पुराने नोट को बदलना इतना आसान नहीं , पूरे लेन-देन पर आयकर विभाग की नजर

पुराने नोट को बदलना इतना आसान नहीं , पूरे लेन-देन पर आयकर विभाग की नजर


संजय तिवारी 

आपके लिए पुराने नोट को बदलना इतना आसान नहीं होगा, क्‍योंकि इस पूरे लेन-देन पर आयकर विभाग की नजर रहेगी। दरअसल 500 और 1000 हजार के नोट बंद होने के बाद केंद्र सरकार ने वित्त मंत्रालय के आयकर विभाग को तैयार रहने को कहा है। आयकर विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वो नोट बदलने के बाद पड़ने वाले असर और माहौल से निबटने के लिए तैयार रहे। माना जा रहा है कि नोट बदलने की तारीख शुरू होते ही देश भर के बैंकों और डाक घरों में बड़ी संख्या में लोगों जा होंगे। 500 और 1000 के नोट खत्म होने के बाद लोग घरों में रखे पैसे को बैकों में जमा करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। इतना ही नहीं कालेधन को अब लोग टैक्स अदा कर बैंक खाते में रखने के लिए बाध्य होंगे। ऐसे में आयकर विभाग को ऐसे लोगों पर नजर रखनी होगी और आयकर गणना भी करनी है। सरकार को उम्मीद है कि जिन लोगों ने 30 सितंबर तक स्वैच्छिक आय घोषणा योजना के तहत कालेधन की घोषणा नहीं कि वो अब सामने आएंगे।


साल 2014 में भाजपा का चुनावी मुद्दा तो विदेशी बैंकों में जमा कालाधन था, मगर सत्ता हासिल करने के करीब ढाई साल बाद मोदी सरकार की कालधन के खिलाफ लड़ाई की जगह बदल गई। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों का प्रचलन बंद करने के अलावा कई अहम घोषणाओं के जरिए साफ कर दिया है कि सरकार का इरादा अब विदेशों में जमा कालाधन के बदले देश में जमा कालाधन केखिलाफ हल्ला बोलने का है।   
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ मानते हैं कि विदेश से काला धन की वापसी की राह में कई तरह की कानूनी, तकनीकी अड़चनों केकारण सरकार के रुख में अचानक परिवर्तन आया। हालांकि विशेषज्ञ स्वीकार करते हैं कि मोदी सरकार के इस फैसले से देश में काला धन रखने वालों की देर सबेर शामत अवश्य आएगी।
विशेषज्ञ लॉर्ड मेघनाथ देसाई कहते हैं लोकसभा चुनाव का यह बड़ा मुद्दा था। यह मुद्दा इतना बड़ा था कि इस मोर्चे पर असफलता सरकार और भाजपा की साख को झटका दे सकती थी। चूंकि विदेशों में जमा कालधन लाने की प्रक्रिया बेहद जटिल है। इस मोर्चे पर सरकार को दूसरे देश के रुख पर निर्भर रहना पड़ता है। यही कारण है कि इस दिशा में शुरुआती कोशिशों का बड़ा नतीजा सामने न आने के बाद मोदी सरकार ने घरेलू कालाधन के खिलाफ सख्ती का मन बनाया। 
बकौल देसाई निश्चित रूप से इस फैसले का सबसे बड़ा असर देश की राजनीति पर पड़ेगा, क्योंकि चुनावी व्यवस्था को कालाधन ने अपनी चपेट में ले रखा है। इसके अलावा सरकार की माफी योजना का लाभ नहीं उठाने वाले ऐसे लोग बुरी तरह घिरेंगे जिन्होंने व्यापक पैमाने पर कालाधन इकठ्ठा कर रखा है। इस फैसले का निष्कर्ष पर आने से पहले हमें इस तथ्य पर भी गौर करना चाहिए कि इस समय काला धन की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है। अनुमान के मुताबिक यह जीडीपी का करीब 40 फीसदी माना जाता है।
इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्ट्यिट के प्रो अभिरूप सरकार के मुताबिक कालाधन के खिलाफ सख्त कदम की जरूरत तो है, मगर इस बहाने बुधवार को जो कुछ हुआ उससे स्थिति में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आने वाला। बकौल सरकार इस मामले से जुड़ी बड़ी मछली अपना धन कैश में देश के अंदर नहीं बल्कि स्विस बैंकों में रखती है। मगर यह सही है कि देश में एक बड़ा वर्ग इस फैसले से प्रभावित होगा।

महत्वपूर्ण तथ्य
- ग्लोबल फाइनेङ्क्षसग इंटेग्रेटी के मुताबिक वर्ष 2003 से 2012 तक 27 लाख करोड़ की रकम जमा हुई विदेशी बैंकों में
- घरेलू कालाधन देश की अर्थव्यवस्था का 40 फीसदी तक होने का अनुमान


घोषित संपत्ति से मेल नहीं खाने पर 2.5 लाख से 

ज्यादा की रकम जमा करने पर टैक्स और पैनल्टी


 सरकार ने बुधवार रात आगाह किया कि बड़े नोटों का चलन बंद करने के बाद उन्हें जमा कराने की 50 दिन की छूट की अवधि में 2.5 लाख रुपये से अधिक की नकद जमा के मामलों में यदि आय घोषणा में विसंगति पाई गई तो कर और 200 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ सकता है. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने ट्विटर पर यह जानकारी दी .उन्होंने कहा,”10 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 की अवधि में हर बैंक खाते में 2.5 लाख रुपये की सीमा से अधिक की सभी नकदी जमाओं की रपट हमें मिलेगी.” अधिया ने कहा,”आयकर विभाग इन जमाओं का मिलान जमाकर्ता के आयकर रिटर्न से करें. उचित कार्रवाई की जा सकती है.” खाताधारक द्वारा घोषित आय और जमाओं में किसी तरह की विसंगति को कर-चोरी का मामला माना जाएगा.अधिया ने कहा कि उन छोटे कारोबारियों, गृहिणियों, कलाकारों व कामगारों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है जिन्होंने कुछ नकदी बचाकर घर में रखी हुई है. उन्‍होंने कहा कि इस तरह के लोगों को आयकर विभाग की जांच आदि के बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है.उन्होंने कहा,’ऐसे लोगों को 1.5 लाख या दो लाख रुपये तक की छोटी जमाओं को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि राशि तो कराधान योग्य आय के दायरे में नहीं आती. इस तरह की छोटी जमाओं वाले खाताधारक आयकर विभाग से किसी तरह के उत्पीड़न की चिंता नहीं करें.’ लोगों द्वारा आभूषण खरीदे जाने के बारे में उन्होंने कहा है कि जवाहरात खरीदने वालों को पैन नंबर देना होगा.

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