मेले में हूँ अकेला और अकेले में हूँ मेला : मोरारी बापू 





राम किसी जाति  या धर्म के नहीं है।  राम सम्पूर्ण मानवता के है।  राम एक पात्र या व्यक्ति भर नहीं है।  राम प्रतीक है मानव समुदाय के नायकत्व के।  रामकथा किसी एक आदमी के जीवन की कहानी नहीं है।  राम कथा सृष्टि के संचालन की वह आदर्श समझाती है जिससे प्रत्येक प्राणी का अपना वजूद बनाता है। यह जीवन जीने की विधि है।  क़ानून है मानवता का।  मनुष्यता  जब भी भ्रमित या विचलित होती है यह कथा उसे पथ प्रदान कराती है।  राम कथा को स्थूल रूप में नहीं लेना चाहिए।  वैसे तो सामान्य जान को यह एक कहानी लगाती होगी पर मेरे लिए रामकथा समग्र सृष्टि  संचालन की व्यवस्था है। ये उदगार है विश्वप्रसिद्ध कथा वाचक और आधुनिक तुलसी के रूप में स्थापित मोरारी बापू के। बापू इन दिनों लखनऊ में रामकथा के सागर में लखनऊवासियों को डुबकी लगवा रहे है।  दरअसल मोरारी बापू रामकथा के सिलसिले से लखनऊ में 26 नवम्बर से अपना डेरा डाले  हुए है। नौ दिन की रामकथा में दुनिया को अमन प्रेम का सन्देश देने वाले मोरारी बापू का अंदाज़ बेहद जुदा है। रामकथा के दौरान शेरो शायरी और फिल्मो गाने का इस्तेमाल उनका शगल है लेकिन सादगी के साथ रहने के बाद भी उनकी सोच आधुनिक है , वह महिला अधिकारों के हिमायती है और हिन्दू मुस्लिम एकता के साथ सवर्ण और  दलितों के बीच की खाई को  मिटाना चाहते है।  प्रस्तुत है बापू से बातचीत के प्रमुख अंश -

बापू , आपका रामकथा के प्रति रुझान कैसे हुआ ?

विद्यार्थी  जीवन के दौरान मुझे घर से 5 मील दूर पढाई के लिए जाना पड़ता था। पांच मील के इसी रास्ते में दादाजी की बताई हुई रामायण की पांच चौपाइयां रोज़ याद करनीं पड़ती थी। इसी नियम की वजह से  साड़ी रामायण कंठस्थ हो गयी।  14 साल की उम्र में मैंने पहली बार एक महीने तक रामायण कथा का पाठ किया ,विद्यार्थी जीवन में मन अभ्यास में काम और रामकथा में ज़्यादा रमने लगा।पढाई पूरी करने के बाद  महुआ के उसी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बन गया जहाँ मैंने अपने बचपन में पढाई करता था। रामकथा में रमने के बाद अध्यापन कार्य छोड़ना पड़ा। महुआ से निकलने  के बाद 1966 में 9 दिन की रामकथा की शुरुआत नागबाई के पवित्र स्थल गांठिया से ऐसे हुई की अब तक बरक़रार है। 


आप बरसो से राम कथा करते आ रहे है , आपकी नज़र में रामकथा का सार क्या है ?

रामकथा के सार में मेरे पांच सबक है। पहला :जहां तक मुमकिन हो सच बोलना चाहिए लेकिन कटु नही। दूसरा : अहंकार से सावधान रहना चाहिए क्योंकि अंहकार बड़ी आसानी से लोगो में घर कर जाता है। तीसरा :हर इंसान को अपने धर्म ग्रन्थ को पढ़ना चाहिए और चिंतन मनन करना चाहिए। चौथा ;जहा तक हो सके , मौन धारण करना चाहिए इस मौन में ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। पांचवा : शुभ का संग करना चाहिए। जितनी मात्रा में हो प्रेम का अनुसरण करते रहना चाहिए। 


युवा और बच्चे धर्म और अध्यात्म से ज़्यादा टेक्नोलॉजी से जुड़ चुके है क्या यही वजह है की धार्मिक आयोजनों में इनकी तादाद काम नज़र आती है ?

यह बात बिलकुल सही है की हर एक बच्चा टेक्नोलॉजी के युग में मोबाइल टीवी में मसरूफ है। बच्चे खेलना भूल गए,बारिश में भीगना भूल गए है ,चोट छोटी शरारते भूल गए है उनका बचपन गैजेट्स में खो गया है। इसके लिए ज़रूरत है की माता पिता बच्चो को समय दे ,समाज प्यार से समझाये तभी हमे इन बच्चो में कृष्ण मिल सकेंगे। मेरी कथा का केंद्र ही युवा है , हनुमान चालीस में भी लिखा है की  युवाओ को बल विद्या और बुद्धि मिले।  मैं एक प्राइमरी शिक्षक था मुझे पता है की कम नम्बरो से रुक रहे बच्चो को पासिंग मार्क्स दे दिए जाते है, मेरी कथाओ में 75 फीसदी युवा आते है इसलिए मैं पास हो गया। 


नोटबंदी पर आम जनता परेशान है क्या आप  नोटबंदी के फैसले पर केंद्र सरकार का समर्थन करते है ?

यह बात बिलकुल सही है की बैंक की लाइन में लगी आम जनता परेशान है ,गरीब किसान अपने ही पैसो के लिए परेशान है।  अभी परेशानी ज़रूर हो रही है लेकिन केंद्र सरकार के इस फैसले के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। लोगो को मुश्किल हो रही है इसके लिए सरकार ने अगर प्लानिंग के साथ कदम उठाया होता तो ज़्यादा अच्छा होता और आम जनता को इस तरह परेशान नही होना पड़ता।  कालेधन पर पूरी तरह अंकुश लगना चाहिए , काले धन का इस्तेमाल चाहे कर्म में हो या धर्म में सब पर रोक लगनी चाहिए। मेरा मानना है की आध्यात्मिक क्षेत्र में किया  जाने वाला खर्च काम होना चाहिए  मैंने अपने आयोजको को पहले ही चेतवानी दे दी है की जितनी ज़रूरत हो उतना ही पैसा खर्च हो फ़िज़ूलखर्ची की कोई ज़रूरत नही। 

बाबा राम देव योग गुरु है ,लेकिन उनके प्रोडक्ट्स की आये दिन हो रही लॉन्चिंग पर आपका क्या कहना है ?

रामदेव सही मायने में योग गुरु है ,पहले योग सिर्फ ग्रंथो और गुफाओ में था जिसको रामदेव ने बाहर निकाल कर योग को दुनिया में फैलाया है।योग में विद्या होनी चाहिए लेकिन प्रोडक्ट लांच करना अपना अपना फैसला है इस पर मैं  क्या बोल सकता हूँ। 


आप गोवध बंदी की बात करते है इस मुद्दे पर सरकार से कोई मांग करेंगे ?

 मेरा मानना है की गोवध पूरी तरह से ख़त्म होना चाहिए , सिर्फ गोवध ही नही सर्कार को शराब पर भी रोक लगानी चाहिए क्योंकि यह दोनों ही चीज़े समाज ख़ास कर देश के भविष्य को गलत रास्ते पर ले जा रही है। मुझे इस बात की खबर नही की सरकार गोवध बंदी पर क्या कदम उठा रही है। मैं भगवान् से कोई मांग नही करता तो इन राजनेताओ से क्या मांग करूँगा , मैं सिर्फ अपनी राय रखता हूँ। मैं किसी भी राजनेता या राजनैतिक दल से फासला बना कर चलता हूँ क्योंकि मेरा विषय अध्यात्म है राजनीती नही। 

केंद्र सरकार राममंदिर बनाने की बात करती है आपका क्या पक्ष है ? सीमा पर हो रहे तनाव पर आप क्या कहेंगे ?

राम किसी एक धर्म के नही बल्कि सभी धर्मो के हैं ,राममंदिर के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा। सभी लोग राम के देश के लोग है सबका सम्मान करे। देश हित में दो धर्मो का संगम होना चाहिए लोग धर्मो से ऊपर उठते हुए प्रेम का अनुसरण करे , इस और काम भी किया जा रहा है लेकिन समाज को समझने की ज़रूरत है। धर्म सत्य है , प्रेम है ,करुणा है। मैं माला लेता हूँ खड़ाऊ पहनता हूँ यह मेरी अपनी निजी पसंद है यह धर्म नही है। धर्म को मोहब्बत और अमन का संदश देता है। सीमा पर तनाव हमारे वजह से नही है बल्कि पडोसी मुल्क पकिस्तान की वजह से।  भारत के जवान देश की रक्षा के लिए क़दम उठा रहे है इस बात की संतुष्टि है ज़रूरत है की देश के अंदर और सीमा पर अमन कायम हो।  हमारी( हिंदुस्तान )तरफ से हर बार कोशिश की जाती है लेकिन वो नही चाहते (बशीर बद्र का शेर पढ़ते हुए )फासले सदियो के एक लम्हे में मिट जाते दिल मिला लेते अगर हाथ मिलाने वाले। 

आपके शिष्य और अनुयायियों में कौन कौन है ?

(मुस्कुराते हुए अपने अंदाज़ में ) मेरा कोई शिष्य नही है न मैं किसी का गुरु हूँ।  मेरा कोई चेला नही सच्चाई यही है कि  मेले में मैं अकेला हूँ और अकेले में पूरा मेला हूँ। मैं शांति परम्परा का आदमी हूँ मेरा मक़सद सिर्फ अमन प्रेम शांति को मुल्क औरदुनिया भर में फैलाना है। 

जीवन में सबसे कठिन और लंबा रास्ता कौन सा है?

देखो , साधना का मार्ग कठिन और लंबा होता है। बिना विचलित हुए साधक इस मार्ग पर निरंतर चलता रहे तो निश्चित ही उसे परम सत्य का ज्ञान होता है। कठिन और लंबे रास्तों के बाद मिली सफलता स्थायी और आनंददायी होती है। आसान और शार्टकट वाली संस्कृति भ्रष्टाचार ला रही है। इंसान को अपने जीवन के लिए वो रास्ता अपनाना चाहिए, जिसके अंत में शांति, सुख और परमात्मा की प्राप्ति हो। जिन मार्गों पर ये नहीं मिलते, उन पर चलकर दुःख, अशांति और निराशा की प्राप्ति होती है। मानव को सत्याग्रह करने से पूर्व सत्याग्रही बनना चाहिए। सत्याग्रही बने बिना किया जाने वाला सत्याग्रह का कोई मोल नहीं है। मनुष्य को पहले स्वयं सत्य का साक्षात्कार करना चाहिए। जिस प्रकार एक आध्यात्मिक व्यक्ति की साधना सम्यक होती है, उसी प्रकार मनुष्य को भी चाहिए कि वो अपने जीवन में तथा क्रियाकलापों में एक सम्यता बनाए रखे। सम्यता का अर्थ है मध्य मार्ग।

बापू , इस आपाधापी के दौर में आदमी करे  क्या ?

जिस प्रकार वीणा के तार यदि कम कसे हों या ज्यादा कस दिए जाएं तो सुर नहीं निकलते। सुर निकालने के लिए अधिक और कम के मध्य की स्थिति श्रेष्ठ होती है, उसी प्रकार मनुष्य को भी जीवन में एक मध्य मार्ग अपनाकर चलना चाहिए। मनुष्य को परिवार में सभी सदस्यों का हाथ पकड़े रहना चाहिए लेकिन उनसे हाथ भर की दूरी भी बनाए रखे। इस प्रकार सांसारिक जीवन में एक प्रकार की प्रामाणिक दूरी बनाए रखे। भाव यह है कि इतना नजदीक न हो कि दूर जाते हुए डर लगे व इतना दूर न रहो कि पास आते हुए भय सताए। यही प्रमाणिकता है। किसी के बारे में शुभ कल्पना करो तो एक माह में सत्य हो जाती है। अपने बारे में की गई कल्पना को सत्य होने में कुछ ज्यादा समय लगता है। इसमें स्वार्थ आ जाता है, इसलिए इसमें साधक की क्षमतानुसार समय लगता है। सज्जनों एवं संतों के कथनों को परमात्मा स्वयं सत्य करता है।


रामकथा को लेकर आप लखनऊ आये है ,लेकिन इस बार आपकी रामकथा में शेरो शायरी में कमी क्यों नज़र आ रही है ?


रामकथा को लेकर लखनऊ आया हूँ ,मैं यहाँ जितनी बार आया हूँ मुझे यहाँ प्यार मिला है। लखनऊ में शालीनता है जो मुझे पसंद आती है।  जहाँ तक कथा में शेरो शायरी की बात है तो लखनऊ खुद शायरों की धरती है ,( हसँते हुए )मेरा लखनऊ  शेरो का इस्तेमाल करना ठीक नानी के आगे ननिहाल जैसा होगा। लखनऊ तो ग़ज़लों का शहर है।  शायरी की भूमि है। यह जायसी की भूमि है।  यहाँ से शायरी में रामकथा की धुन सुनाई पड़ती है।  प्रख्यात शायर बशीर बद्र साहब तो कूद कहते है कि मानस सुन सुन कर अपनी माँ से ही उन्होंने शायरी की शिक्षा पा ली।  अवध की धरती को भला मैं क्या सुना सकूंगा , जो भी उच्चारित होगा उसमे अवध ही होगा , यही अवध जो अवध्य है।

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