साइबर अपराधियों का आसान शिकार बनती महिलाएं


डॉ अर्चना तिवारी 
सचिव , प्रगति 
गोरखपुर 
9450887187 


अंजलि  और सोनम ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि फेसबुक की दोस्ती उन्हें इस हालात में पंहुचा देगी। बड़ी जतन  से लंबी दोस्त सूचि तैयार कर चुकी दोनों किशोरियो की खुद की दोस्ती भी फेस बुक पर ही हुई थी , यह अलग बात है कि उन्ही की फ्रेंड लिस्ट के एक कॉमन नाम ने दोनों को इस हल तक पंहुचा दिया था। एक ही शकील रोहित बन कर भी दोनों की लिस्ट में था और दोनों को एक साल से झांसे में रखे हुए था। वह तो सोनम की बहन सारिका की एक गलती थी जिससे सोनम का फेसबुक वाल खुला और शकील यानी रोहित के बारे में जानकारी हो सकी। यह पूरी कहानी बहुत लंबी हो जाएगी यदि लिखी जाय , लेकिन इतना बता देना जरुरी कि जब तक रोहित का खुलासा हुआ काम से काम अंजलि की जिंदगी तो बर्बाद हो ही गयी थी। घटना बिलकुल सच्ची और लखनऊ महानगर की ही है। यह मामला साइबर अपराध का बहुत ही उम्दा उदहारण बन सकता है और यह प्रमाणित भी कराती है कि सायबर की दुनिया में अपराधियो की सबसे आसान शिकार लडकिया हो रही है। 
लखनऊ की ही 32  वर्षीय आशमा (बदला हुआ नाम) के साथ सोशल साइट पर जो हुआ उसे जानने के बाद शायद एकबारगी आप भी ख़ुद को इससे दूर रखने की सोच लें. दरअसल, किसी ने मोनिका का फेसबुक (एफबी) अकाउंट हैक कर लिया और उनके नाम से उनके ऐसे दोस्तों-रिश्तेदारों को मैसेज करने लगा जिनसे वह खुद शायद ही कभी बात करती थी।  आशमा  कहती हैं, “कुछ फैमिली प्रॉब्लम्स की वजह से मैं काफ़ी दिनों से एफबी अकाउंट चेक नहीं कर पाई. क़रीब 15 दिन बाद जब मैंने लॉगिन किया, तो मेरे एक कॉलेज फ्रेंड के अजीब से मैसेज ने मेरे होश उड़ा दिए. उन मैसेज को देखकर लग रहा था कि मेरी उससे लंबी बातचीत हुई है. जब मैंने उसे बताया कि मैंने उससे बात नहीं की, तो वो मानने को तैयार ही नहीं हुआ और उसने वो पूरा चैट मुझे भेजा जिसमें किसी ने मेरे नाम से उससे बात की थी. वो चैट इतना अश्‍लील था कि देखकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई. यदि मेरे पति समझदार नहीं होते तो उस चैट को देखकर तो हमारा रिश्ता टूट ही जाता. मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि सोशल मीडिया पर मेरे साथ ऐसा कुछ हो सकता है. इस वाक़ये के बाद मैं बहुत परेशान और डिप्रेस्ड हो गई. अब मैंने अपना न स़िर्फ फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया है, बल्कि हर तरह के सोशल मीडिया से दूरी बना ली है. हालांकि ये आसान नहीं है, आज सोशल मीडिया साइट्स जैसे हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं, उनसे दूर रहने पर लगता है जैसे मैं दुनिया से कट गई हूं, मगर इस हादसे ने मुझे इस क़दर डरा दिया है कि शायद अब मैं दोबारा सोशल साइट्स से न जुड़ पाऊं। 
दरसल सोशल मीडिया पर साइबर क्राइम की शिकार होने वाली आशमा  कोई पहली शख़्स नहीं हैं, कई लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसकी वजह से कुछ को अपने रिश्ते, तो कुछ को ज़िंदगी से भी हाथ धोना पड़ा है। अदनान नाम के एक 17 साल के लड़के का उसके ऑर्कुट अकाउंट वाले दोस्तों ने अपहरण करके उसे मौत के घाट उतार दिया था।  दरअसल, अदनान (मुंबई के एक बिज़नेसमैन का बेटा) ने ऑर्कुट पर कुछ ग़लत लोगों से दोस्ती कर ली थी. सोशल साइट्स के ज़रिए होने वाले अपराधों की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।  कभी किसी महिला की फोटे से छेड़खानी की जाती है, तो कभी उसे अश्‍लील मैसेज भेजकर परेशान किया जाता है. बावजूद इसके हम इन साइट्स का इस्तेमाल करते समय सुरक्षा मानकों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं.


इंटरनेट क्रांति की बदौलत एक क्लिक पर सारी दुनिया सिमट गई है. दोस्तों-रिश्तेदारों से चैटिंग से लेकर ख़रीददारी, बैंकिंग ट्रांजेक्शन… सब कुछ बस, एक क्लिक पर हो जाता है, मगर दुनिया को समेटता ये इंटरनेट कभी आपकी दुनिया भी बदल सकता है. सोशल साइट्स पर की गई ज़रा-सी मस्ती भारी पड़ सकती है. तेज़ी से बढ़ते साइबर क्राइम के ख़तरे के बावजूद ज़्यादातर लोग इसे हल्के में ही लेते हैं. साइबर क्राइम यानी इंटरनेट की दुनिया का ये अनदेखा-अनजाना दुश्मन आपको कितनी हानि पहुंचा सकता है?
आपको यह जान कर हैरत हो सकती है  कि हमारा देश भारत हमेशा साइबर अपराधियों के निशाने पर रहता है। इंटरनेट सिक्‍योरिटी थ्रेट रिपोर्ट (आईएसटीआर) के अनुसार, सबसे ज्‍यादा साबइर हमले भारत में होते हैं। आईएसटीआर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की साइबर सुर‍क्षा काफी कमजोर है और साइबर अपराध एक बिजनेस का रूप ले चुका है। हैकिंग कंपनियां इसके लिए प्रोफेशनल हैकर्स की भर्ती करती हैं। इन हैकर्स को घंटो के हिसाब से काम करना पड़ता है और सप्‍ताहांत पर उन्‍हें छुट्टियां भी मिलती हैं। भारत में सबसे ज्‍यादा युवा हैं ऐसे में यहां पर करोड़ों मोबाइल कनेक्‍शन हैं। इसलिए इंटरनेट का उपयोग भी तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन कमजोर सुरक्षा का फायदा ये हैकर्स उठाते हैं। एक बार भारत का नाम दुनिया की स्‍कैम कैपिटल में भी आ चुका है। दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देशो में स्‍पैम में लगातार गिरावट आ रही है। 2014 में जहां स्‍पैम को लेकर भारत का 6वां स्‍थान था। हालांकि स्‍पैम, मॉलवेयर, फिशिंग होस्‍ट और बोट्स को जोड़ लिया जाए तो भारत का तीसरा स्‍थान है।
अक्‍सर आपने सुना या पढ़ा होगा कि ये हैकर्स किसी न किसी कंपनी की वेबसाइट हैक करके खबरों में आने की कोशिश करते रहते हैं। एशियाई देशों में साइबर हमले का सबसे ज्‍यादा शिकार भारतीय कंपनियां होती हैं। जनोपयोगी और फाइनेंशियल सेक्‍टर की कंपनीज सबसे ज्‍यादा शिकार होती हैं। 2013 में जहां साइबर अटैक के मामले में भारत का 7वां स्‍थान था वहीं 2015 में यह तीसरे नंबर पर पहुंच गया। भारत में साइबर क्रिमिनल्‍स नवंबर महीने में सबसे ज्‍यादा एक्‍टिव रहते हैं। इस महीने औसतन 2.5 भारतीय कंपनियां प्रतिदिन साइबर हमलों को शिकार बनती हैं।
दरअसल साइबर अपराध अब भारत में बहुत बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। प्रदेशो में हालांकि पुलिस काफी सतर्क हो चुकी है तथा इस अपराध को रोकने के लिए साइबर सेल अलग से बना दिए गए है लेकिन वास्तव में सायबर आकाश की दुनिया और इसके विस्तार की असीमित एरिया ने इसे रोकने की गंभीर चुनौतियां कड़ी कर दी है। यह फलक इतना विस्तृत है जिसको किसी राज्य , देश अथवा महाद्वीप तक में समेत नहीं जा सकता। इस लिए वे उपाय उतने कारगर नहीं हो पा रहे है। 
मुझे कम से कम दो दर्जन ऐसी घटनायर सामने दिख रही है जिनमे लड़कियों या महिलाओ को गंभीर शिकार होना पड़ा है।  गोरखपुर की दो घटनाओ का यहाँ उल्लेख आवश्यक लगता है जिसमे अलग अलग दो लड़को ने एक पांच लड़कियों से और एक ने ग्यारह लड़कियों से दोस्ती कर विवाह तक कर डाले थे। अब कल्पना की जा सकती है की उन सोलह लड़कियों का क्या हुआ होगा। यहाँ वरुण कपूर, आईपीएस  के एक अध्ययन को उद्धरित करना उचित लगता है जिसमे उन्होंने लिखा है कि साइबर जगत और इसमें अंजाम दिए जाने वाले अपराध देश की सुरक्षा व्यवस्था के सामने हर रोज एक नई चुनौतीं पेश कर रहे हैं। खासतौर पर महिलाएं इस वर्चुअल वर्ल्ड में दुर्भावनापूर्ण अपराधों की लगातार शिकार हो रही हैं। वास्तव में, भारत में कुछ खास तरह के साइबर क्राइम महिलाओं पर ही अंजाम दिए जाते हैं। यह एक बेहद खतरनाक स्थिति है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां तेजी से बढ़ते इन अपराधों को रोकने और अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। महिलाओं को निशाना बनाकर सबसे ज्यादा जिस अपराध को अंजाम दिया जाता है, वह है- साइबर स्टाकिंग यानी साइबर वर्ल्ड में पीछा करना या पीछे से हमला करना। बार-बार टेक्स्ट मैसेज भेजना, मिस्ड कॉल करना, फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजना, स्टेटस अपडेट पर नजर रखना और इंटरनेट मॉनिटरिंग इसी अपराध की श्रेणी में आते हैं। आईपीसी की धारा 354डी के तहत यह दंडनीय अपराध है।


इन हालात का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए जरूरी है जागरूकता। महिलाओं के बीच उन अपराधों और आपराधिक तरीकों को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है, जो सिर्फ उन्हें निशाना बनाकर अंजाम दिए जा रहे हैं।
साइबर स्पाइंग भी एक अन्य तरह का साइबर अपराध है। आईटी एक्ट की धारा 66ई के तहत यह दंडनीय अपराध है। इसमें चैंजिंग रूम, लेडिज वॉशरूम, होटल रूम्स और बाथरूम्स आदि स्थानों पर रिकॉर्डिंग डिवाइस लगाए जाते हैं।
तीसरे तरह का अपराध जो महिलाओं पर केंद्रीत है- वह है साइबर पॉर्नोग्राफी। इसके तहत महिलाओं के अश्लील फोटो या वीडियो हासिल कर उन्हें ऑनलाइन पोस्ट कर दिया जाता है। अधिकांश मामलों में अपराधी फोटो के साथ छेड़छाड़ करते हैं और बदनाम करने, परेशान और ब्लैकमेल करने के लिए उनका इस्तेमाल करता है। इस तरह के अपराधों में आईटी एक्ट की धारा 67 और 67ए के तहत केस चलता है। साइबर बुलिंग इसी क्रम में चौथे तरह का अपराध है। इसको बड़े ही शातिर तरीके से अंजाम दिया जाता है। साइबर अपराधी पहले महिलाओं या लड़कियों से दोस्ती गांठते हैं और फिर उन्हें अपना शिकार बनाते हैं। विश्वास में लेकर और लालच के चलते नजदीकियां बढ़ाने के बाद महिला या लड़की के निजी फोटो हासिल कर लेेते हैं। इसके बाद पीड़िता से मनचाहे काम करवाने के लिए ब्लैकमेल करते हैं। साइबर बुलिंग का दुष्परिणाम है कि कई मामलों में युवा लड़कियों से रेप हुए हैं, उनका यौन उत्पीड़न हुआ है, वहीं अधिक उम्र वाली महिलाओं को पैसों के लिए ब्लैकमेल किया गया है। वक्त आ गया है कि महिलाएं उक्त जोखिमों में समझें और साइबर जगत में अपने ऊपर मंडरा रहे खतरों को लेकर तत्काल जागरूक बनें।

भारत में जागरुकता का अभाव

 संयुक्त राष्ट्र संघ की सितंबर 2015 की रिपोर्ट की मानें तो भारत में केवल 35 फीसदी महिलाओं ने ही अपने खिलाफ हुए साइबर अपराध की शिकायत की। वहीं साइबर अपराध से पीड़ित लगभग 46.7 फीसदी महिलाओं ने किसी तरह की कोई शिकायत नहीं की। 18.3 फीसदी महिलाओं को तो अंदाजा ही नहीं था कि वे साइबर अपराध का शिकार हो रही हैं। यूनाइटेड स्टेट्स ब्रॉडबैंड कमीशन की "कॉम्बेटिंग ऑनलाइन वायलैंस अगेंस्ट वीमेन एंड गर्ल्स: ए वर्ल्डवाइड वेकअप कॉल" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली लगभग एक तिहाई महिलाएं किसी-न-किसी तरह के साइबर अपराध का शिकार होती हैं।

एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मप्र के ग्वालियर में दसवीं की छात्रा का फोटो प्रोफाइल में लगाकर एक जालसाज ने फेसबुक पर फर्जी अकाउंट बना दिया। जब छात्रा को पता चला तो उसने अपने भाई के साथ जाकर साइबर सेल में शिकायत की। साइबर सेल ने तुरंत अकाउंट ब्लॉक कर दिया। होता यह है की सोशल नेटववर्किंग साइट फेसबुक पर आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों द्वारा किए जाने वाले कमेंट्स और तस्वीरों को बड़ी असानी से लाइक और शेयर करते हैं। लेकिन आपके इन लाइक्स और शेयर का कुछ लोग गलत फायदा उठा रहे हैं जो आपके लिए खतरनाक हो सकता है। सोशल नेटवर्किंग साइट पर आप जिन पोस्ट और तस्वीरों को लाइक और शेयर करते हैं उन पर कुछ हैकर्स की नजर रहती है। यह हैकर्स आपने जिस तस्वीर या पोस्ट का लाइक या शेयर किया है उसे बदल कर आपत्तिजनक कंटेट डाल देते हैं।

महिलाएं ऐसे रहें सुरक्षित

महिलाओं को उस शख्स की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करना चाहिए, जिन्हें वे जानती नहीं हैं। असल दुनिया में जिसे आप जानते हैं और विश्वास करते हैं, उन्हें ही वर्चुअल वर्ल्ड मेंं फ्रेंड बनाएं। इंटरनेट या साइबर स्पेस पर किसी भी स्थिति में अपनी निजी जानकारी या तस्वीरें शेयर नहीं करना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं को खासतौर पर सावधान रहना चाहिए कि कहीं किसी तरह का कैमरा या रिकॉर्डिंग डिवाइस तो नहीं है? अवांछित और बार-बार के एसएमएस, ईमेल, कॉल्स, फ्रैंड रिक्वेस्ट को लेकर भी उन्हें खुद को बचाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर उन्हें किसी जानकार व्यक्ति या सुरक्षा एजेंसी को इसकी जानकारी देना चाहिए। पुलिस और सुरक्षा एजेसियां आपकी सेवा के लिए हैं। यह उनका दायित्व है कि वे सुरक्षा संबंधी आपकी समस्याओं का हल करें।
त्योहार और तोहफों का मौका आते ही ई-शॉपिंग यूजर्स के मेल-बॉक्स में ई-कॉमर्स पोर्टल्स के ऑफर्स की भरमार हो जाती है। दिवाली, क्रिसमस, न्यू ईयर या वेलेंटाइन-डे जैसे मौकों पर साइबर क्रिमिनल्स भी आम लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे समय अविश्वसनीय ऑफर्स के लालच में फंसने की काफी संभावना बढ़ जाती है। बड़े मौकों के अलावा अब रविवार हो या सोमवार, किसी न किसी बहाने कहीं न कहीं से डिस्काउंट, सेल, इनाम या ऑफर के मैसेज, ई-मेल आते रहते हैं। दरअसल, दुनियाभर में साइबर अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। इसी के साथ नए तथा चुनौतीपूर्ण अपराध व इनके नाम भी सामने आ रहे हैं। वर्चुअल दुनिया में सुरक्षित रहना पहले ही चुनौती बनी हुई थी ही कि आज नागरिकों को इस अपराध जगत की तेजी से बढ़ती शब्दावलियों तथा उनकी व्याख्याओं से भी जूझना पड़ा रहा है। सबसे पहले तो साइबर-कंप्यूटर से संबंधित इस शब्दजाल को समझना होगा और फिर स्वयं को इसके कुप्रभावों से दूर रखने के उपाय करने होंगे।
कई बार ऐसा करना लगभग असंभव होता है, क्योंकि जब तक बेचारा यूजर यह समझ पाए कि उक्त नाम किस तरह के अपराध से जुड़ा है, वह उसका शिकार हो चुका होता है। दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि हर रोज साइबर अपराध की दुनिया में 'नए" प्रकार के शब्द आ जाते हैं। ऐसे में कोई कैसे और कितनी तरह के शब्दों को समझे तथा बचने का उपाय करे? साइबर अपराध के चुनौतीभरे नामों में ताजा एंट्री 'फिशिंग" और 'विशिंग" की है। इस प्रकार का अपराध हर दिन तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि इसकी व्याख्या जल्द से जल्द करनी होगी। इसे आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है- 'फिशिंग" वह तरीका है जिसमें एसएमएस या ईमेल के जरिए लोगों को लुभा कर उनसे निजी जानकारियां तथा सूचनाएं हासिल की जाती हैं। बाद में इन सूचनाओं का गलत इस्तेमाल करते हुए साइबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है। दूसरी ओर 'विशिंग" ऐसी तकनीक है, जिसमें साइबर अपराधी वॉइस कॉल के जरिए इसी तरह सूचनाएं हासिल कर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। विशिंग में अपराधी वर्चुअल रूप में पीड़ित के सामने होता है, लेकिन फिशिंग में ऐसा नहीं होता है। देखा जाए तो 'फिशिंग' और 'विशिंग' दोनों लगभग एक ही प्रकार के तरीके हैं। दोनों में ही पीड़ित को किसी न किसी प्रकार का लालच देकर उसे शिकार बनाया जाता है। ऐसे तरीके अपनाने वाले अपराधी सैकड़ों बार प्रयास करते हैं और आखिरकार एक-दो पीड़ितों को फंसाने में कामयाब हो ही जाते हैं। इन सूचनाओं को आपराधिक मकसद के लिए उपयोग किया जाता है। यह शब्दावली 'फिशिंग-विशिंग" मछली पकड़ने वाले उस शख्स से प्रेरित है जो पानी में तब तक हुक डाल कर बैठा रहता है, जब तक कि उसमें मछली न फंस जाए। यदि आप इस तेजी से बदलते और बढ़ते हुए तकनीकी माहौल में सुरक्षित रहना चाहते हैं तो आज से ही सतर्क हो जाइए।

इन हालात में सामान्य सी बात यह है कि लोगों को साइबर स्पेस में खुद को ऐसे सुरक्षित रखना होगा। किसी भी अनहोनी से बचने के लिए कोई भी अनजान शख्स के साथ अपनी निजी सूचनाएं नहीं बांटनी चाहिए। इंटरनेट पर किसी से बात करते समय या इंटरएक्ट करते समय जागरूक रहने की आवश्यकता है। इससे यह पता चलेगा कि वे किससे बात कर रहे हैं और सामने वाले का मकसद क्या है। साइबर स्पेस में कभी भी अपनी निजी तथा गोपनीय सूचनाएं किसी के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए। यदि आपको किसी कॉल/एसएमएस/ईमेल पर शंका हो तो तुरंत प्रतिक्रिया दीजिए। जोखिम की आशंका नजर आते ही संबंधित लोगों से सवाल पूछें।

महिलाये बनाती शिकार 

साइबर क्राइम का दायरा बहुत बड़ा है. इसके निशाने पर कभी कोई कंपनी होती है, कभी कोई देश, तो कभी महिलाएं. महिलाओं को टारगेट करने वाले साइबर अपराध कई प्रकार के होते है। ईमेल भेजकर हैरास (उत्पीड़ित) करना. इसमें बदमाशी, धोखा और धमकी देना शामिल है।  ऐसा अक्सर फर्ज़ी आईडी से किया जाता है। साइबर स्टॉकिंग नए तरह का अपराध है. स्टॉकिंग का मतलब होता है छिपकर पीछा करना. साइबर स्टॉकिंग में विक्टिम (पीड़ित) को मैसेज    भेजकर, चैट रूम में प्रवेश करके और ढेर सारे ईमेल भेजकर उसे परेशान किया जाता है। अश्‍लील फोटो, मैग्ज़ीन, वेबसाइट आदि बनाकर महिलाओं को मेल करना। 
 ईमेल स्पूफिंग- किसी दूसरे व्यक्ति के ईमेल का इस्तेमाल करते हुए ग़लत मकसद से दूसरों को ईमेल भेजना इसके तहत आता है. इस तरह के ईमेल  के ज़रिए अक्सर पुरुष अपनी अश्‍लील फोटो महिलाओं को भेजते हैं, उनकी सुंदरता की तारीफ़ करते हैं, उन्हें डेट पर चलने के लिए कहते हैं, यहां तक  कि उनसे सर्विस चार्ज भी पूछते हैं। इनके अलावा एमएमएस और चैट के माध्यम से अश्‍लील संदेश भेजे जाते हैं, जिसमें कई बार पीड़ित महिला का चेहरा किसी अश्‍लील ड्रेस वाली  महिला की फोटो पर होता है, तो कभी न्यूड फोटो पर उनका चेहरा रहता है। 

साइबर क्राइम का निशाना बनते बच्चे

हाल ही में मुंबई में सोशल साइट के ज़रिए ठगी का एक मामला प्रकाश में आया, जिसमें 14 साल की एक लड़की से 10 लाख रुपए ठगे गए. इस केस में 18 साल के एक लड़के ने एफबी (फेसबुक) पर फर्ज़ी अकाउंट बनाकर लड़की से दोस्ती की और उसे अपने जाल में फंसा लिया. उसके ख़ूबसूरत चेहरे और चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर लड़की ने उसे घर वालों से चुराकर 10 लाख रुपए दे दिए. अपनी तरह का ये कोई पहला मामला नहीं है. अक्सर एफबी पर धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं.
दिल्ली की 15 वर्षीया छात्रा पूजा को उसके दोस्त आदित्य ने जब फोन करके पूछा कि वो उसे भद्दे मैसेज और लिंक क्यों भेज रही है, तो पूजा को कुछ समझ नहीं आया, क्योंकि वो काफ़ी समय से अपना एफबी यूज़ नहीं कर रही थी. फिर उसने फेसबुक लॉगिन करके अपना नाम सर्च किया तो उस नाम से 2-3 प्रोफाइल बने थे, जिसमें बक़ायदा उसकी फोटो भी लगी थी. साफ़ था, किसी ने उसकी आइडेंटटी चुराकर उसका ग़लत इस्तेमाल किया था.
दरअसल, आजकल टीनएजर्स धड़ल्ले से सोशल साइट्स का इस्तेमाल करके अपनी फोटो से लेकर निजी जानकारी और राय दोस्तों से शेयर करते हैं, लेकिन ये सब करते समय वो सिक्योरिटी सिस्टम को भूल जाते हैं, जिससे कोई भी हैकर आसानी से उनकी डिटेल्स चुराकर उसका ग़लत इस्तेमाल करने लगता है. इन दिनों चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी चीज़ें भी नेट पर बहुत उपलब्ध हैं. चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तहत बच्चों को बहला-फुसलाकर ऑनलाइन संबंधों के लिए तैयार करना, फिर उनके साथ संबंध बनाना या बच्चों से जुड़ी यौन गतिविधियों को रिकॉर्ड करना, एमएमएस बनाना और दूसरों को भेजना आदि इसके तहत आता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, सोशल साइट्स के ख़तरों से बच्चों को बचाने के लिए पैरेंट्स को चाहिए कि उन्हें सही उम्र से पहले स्मार्टफोन, इंटरनेट आदि से दूर रखें. इसके अलावा पैरेंट्स और बच्चे के बीच बॉन्डिंग बेहद ज़रूरी है ताकि वो अपनी हर अच्छी-बुरी बात आपसे शेयर करें. बच्चों के साथ अपराध बढ़ने का एक कारण ये भी है कि वो साइट्स के एथिक्स को फॉलो नहीं करते, जैसे एफबी पर अकाउंट ओपन करने के लिए एज लिमिट है जिसे कोई फॉलो नहीं कर रहा. बच्चों की ज़िंदगी में जिस तेज़ी से इंटरनेट की पैठ बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए पैरेंट्स को सतर्क रहने की ज़रूरत है। 
इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराध साइबर क्राइम की कैटेगरी में आते हैं, जैसे- इंटरनेट से क्रेडिट कार्ड की चोरी, ब्लैक मेलिंग, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क फ्रॉड, पोर्नोग्राफी, बैंक डिटेल या अन्य अकाउंट हैक करना, किसी सॉफ्टवेयर के ज़रिए वायरस भेजना, किसी को आपत्तिजनक/धमकी भरे मैसेज भेजना आदि. साइबर क्राइम का दायरा बहुत बड़ा है. ऐसे अपराध से निपटने के लिए साइबर क्राइम सेल बनाया गया है.

क्या है क़ानून

भारत में साल 2000 में सूचना तकनीक अधिनियम (आईटी एक्ट) पारित हुआ, जिसमें बाद में 2008 में कुछ संशोधन किए गए।  आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत कंप्यूटर और अन्य संचार माध्यमों के ज़रिए ऐसे संदेश भेजने की मनाही है जिससे किसी को परेशानी हो, उसका अपमान हो, उसे ख़तरा हो या उस व्यक्ति को मानसिक चोट पहुंचे, आपराधिक उकसावा मिले या दुर्भावना या शत्रुता की भावना से प्रेरित हो। इसका उल्लंघन करने पर 3 साल तक की सज़ा या जुर्माना हो सकता है। इस अपराध में आसानी से जमानत मिल जाती है। आईटी एक्ट 2008 (संशोधित) की धारा 67 बी के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी के अपराध के लिए 5 साल की जेल या 10 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान  है। 

एहतियाती क़दम

आज के ज़माने में ख़ुद को और बच्चों को साइबर वर्ल्ड से पूरी तरह दूर रखना नामुमक़िन है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर आप साइबर अपराधियों का निशाना बनने से बच सकते हैं।  सोशल साइट्स का इस्तेमाल करते समय बहुत ज़रूरी है कि आप उसके सिक्योरिटी सिस्टम को एक्टिवेट करें, किसी भी अनजान शख़्स की फ्रेंड  रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट न करें। किसी के बेहुदा मैसेज का जवाब न दें. अपनी फोटो व पर्सनल डिटेल को रिस्ट्रिक्ट कर दें ताकि आपके गिने-चुने दोस्तों को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति  उस तक न पहुंच सके। ऑनलाइन निजी जानकारी (फोन नंबर, बैंक डिटेल आदि) किसी से शेयर न करें। उत्तेजक स्क्रीन नाम या ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल न करें।  किसी अनजान शख़्स से ऑनलाइन फ्लर्ट या बहसबाज़ी न करें। अपना पासवर्ड किसी से शेयर न करें। एक अच्छे एंटी वायरस प्रोग्राम का इस्तेमाल करें।  अपनी पूरी बातचीत को कंप्यूटर पर सेव रखें। ऑनलाइन लॉटरी जीतने वाले ईमेल का जवाब न दें।  कोई अनजान शख़्स इंटरव्यू, नौकरी या कोई गिफ्ट देने के बहाने यदि आपकी बैंक डिटेल्स मांगता है, तो ऐसे ईमेल का भी जवाब न दें।  समय-समय पर पासवर्ड बदलते रहें। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दोस्तों की संख्या सीमित रखें।  सोशल साइट्स पर पर्सनल फोटो अपलोड करने से बचें। यदि आपके कंप्यूटर में वेबकैम लगा है तो ध्यान रखें कि इस्तेमाल न होने पर उसे अनप्लग कर दें। 


अपराध साबित करना मुश्किल

 साइबर अपराधियों के लिए क़ानून तो है, मगर उनके अपराध को साबित करना थोड़ा मुश्किल काम होता है. सोशल साइट्स पर वो आपके नाम से ही कई अकाउंट खोल लेते हैं और बक़ायदा आपकी फोटो भी अपलोड कर देते हैं. सोशल साइट्स पर आपको प्रधानमंत्री से लेकर बॉलीवुड स्टार्स तक के कई फर्ज़ी अकाउंट मिल जायेंगे। साइबर बुलिंग का शिकार होने पर सबसे पहले सोशल नेटवर्किंग कंपनी को सूचित करें. साथ ही केस दर्ज करवाने के लिए आपके पास उस एसएमएस का इलेक्ट्रॉनिक सबूत होना चाहिए. यदि आपके पास ये सबूत नहीं भी है, तो संबंधित सोशल साइट्स वो मुहैया करवा सकती है. ऐसे मामलों में सोशल नेटवर्किंग कंपनियों की ज़िम्मेदारी होती है कि वो अदालत या पुलिस के सबूत मांगने पर उनकी मदद करें और ऐसा न करने पर अदालत कंपनी के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज कर सकती है.
साइबर क्राइम सेल 


बच्चों और महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले साइबर अपराध, जैसे- साइबर बुलिंग, हैरासमेंट, ईमेल स्पूफिंग, चैट आदि के ज़रिए उत्पीड़न का शिकार होने पर वो अपमानित महसूस करते हैं, उनके मन में फोबिया बैठ जाता है जिससे वो इंटरनेट के इस्तेमाल से डरने लगते हैं. ख़ासकर बच्चों के मामले में बात डिप्रेशन और सुसाइड तक भी पहुंच जाती है. सोशल मीडिया बुरा नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल सावधानी से करना ज़रूरी है. जिस तरह गैस ऑन करने के बाद उसे बंद करना ज़रूरी होता है, वैसे ही कंप्यूटर/लैपटॉप और स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने के बाद लॉग आउट ज़रूर करें. मैंने अक्सर देखा है कि लोग फोन पर लॉग आउट नहीं करते, जो बहुत ग़लत है.

प्रो आनंद कुमार , साइकोलॉजिस्ट


सोशल साइट एडिक्शन

कुछ लोगों को जैसे सिगरेट-शराब का नशा होता है, वैसे ही सोशल साइट भी एक नशा है. लोगों की ज़िंदगी में इन सोशल साइट्स का दख़ल इस कदर बढ़ चुका है कि इनसे दूर रहने पर उन्हें लगता है जैसे उन्होंने कुछ मिस कर दिया है. कुछ लोग जब तक अपना एफबी अकाउंट चेक नहीं कर लेते, उनकी फोटो को कितने लाइक मिले हैं, उनके दोस्तों ने क्या अपडेट किए हैं आदि देख नहीं लेते, उन्हें चैन नहीं पड़ता. अपनी फोटो पर मिले कमेंट ब्यूटीफुल, अमेज़िंग, सेक्सी आदि से उत्साहित होकर कुछ महिलाएं हर दिन अपनी फोटो अपडेट करती रहती हैं. उन्हें इस बात का इल्म तक नहीं होता कि कोई उनकी फोटो से छेड़खानी करके उनकी ज़िंदगी में तूफ़ान खड़ा कर सकता है. सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों का एक प्रमुख कारण है लोगों द्वारा अपनी निजी ज़िंदगी के हर पल सोशल साइट्स पर अपडेट करना, जिसकी बदौलत अपराधी आसानी से ऐसे लोगों को अपना निशाना बना लेते हैं। 
सच तो यह है कि इस दुनिया के अपराध बहुत ही विस्तृत और नितांत निजी जिंदगी को प्रभावित करने वाले है। इसके लिए सबसे जरुरी है की इंटरनेट का प्रयोग करने वाली हर महिला को बहुत ही सावधानी से काम करना होगा।  जो भी लडकिया या महिलाये सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही है ,वह वे किसी  व्यक्ति से तभी संवाद में आये जब उसके बारे में ठीक से जानकारी प्राप्त हो जाय। त्वरित दोस्ती और त्वरित प्यार का इज़हार आज इस तरह के अपराधों को बहुत बढ़ावा दे रहा है।  इसके लिए नैतिक, सुसंस्कृत और मर्यादा की सीमा में खुद को रखना ही होगा। 

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13 March 2017 at 09:50

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मुझे अपने स्कूल के ग्रेड को बदलने के लिए तत्काल मदद लेने की कोशिश करने की हताशा से कई बार घोटाले हुए हैं,
आखिरकार मेरे मित्र ने विश्वसनीय हैकर्स के एक समूह से मुझे परिचय दिया जो विवेक के साथ काम करते हैं और तत्काल उद्धार करते हैं,
वे सभी तरह के हैंडिंग से लेकर होते हैं;
- खाली एटीएम कार्ड की तार
ईमेल खातों में छापें और ईमेल स्थान का पता लगाएं
-सभी सामाजिक मीडिया खाते,
-स्कूल डेटाबेस को साफ़ या बदलने के लिए,
खोए फाइल / दस्तावेजों का पुनःप्राप्ति
-डीयूआई
-कंपनी रिकॉर्ड और सिस्टम,
-बैंक खाते, पेपैल खाते
-क्रेडिट कार्ड हैक
-क्रेडिट स्कोर हैक
किसी भी फोन और ईमेल पते की निगरानी करें
आईपी ​​पता
+ किसी की कॉल में टैप करें और उनकी बातचीत को मॉनिटर करें
>>> संपर्क >> NOBLEHACKER284@GMAIL.com
         **ध्यान दें**
वे आपको यह भी सिखा सकते हैं कि ई-बुक और ऑनलाइन ट्यूटोरियल के साथ निम्नलिखित कैसे करें
* क्या आपका साथी आपको धोखा दे रहा है? वे तुम्हें कैसे सिखा सकते हैं
- उनकी बातचीत में टैप करें और उनके बातचीत की निगरानी करें
* ईमेल और पाठ संदेश की रोकथाम,
* ऑनलाइन शॉपिंग के लिए हैक और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करें,
* किसी भी फोन और ईमेल पते की निगरानी करें,
* एंड्रॉइड और आईफोन को अपने दम पर, तत्काल प्रतिक्रिया और रेफरल छूट लाभ के साथ।

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