाकिस्तान में बेटी को सुषमा घर लेकर आईं
प्रधानमंत्री ने बहुत सी बाते की , जैसे वह अपने परिवार में बैठ कर दुःख दुःख साझा कर रहे हों।  उन्होंने कहा - विदेश मंत्रालय की सामान्य आदमी के मन में विदेश मंत्रालय की छवि टाई पहनने वाले, बड़े लोगों से मिलने वाले की थी। 3 साल में हमारे विदेश मंत्रालय ने मानवता की दृष्टि से नया मुकाम हासिल किया है। 80 हजार से ज्यादा हिंदुस्तानी दुनिया के किसी भी हिस्से में संकट में फंसे तो हमारी सरकार उन्हें उनके घर वापस ले आई। हर पल विदेश में रहते हुए भारतीय को लगता था कि उसे कुछ हो गया तो? 3 साल से वो निश्चिंत है, कि कुछ हो गया तो भारत सरकार की एम्बेसी है। एक मुस्लिम भारतीय बच्ची पाकिस्तान जाकर फंस गई, तब उसने वहां की हिंदुस्तानी एम्बेसी में जाने का फैसला लिया। वो भारत लौटकर आई और हमारी सुषमा जी उसे लेने गईं। मैं जब पहले यहां आता था तो बैठते ही विदेश में रहने वाले हमारे भाई बोलते थे गंदगी की बात। आज मेरे लिए खुशी की बात है कि विदेशों से जितनी चिट्ठियां आती हैं, उनमें अधिकतम चिट्ठियां बदलाव की तारीफ वाली मिलती थीं।

 सुषमा ने विदेश मंत्रालय को गरीब से जोड़ा

प्रधानमंत्री ने बताया कि हमने नीतियों में बड़े परिवर्तन किए हैं। आपने कितने पापड़ बेलकर पासपोर्ट हासिल किए थे। 6-6 महीने में पासपोर्ट मिलता था, आज 15 दिन में मिल जाता है। हर पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट ऑफिस खोल दिए हैं। सोशल मीडिया बहुत ताकत रखता है, मैं भी जुड़ा हुआ हूं। आप भी नरेंद्र मोदी ऐप देखते होंगे, नहीं देखते तो ऐप डाउनलोड कर लीजिए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया की ताकत को दिखाया। आज विदेश मंत्रालय हिंदुस्तान के गरीब से गरीब आदमी से जुड़ गया है। रात के 2 बजे भी अगर दुनिया के किसी हिस्से में कोई मुसीबत में हो तो 15 मिनट में सुषमा जी जवाब देती हैं और 24 घंटे के अंदर उस पर एक्शन लिया जाता है। एक तरह से यहां मैं जो स्वरूप देख रहा हूं, उसमें लघु भारत भी है और लघु अमेरिका भी है। हिंदुस्तान में जब कुछ बुरा होता है तो सबसे पहले आपकी नींद खराब होती है। ये इसलिए होता है कि आपका दिल हर पल चाहता है कि मेरा देश ऐसा कब बनेगा। मेरा देश कैसे बढ़ेगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जो सपने आपने देखे हैं, वो आपके रहते पूरे होंगे। अनुकूल वातावरण मिलते ही आप इतने फले-फूले कि अमेरिका के फलने-फूलने में सहायक बन गए। उसी भारतीय की ताकत से अमेरिका और खुद की विकास यात्रा चलती रही। आपके जैसा ही सामर्थ्य रखने वाले, बुद्धि और प्रतिभा वाले सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी बैठे हैं। वे भी आप जैसे ही हैं। उन्हें अनुकूल वातावरण मिला तो वो सवा सौ करोड़ भारतीय कितनी जल्दी देश बदल देंगे, उसका अंदाजा हम-आप लगा सकते हैं। सबसे बड़ा परिवर्तन जो मैंने महसूस किया है कि हर कोई कुछ करना चाहता है और कुछ ना कुछ कर रहा है, इस संकल्प के साथ कि मेरा देश आगे बढ़े। जब सवा सौ करोड़ देशवासियों का जज्बा, इरादा, कश्मीर से कन्याकुमारी तक अनुभव होता हो, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि पिछले कई सालों तक जो रफ्तार नहीं था, उससे तेज गति से देश आज आगे बढ़ रहा है।

 भ्रष्टाचार के चलते सरकारें बदल गईं
इन दिनों भारत में जिन विषयों पर सरकारें बदनाम होती रहीं और बदलती रहीं, उसका कारण ये नहीं था कि किसी को कुछ चाहिए था और मिला नहीं। असंतोष का कारण वो नहीं था। भारत का आम आदमी, जैसे आप लोगों में संतोष का संस्कार है। जवान बेटा मर जाएगा तो मां-बाप कहेंगे कि ईश्वर की इच्छा थी। ये हमारे सोचने की प्रकृति है। सरकारें बदलने की बड़ी वजह है भ्रष्टाचार, बेईमानी। देश के आम आदमी को नफरत है। 3 साल में अब तक इस सरकार पर दाग नहीं लगा। सरकार चलाने में भी ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं कि व्यवस्था ऐसी बने कि ईमानदारी पैदा हो। टेक्नोलॉजी इसमें बहुत बड़ा योगदान बढ़ रहा है। सामान्य आदमी का स्वभाव अच्छा है तो वो उस रास्ते पर जाना पसंद करता है, सिस्टम में जिम्मेदारी की भावना आती है। हमने देश के आम आदमी को सामान्य आदमी को मिलने वाले फायदों को डायरेक्ट ट्रांसफर स्कीम में कन्वर्ट किया।''

 गैस सब्सिडी के 3 करोड़ घोस्ट क्लाइंट थे
मोदी ने कहा, "भारत में गैस सब्सिडी देते हैं। कानून एक होता है, गरीब से गरीब को भी सब्सिडी जाती है और अमीर से अमीर को भी जाती है। मैंने रिक्वेस्ट की लोगों से कि भाई अगर आपको ईश्वर ने कुछ दिया है तो आप ये सब्सिडी क्यों लेते हैं? आपका एक दिन का जेब खर्च भी इससे ज्यादा होता है। देश के सामान्य आदमी के दिल में देश को आगे बढ़ाने की इच्छा है। वो अपने आपको भागीदार बनाना चाहता है, नेतृत्व करना चाहता है। हमने सब्सिडी सरकार के खजाने में डाल दी। हमने कहा कि ये हम उन गरीब परिवारों को देंगे, जो लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं, मेहनत करते हैं।"मेहनत होती है, लेकिन ट्रांसपेरेंसी नया विश्वास पैदा करती है। हमने बीड़ा उठाया है कि आने वाले 3 साल में 5 करोड़ गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन देंगे, लकड़ी के चूल्हे से मुक्त करेंगे। अभी 11-12 महीनों में करीब 1 करोड़ से ज्यादा परिवारों में हमने सिलेंडर पहुंचा दिए। सब्सिडी देते थे, उसमें बदलाव किया। पहले जो बेचता था, उसे सब्सिडी जाती थी, हमने वो बंद करके, जिसके घर पर जाता है, उसे सब्सिडी दे दी। 3 करोड़ सब्सिडी के घोस्ट क्लाइंट थे, लेकिन खातों में डायरेक्ट पैसा जाने की वजह से वो बच गया और गांवों में स्कूल बन रहा है उस पैसे से।

 दो साल से यूरिया के लिए किसी सीएम की चिट्ठी नहीं आई
आज हिंदुस्तान टेक्नोलॉजी को बल देते हुए व्यवस्थाओं को विकसित कर रहा है। हमारे देश में जो लोग लगातार भारत की चीजों को देखते हैं, जब खेती का सीजन आता है तो यूरिया को पाना मुश्किल होता था। मैं सीएम था तो भारत सरकार को लगातार चिट्ठी लिखता था यूरिया के लिए। जब पीएम बना तो सीएम भी मुझे ऐसी ही चिट्ठी लिखने लगे। पिछले 2 साल से एक भी सीएम यूरिया के लिए मुझे चिट्ठी नहीं लिखता है। कहीं यूरिया की कमी नहीं है, कतारें नहीं है। पहले रात-रात भर कतारें लगाते थे, सोते थे खुले में। हमने रातोंरात यूरिया के कारखाने नहीं लगाए। रातोंरात उत्पादन नहीं बढ़ा। यूरिया की हमने नीम कोटिंग कर दी। नीम के पेड़ की फली निकलती है, उसका तेल डाल दिया। यूरिया में सब्सिडी मिलती है किसानों को। सालाना 80 हजार करोड़ रुपया सब्सिडी मिलती है। पहले यूरिया केमिकल फैक्ट्री में चला जाता था। यूरिया का कोई दूसरा प्रोडक्ट बनाकर ज्यादा मुनाफा कमा लेते थे। नीम कोटिंग के बाद यूरिया का एक ग्राम भी किसी और काम में नहीं लग पाता है। नीम कोटिंग के कारण यूरिया की ताकत बढ़ गई, जो जमीन में सुधार लाता है। 5-7% तक प्रोडक्शन में बढ़ोत्तरी हुई। सब्सिडी कम हुई, किसान की दिक्कत कम हुई, उत्पादन बढ़ा। ये केवल टेक्नोलॉजी के कारण।''
प्रधानमंत्री ने बताया कि तीन साल बेमिसाल रहे हैं। आने वाला हर पल देश को ऊंचे मुकाम पर ले जाने के लिए खपाते रहेंगे। मुझे बताया गया कि फोटो सेशन होने वाला है, मैं जरूर आपके बीच में आऊंगा। इस बीच मैं मीटिंग वगैरह कर लेता हूं। आपका बहुत धन्यवाद।

हॉल में लगे मोदी-मोदी के नारे
मोदी के हॉल में पहुंचने से पहले और स्पीच के दौरान कई बार लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाए। यहां नमामि गंगे प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन दिखाया गया।

सुषमा रात के 2 बजे भी विदेशों में बसे भारतीयों की मदद करती हैं: मोदी

अमेरिका में नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की तारीफ की। उन्होंने कहा कि चाहे रात के 2 क्यों न बजे हों, सुषमा विदेशों में रह रहे भारतीयों की मदद के लिए तैयार रहती हैं। इसके लिए वे सोशल मीडिया पर वे लगातार अपने अफसरों को निर्देश देती हैं।  मोदी ने कहा, "सोशल मीडिया आज एक ताकत बनकर उभरा है। मैं खुद भी उससे जुड़ा हूं। लेकिन सुषमा और उनके विदेश मंत्रालय ने बताया कि इसका बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। मोदी ने कहा कि सुषमा ने डिप्लोमैसी का एक मानवीय चेहरा पेश किया है। विदेश मंत्रालय देश के गरीब से गरीब शख्स से जुड़ा हुआ है। रात के 2 बजे भी अगर दुनिया के किसी हिस्से में कोई मुसीबत में हो तो 15 मिनट में सुषमा जी जवाब देती हैं और 24 घंटे के अंदर उस पर एक्शन लिया जाता है। इसे आप गुड गवर्नेंस कह सकते हैं।

पाकिस्तान में बेटी को सुषमा घर लेकर आईं
मोदी के मुताबिक, "विदेश मंत्रालय की सामान्य आदमी के मन में विदेश मंत्रालय की छवि टाई पहनने वाले, बड़े लोगों से मिलने वाले की थी। 3 साल में हमारे विदेश मंत्रालय ने मानवता की दृष्टि से नया मुकाम हासिल किया है। 80 हजार से ज्यादा हिंदुस्तानी दुनिया के किसी भी हिस्से में संकट में फंसे तो हमारी सरकार उन्हें उनके घर वापस ले आई। हर पल विदेश में रहते हुए भारतीय को लगता था कि उसे कुछ हो गया तो? 3 साल से वो निश्चिंत है, कि कुछ हो गया तो भारत सरकार की एम्बेसी है। एक मुस्लिम भारतीय बच्ची पाकिस्तान जाकर फंस गई, तब उसने वहां की हिंदुस्तानी एम्बेसी में जाने का फैसला लिया। वो भारत लौटकर आई और हमारी सुषमा जी उसे लेने गईं। मैं जब पहले यहां आता था तो बैठते ही विदेश में रहने वाले हमारे भाई बोलते थे गंदगी की बात। आज मेरे लिए खुशी की बात है कि विदेशों से जितनी चिट्ठियां आती हैं, उनमें अधिकतम चिट्ठियां बदलाव की तारीफ वाली मिलती थीं।

सुषमा ने विदेश मंत्रालय को गरीब से जोड़ा

मोदी ने कहा, ''हमने नीतियों में बड़े परिवर्तन किए हैं। आपने कितने पापड़ बेलकर पासपोर्ट हासिल किए थे। 6-6 महीने में पासपोर्ट मिलता था, आज 15 दिन में मिल जाता है। हर पोस्ट ऑफिस में पासपोर्ट ऑफिस खोल दिए हैं। सोशल मीडिया बहुत ताकत रखता है, मैं भी जुड़ा हुआ हूं। आप भी नरेंद्र मोदी ऐप देखते होंगे, नहीं देखते तो ऐप डाउनलोड कर लीजिए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया की ताकत को दिखाया। आज विदेश मंत्रालय हिंदुस्तान के गरीब से गरीब आदमी से जुड़ गया है।




राष्ट्रपति ट्रम्प से पहली मुलाक़ात 

भास्कर डॉट कॉम के अनुसार व्हाइट हाउस में सोमवार को नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच पहली मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की। मोदी ने ट्रम्प को भारत आने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। मोदी ने ट्रम्प की बेटी इवान्का को भी भारत इनवाइट किया। मोदी के दौरे से भारत को दो डिप्लोमैटिक कामयाबी हासिल हुईं। पहला- ट्रम्प से उनकी मुलाकात से पहले अमेरिका ने हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया। दूसरा- मोदी-ट्रम्प के ज्वाइंट स्टेटमेंट में पाकिस्तान का जिक्र आया।

1) महान प्रधानमंत्री हैं मोदी, उनके बारे में पढ़ता रहता हूं
 ट्रम्प ने कहा, "एक महान प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। वे एक महान प्रधानमंत्री हैं। मैं उनके बारे में बात और पढ़ता रहता हूं। वे शानदार काम कर रहे हैं।"
2) दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का स्वागत करना सम्मान की बात
 ट्रम्प ने कहा, "मैं हमेशा आपके देश और लोगों से सीखता हूं। आपके कल्चर और ट्रेडिशन का इतिहास रहा है। ये मेरे लिए सम्मान की बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी के नेता का स्वागत कर रहा हूं। आप व्हाइट हाउस के सच्चे दोस्त हैं।"
3) भारत की इकोनॉमी के लिए मोदी को बधाई
 "भारत की दुनिया की तेजी से बढ़ रही इकोनॉमी है। कई क्षेत्रों में भारत काफी अच्छा कर रहा है। इसके लिए मैं उसे बधाई देना चाहूंगा। किसी और देश की तुलना में भारत की इकोनॉमी में ज्यादा ग्रोथ है।"
4) मोदी को सलाम
 "मैं प्रधानमंत्री मोदी को सैल्यूट करता हूं। मुझे ये कहते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है कि मैं और मोदी सोशल मीडिया के वर्ल्ड लीडर्स हैं।"
5) हम तकरीबन हर बात पर रजामंद हैं
 व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में ट्रम्प ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच कभी इतनी अच्छी और मजबूत रिलेशनशिप नहीं रही, जितनी आज है। हम करीब हर बात पर रजामंद हैं। आज के दिन की बात खत्म होने पर मैं यही कहना चाहूंगा कि हम हर बात पर आपसी सहमति बनाए रखेंगे।"
ऐसी रही दोनों के बीच केमिस्ट्री
 व्हाइट हाउस में मोदी और ट्रम्प ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया। ज्वाइंट प्रेस स्टेटमेंट और मोदी के व्हाइट हाउस से जाते वक्त दोनों गले मिले। ट्रम्प और उनकी वाइफ मेलानिया ने रेड कारपेट पर मोदी का स्वागत किया।
 भारत के फॉरेन सेक्रेटरी एस. जयशंकर ने कहा, "दोनों नेताओं के बीच जबरदस्त केमिस्ट्री देखने को मिली।" एक अन्य अफसर ने कहा कि नेताओं के बीच केमिस्ट्री अच्छी रहे तो बाकी सारी चीजें अपने आप सही हो जाती हैं। मोदी के वेलकम से पहले ट्रम्प ने ट्वीट कर उन्हें सच्चा दोस्त बताया था।

मोदी ने ये तोहफा दिया
 मोदी ने मेलानिया को कश्मीर का हाथ से बना शॉल और हिमाचल की कांगड़ा घाटी के कारीगरों के बनाया सिल्वर ब्रेसलेट भी दिया। इसके अलावा चाय और शहद भी गिफ्ट किया।
 मोदी ने ट्रम्प को अब्राहम लिंकन के निधन के बाद 1965 में जारी किया गया एक पोस्टल स्टेम्प भी दिया। इसके अलावा मोदी ने पंजाब के होशियारपुर की बनी खास लकड़ी की पेटी भी गिफ्ट की।

मोदी ने भी ट्रम्प के बारे में ये कहा
2014 में जब ट्रम्प भारत आए थे तो मेरे बारे में काफी अच्छी बातें कही थीं। पिछले साल प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के दौरान भी उन्होंने भारत को लेकर कई बातें कहीं। मैं उन सब चीजों को याद रखूंगा। मोदी ने इवांका को भारत आने का न्योता दिया। इस पर इवांका ने ट्वीट किया, "ग्लोबल आंत्रप्रेन्योर समिट में मुझे अमेरिकी डेलिगेशन के साथ इनवाइट करने के लिए शुक्रिया, प्रधानमंत्री मोदी।"
दो डिप्लोमैटिक कामयाबी
 नरेंद्र मोदी के यूएस दौरे के आखिरी दिन भारत को दो डिप्लोमैटिक कामयाबी हासिल हुईं। पहला- ट्रम्प से उनकी मुलाकात से पहले अमेरिका ने हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया। दूसरा- मोदी-ट्रम्प के ज्वाइंट स्टेटमेंट में पाकिस्तान का जिक्र आया, जिसकी उम्मीद नहीं की गई थी। साझा बयान में कहा गया कि भारत-अमेरिका पाकिस्तान से कहना चाहते हैं कि वह दूसरे देशों में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए अपनी सरजमीं का इस्तेमाल नहीं होने दे। इससे पहले, मोदी ने ट्रम्प के साथ पहली बार मुलाकात की। दोनों दो बार गले मिले। मोदी ने ट्रम्प, उनकी बेटी इवांका समेत पूरे परिवार को भारत आने का न्योता दिया। 

यात्रा की दस बड़ी बातें 

1) आतंकियों पर लगाम लगाए पाकिस्तान
- साझा बयान में कहा गया, ‘‘दोनों पक्ष पाकिस्तान से यह कहना चाहते हैं कि वह दूसरे देशों में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए अपनी सरजमीं का इस्तेमाल नहीं होने दे। साथ ही 26/11 के मुंबई हमले और पठानकोट हमले के गुनहगारों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।’’
2) भारत-अमेरिका के रिश्तों पर ट्रम्प ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते कभी इतने बेहतर नहीं रहे। भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई इकोनॉमी है। मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही आपकी बराबरी कर पाएंगे। भारत और यूएस के बीच डिफेंस पार्टनरशिप बेहद अहम है। दोनों ही देशों ने आतंकवाद पर लगाम कसी है। हम दोनों देश आतंकी संगठनों और कट्टरपंथी सोच को खत्म करने के लिए कमिटेड हैं। कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करेंगे।"
3) पीएम मोदी! यहां आने के लिए शुक्रिया
 ट्रम्प ने कहा- "शुक्रिया! पीएम मोदी, हमारे साथ यहां होने के लिए आपका शुक्रिया। हमारे लिए आपके देश और आपके लोगों के प्रति काफी सम्मान है। मैंने अपने कैम्पेन के दौरान कहा था कि भारत अमेरिका का सच्चा दोस्त होगा। मेरे मन में हमेशा भारत और भारतीयों के लिए गहरा सम्मान रहा है। आपके कल्चर और ट्रेडिशन का सम्मान रहा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से मोदी जैसे नेता का स्वागत करके मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मोदी और मैं दोनों सोशल मीडिया में वर्ल्ड लीडर्स हैं। मैंने अपने कैम्पेन के दौरान कहा था कि भारत अमेरिका का सच्चा दोस्त साबित होगा और वही हुआ। मोदी ने मेरी बेटी इवान्का को अमेरिकन डेलिगेशन के साथ भारत आने का न्यौता दिया है, जो कि मुझे लगता है कि उसने स्वीकार कर लिया है।"
4) मेरे और भारत के लिए अपनी भावनाएं जाहिर करने का शुक्रिया
मोदी ने कहा, " प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प, फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प, वाइस प्रेसिडेंट, लेडीज एंड जेंटलमैन और मीडिया। सबसे पहले ओपनिंग ट्वीट से लेकर हमारी वार्ता के समापन तक ट्रम्प के मित्रता भरे स्वागत, व्हाइट हाउस में शानदार अतिथि सत्कार के लिए आभार व्यक्त करता हूं। आपने मेरे लिए, भारत के लिए जो भाव व्यक्त किए, उसके लिए आभारी हूं। मैंने ट्रम्प की बेटी इवान्का को न्यौता दिया, उन्होंने स्वीकार किया। मैं उनका स्वागत करने का इंतजार कर रहा हूं। आपने (ट्रम्प) मेरे साथ इतना समय बिताया, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं।"
5) ये यात्रा दोनों देशों के इतिहास का अहम पन्ना
"ये यात्रा और बातचीत दोनों देशों के इतिहास का अहम पन्ना साबित होगी। मेरी और राष्ट्रपति की बातचीत हर तरह से बेहद अहम रही है। क्योंकि, ये विश्वास पर आधारित थी। ये हमारी वैल्यूज, प्राथमिकताओं, चिंताओं और रुचियों में समानता पर आधारित थी। ये भारत और यूएस के बीच परस्पर सहयोग और सहभागिता की चरम सीमाओं की उपलब्धि पर केंद्रित है।"
6) भारत और अमेरिका ग्रोथ के ग्लोबल इंजन
 "हम दोनों ग्लोबल इंजन्स ऑफ ग्रोथ हैं। दोनों देशोें और समाजों का चहुंमुखी आर्थिक विकास और साझी प्रगति ट्रम्प और मेरा मुख्य लक्ष्य था और आगे भी रहेगा।"
7) आतंकवाद से सुरक्षा हमारी प्राथमिकता
 "आतंकवाद जैसी वैश्विक चुनौतियों से हमारे समाजों की रक्षा हमारी प्राथमिकता है। मीटिंग में हमने टेररिज्म, एक्स्ट्रीमिज्म और रेडिकलाइजेशन से विश्व में पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा की और अपना सहयोग बनाने पर भी सहमति बनाई। आतंकवाद से लड़ना और आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना हमारी सहभागिता का अहम हिस्सा होगा। इसमें इंटेलिजेंस और सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ाएंगे, पॉलिसी कोऑर्डिनेशन को मजबूत करेंगे।"
8) अमेरिका ने भारत की डिफेंस कैपेबिलिटी बढ़ाई
 "सुरक्षा चुनौतियों के मुद्दे पर भी हमने चर्चा की है। अमेरिका द्वारा भारत की डिफेंस कैपेबिलिटी के सशक्तिकरण की हम सराहना करते हैं। हमने हर प्रकार से अपने बीच मैरीटाइम सिक्युरिटी कोऑपरेशन को बढ़ाने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच डिफेंस टेक्नोलॉजी, ट्रेड तथा मैन्युफैक्चरिंग की सुदृढ़ता दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामरिक हितों पर जोर दिया है। यूनाइटेड स्टेट से मिलते लगातार समर्थन के लिए हम आभारी हैं। ये हम दोनों के हित में है। भारत और मेरे प्रति मित्रभाव के लिए मैं हृदय से धन्यवाद करता हूं। मुझे भरोसा है कि आपके नेतृत्व में हमारी म्यूचुअल बेनिफिशियल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को नई ऊंचाई मिलेगी।"
9) इंडो-पैसेफिक रीजन में शांति और खुशहाली बनाए रखेंगे
"अफगानिस्तान में आतंकवाद के कारण बढ़ती अस्थिरता हमारी समान चिंता का विषय है। हमने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और सुरक्षा में भूमिका निभाई है। हम वहां शांति और स्थिरता के लिए यूएस से क्लोज कंसल्टेशन, कम्युनिकेशन और कोऑर्डिनेशन बनाए रखेंगे। इंडो पैसिफिक रीजन में खुशहाली, शांति और स्थिरता हमारे स्ट्रैटजिक कोऑपरेशन के मुुख्य उद्देश्य हैं।"
10) उम्मीद है आप मुझे भारत में सत्कार का मौका देंगे
 "भारत-अमेरिका की इस यात्रा में एक उत्तम नेतृत्व के लिए आपका आभार है। दोनों देशों की साझी विकास की यात्रा में मैं आपका ड्रिवेन, डिटरमिन और डिसाइसिव पार्टनर रहूंगा। आपसे बातचीत फलदायक रही है। मंच छोड़ने से पहले में आपको सपरिवार भारत यात्रा के लिए निमंत्रण देता हूं। उम्मीद है कि आप मुझे भारत में अपने स्वागत सत्कार का मौका देंगे।"
वाल स्ट्रीट जनरल के ओपन एडिटोरियल में मोदी ने लिखा

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाल स्ट्रीट जनरल के ओपन एडिटोरियल में लिखा कि भारत और यूएस मिलकर काम करेंगे तो इसका फायदा पूरी दुनिया को होगा। भारत और अमेरिका के बीच ग्रोइंग गवर्नेंस के बारे में उन्होंने कहा कि GST अमेरिकी बिजनेस के लिए बड़ा रिफॉर्म्स है। पूरे विश्वास के साथ वापस लौटा हूं। उम्मीद है कि आने वाले कई दशकों के दौरान हमारी एक जैसी महत्वाकांक्षाओं, मिलेजुले प्रयास और विकास के लिए नई इबारतें लिखी जाएंगी। पिछली बार जून में यूएस कांग्रेस के ज्वाइंट सेशन में मैंने कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते पुरानी झिझक से उबर आए हैं। एक साल बाद मैं फिर वापस आया हूं, इस विश्वास के साथ कि दोनों देशों के बीच मिलकर चलने की भावना मजबूत होगी। ये विश्वास हमारे साझा मूल्यों और तंत्र के स्थायित्व के चलते पैदा हुआ है। हमारे लोगों और संस्थानों ने मजबूती के साथ लोकतंत्र में बदलाव को पुनरुत्थान और नवीनीकरण के उपकरण के तौर पर देखा है।"

इकोनॉमी को रफ्तार

दोनों देशों के बीच ट्रेड मौजूदा समय में हर साल 115 बिलियन डॉलर यानी करीब 73.16 खरब रुपए का है। ये व्यापार कई गुना ज्यादा बढ़ाने की तैयारी है। भारतीय कंपनियों यूएस के मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सैक्टर में योगदान कर रही है। करीब 15 बिलियन डॉलर करीब 9.66 खरब रुपए के इन्वेस्टमेंट के साथ उनकी प्रेजेंस 33 स्टेट्स में है। उन इलाकों में इन कंपनियों की पहुंच है, जहां इंडस्ट्री कमजोर हैं। इसी तरह अमेरिकन इंडस्ट्रीज ने भी भारत में 20 बिलियन डॉलर करीब 12.88 खरब रुपए के इन्वेस्टमेंट के जरिए ग्लोबल ग्रोथ को बढ़ाया है।
भारत के पास आतंक से लड़ने का 40 साल तक का तजुर्बा

रक्षा का क्षेत्र दोनों देशों को फायदा पहुंचाने वाला है। भारत और अमेरिका दोनों समाज और दुनिया को आतंकवाद, कट्टरपंथ से सुरक्षितकरना चाहते हैं। भारत के पास आतंकवाद से लड़ने का चार दशक का अनुभव है और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम अमेरिका के साथ हैं।"
जीएसटी
इंडिया में हुए बदलावों ने अमेरिकन कंपनियों को कमर्शियल और इनवेस्टमेंट के बड़े मौके दिए हैं। जुलाई से लागू हो रहे GST ने एक ही बार में भारत को सवा सौ करोड़ लोगों को एकीकृत बाजार में बदल दिया है। 100 स्मार्ट सिटीज, पोर्ट्स का मॉडर्नाइजेशन, एयरपोर्ट्स, रोड और रेल नेटवर्क, 2022 यानी महात्मागांधी की 75वीं जयंती तक सस्ते घरों का निर्माण केवल वादे नहीं हैं। ये योजनाएं यूएस पार्टनर्स के साथ हमारे रिश्तों से होने वाले फायदों को दिखाती हैं। खरबों डॉलर कीमत वाली ये योजनाएं आने वाले दशक में दोनों देशों के लिए फायदेमंद हैं और दोनों ही देशों के लिए रोजगार के नए रास्ते भी खोलती हैं।
प्रवासी भारतीय
30 लाख भारतीयों का अमेरिकी समाज में बड़ा योगदान है अमेरिका में रह रहे 30 लाख भारतीयों ने दोनों देशों को जोड़ने में अहम रोल अदा किया है। इन्होंने हमारे समाज में विशेष योगदान दिया है। पिछले दो दशक से हमारे बीच परस्पर सुरक्षा तथा विकास को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों की फलदायी यात्रा रही है। अगले कुछ दशक में इसमें और बढ़ोतरी होगी।

भारत की एनर्जी की डिमांड 

भारत की एविएशन की जरूरतें बढ़ रही हैं। गैस, न्यूक्लियर, क्लीन कोल और रिन्यूएबल एनर्जी की डिमांड भी बढ़ रही है। ये दो बड़े सेक्टर्स हैं, जिनमें साझेदारी बढ़ रही है। आने वाले वर्षों में भारत 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा का एनर्जी एक्सपोर्ट अमेरिका से करेगा। इसके अलावा 200 से ज्यादा अमेरिका मेड प्लेन भारत की प्राइवेट एविएशन फ्लीट से जुड़ेंगे।"
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