पद्मावती पर राजपूताना युद्ध


पद्मावती पर राजपूताना युद्ध 
संजय तिवारी 
फिल्म पद्मावती को लेकर छिड़ा राजपूताना यद्ध अब और गहरा गया है। बिहार समेत पांच राज्यों में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक  लगाए जीने के बीच ही ब्रिटैन के सेंसर बोर्ड ने इसे बिना काट छांट के अपनी मंजूरी दे  दी है। इधर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह फिल्म को लेकर किसी प्रकार की धरना नहीं दे सकता क्योकि इससे सेंसर बोर्ड के निर्णय पर असर पड़ेगा।  इसी बीच जयपुर के नाहर गढ़ किले पर एक व्यक्ति का शव मिला है जिसे इस फिल्म से ही जोड़  कर देखा जा रहा है क्योकि पास में ही पत्थरों पर लिखा मिला कि पद्मावती का विरोध करने वालों हम सिर्फ पुतले नहीं जलाते हैं।इधर इसी मुद्दे पर हरियाणा में भाजपा के मुख्य मीडिया कोऑर्डिनेटर सूरजपाल अम्मू ने अपने पद से इस्तीफ़ा  देकर धमकी दी है कि राजपूत बिरादरी अब और अपमान नहीं सहेगी। गुड़गांव से मिली खबर के अनुसार भाजपा नेता अम्मू का कहना है कि  दिल्ली में राजपूत करणी सेना और मुख्यमंत्री मनोहरलाल के बीच मुलाकात होनी थी लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष भवानी सिंह, संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अन्य 22 प्रतिनिधि समय से पहुंच गए लेकिन सीएम पिछले दरवाजे से निकल गए। सीएम के इस तरह चले जाने को बीजेपी नेता सूरजपाल अम्मू ने कहा कि सीएम ने राजपूत बिरादरी का अपमान किया है और राजपूत बिरादरी इसको सहन नहीं करेगी।
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नाहरगढ़ में लाश
उधर जयपुर स्थित नाहरगढ़ फोर्ट पर एक शख्स की लाश लटकी मिली। पास में ही पत्थरों पर लिखा मिला कि पद्मावती का विरोध करने वालों हम सिर्फ पुतले नहीं जलाते हैं। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। कहा कि पद्मावती फिल्म से जुड़ी जो धमकियां पत्थर पर लिखी मिली हैं, वो इसी व्यक्ति से जुड़ी हैं या नहीं, ये कहना मुश्किल है। मृतक का नाम चेतन सैनी (40) बताया जा रहा है, जो शास्त्री नगर इलाके का रहने वाला है। लड़के के पास से मुंबई का एक टिकट भी मिला है।

बिहार सहित पांच राज्यों में रोक
 इस बीच  फिल्म पद्मावती की रिलीज पर बिहार सरकार ने भी रोक लगा दी है। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जब तक फिल्म डायरेक्टर संजय लीला भंसाली और विवाद से जुड़े लोग सफाई नहीं देंगे, बिहार में भी फिल्म नहीं चलेगी। बिहार से पहले राजस्थान, यूपी, गुजरात और मध्यप्रदेश सरकारें पद्मावती की रिलीज पर रोक लगा चुकी हैं। नीतीश कुमार ने पद्मावती पर हो रहे विवाद को लेकर रिव्यू मीटिंग की। बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि रानी पद्मावती हमारी धरोहर हैं और उन्होंने खिलजी से प्रेम नहीं किया था। सेंसर बोर्ड इस मामले को देखे। हमें ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिपण्णी
इधर सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक व बड़े पदों पर बैठे लोगों द्वारा फिल्म पद्मावती के बारे में की जा रही टिप्पणियों पर सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा है कि जब फिल्म की मंजूरी लंबित है, तो सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों के ऐसे बयान अवांछनीय हैं। वे कैसे कह सकते हैं कि सेंसर बोर्ड फिल्म को पास करे या नहीं? यह फिल्म के बारे में धारणा बनाने जैसा है, जिससे सेंसर बोर्ड का निर्णय प्रभावित होगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने विदेश में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग से जुड़ी याचिका खारिज करते हुए  कहा कि अदालत ऐसी फिल्म पर पहले से धारणा नहीं बना सकती, जिसे अभी सीबीएफसी से सर्टिफिकेट तक नहीं मिला है।
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 राजा रत्नसिंह और सिंहल द्वीप की राजकुमारी की प्रेमगाथा
 चित्तौड़ के राजा रत्नसिंह और सिंहल द्वीप की राजकुमारी की प्रेमगाथा मलिक मोहम्मद जायसी ने 1540 ईस्वी में लिखी थी। और दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलज़ी के रानी की सुन्दरता को सुनकर उन पर लट्टू हो जाने का वर्णन भी उन्होंने ही किया है। मज़े की बात कि जायसी खुद अलाउद्दीन खिलज़ी के चित्तौड़ हमले से कोई दो सौ साल बाद पैदा हुए थे। चित्तौड़ पर हमला 1303 में हुआ और जायसी पैदा हुए 1477 में, वह भी वर्तमान उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में स्थित एक गांव जायस में। वे एक प्रेममार्गी सूफी कवि थे, जो ईश्वर को स्त्री रूप में देखते हैं।

मसनवी शैली में पद्मावत 
जायसी ने अपनी इस प्रेमगाथा को फ़ारसी लिपि में लिखा था, इसलिए उनके इस अवधी काव्य को उर्दू के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता था। लेकिन सौ साल पहले आचार्य रामचंद्र शुक्ल इस काव्य को हिंदी में लाये और हिंदी के पाठ्यक्रम में उसकी स्वीकृति दिलाई। मगर राजस्थान के राजपूतों में रानी पद्मिनी को जौहर करने वाली एक ऐसी स्त्री के रूप में सम्मान दिया जाता है, जो हमलावरों से खुद का सम्मान बचाए रखने के लिए आग की ज्वाला में कूद पड़ी थीं। ज़ाहिर है सुदूर राजस्थान तक जायसी की पद्मावत नहीं पहुंची थी लेकिन रानी पद्मिनी वहां एक अमरगाथा बन चुकी थीं। रानी की यह अमर गाथा एक ऐसी गाथा है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। खुद आचार्य शुक्ल ने लिखा है कि मलिक मोहम्मद जायसी का प्रमुख ग्रन्थ पद्मावत है। इसी पद्मावत में चित्तौड़ के राजा रत्नसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती की प्रेमकथा कही गयी है। यह सूफी काव्य परंपरानुसार मसनवी शैली में 57 खण्डों में लिखा गया है।

त्रिवेणी में पद्मावत का विवेचन
आचार्य शुक्ल अपनी पुस्तक ‘त्रिवेणी’ में पद्मावत के कथानक के दो आधार बताते हैं। उनका कहना है कि ‘पद्मावत की सम्पूर्ण आख्यायिका को हम दो भागों में विभक्त कर सकते हैं। रत्नसेन की सिंहलद्वीप यात्रा से लेकर पद्मिनी को लेकर चित्तौड़ लौटने तक हम कथा का पूर्वार्द्ध मान सकते हैं और राघव के निकाले जाने से लेकर पद्मिनी के सती होने तक उत्तरार्द्ध। ध्यान देने की बात है कि पूर्वार्द्ध तो बिल्कुल कल्पित कहानी है और उत्तरार्द्ध ऐतिहासिक आधार पर है।’ (त्रिवेणी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पृ. 22)। शुक्ल जी इसके ऐतिहासिक आधार की और गहरी पड़ताल करते हैं। विक्रम संवत‍् 1331 में लखनसी चित्तौड़ के सिंहासन पर बैठा। वह छोटा था इसलिए उसका चाचा भीमसी (भीम सिंह) ही राज्य करता था। भीमसी का विवाह सिंहल के चौहान राजा हम्मी शक की कन्या पद्मिनी से हुआ था, जो रूप, गुण में जगत में अद्वितीय थी। उसके रूप की ख्याति सुनकर दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन ने चित्तौड़गढ़ पर चढ़ाई की… अलाउद्दीन ने संवत‍् 1346 वि. (सन‍् 1290 ई., पर फ़रिश्ता के अनुसार सन‍् 1303 ई, जो ठीक माना जाता है) में फिर चित्तौड़गढ़ पर चढ़ाई की। इसी दूसरी चढ़ाई में राणा अपने ग्यारह पुत्रों सहित मारे गए। जब राणा के ग्यारह पुत्र मारे जा चुके थे और स्वयं राणा के युद्ध क्षेत्र में जाने की बारी आई तब पद्मिनी ने जौहर किया… टॉड ने जो वृत्त दिया है, वह राजपूताने में रक्षित चारणों के इतिहास के आधार पर है। दो-चार ब्योरों को छोड़कर ठीक यही वृत्तांत ‘आईने अकबरी’ में भी दिया हुआ है।
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जनश्रुति में पद्मिनी
लेकिन जनश्रुति थोड़ी अलग है और उसके अनुसार रानी पद्मिनी, चित्तौड़ की रानी थी। पद्मिनी को पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है, वे शायद 13वीं 14वीं सदी में हुईं। रानी पद्मिनी के साहस और बलिदान की गौरवगाथा राजस्थान के लोकगाथाओं में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थीं। रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थीं। एक बार दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की उस पर बुरी नजर पड़ गई। अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी लेकिन अपनी आन-बान पर आंच नहीं आने दी। अब रानी पद्मिनी विवाद का विषय हैं लेकिन इतना तो तय ही है कि मध्यकाल में स्त्री का अपने सम्मान के लिए जान दे देना उसकी गरिमा को बढ़ाता था। इसलिए रानी पद्मिनी के प्रति लोगों के मन में सम्मान है। संजय लीला भंसाली ने स्वयं अपनी फिल्म का जैसा प्रोमो प्रसारित किया था, उससे यह तो लगता ही था कि तामझाम और चकाचौंध एवं दर्शकों को आकर्षित करने के चलते भंसाली ने रानी के साथ न्याय नहीं किया।

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संभल में जौहर स्मृति मंदिर
उत्तरप्रदेश के संभल जिले  जौहर स्मृति मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में चितौड़ की रानी पद्मावती का अस्थि‍ कलश  भी  रखा है। इतिहासकार डॉ. केके. शर्मा का कहना है कि भारत सरकार के गजेटियर 1965 में भी पवांसा के जौहर का उल्लेख है। इसी से साबित होता है कि वहां रानी और उसके साथ महल में मौजूद महिलाओं ने जौहर किया था। संभल जिले के पंवासा में जौहर स्मृति मंदिर है। यहां 4 अस्थि कलश रखे हैं- रानी पद्मावती, कमलावती, करुणावती। इसके अलावा पवांसा की वीरांगनाओं का एक कलश है, जिसमें रानी पवांरनी और उनके साथ जौहर करने वाली करीब 200 रानियों की अस्थियां शामिल हैं। ग्रामीणों की मानें तो बुलंदशहर, अलीगढ़, बदायूं, मुरादाबाद में कुल 1656 रियासतें थीं, जिसके राजा प्रताप सिंह थे। राजा की छठी पीढ़ी में प्रतापी राजा अनूप सिंह ने राज संभाला। एक बार अनूप सिंह ने श‍िकार के दौरान मुगल बादशाह जहांगीर की शेर से जान बचाई थी। इस पर बादशाह ने उन्हें सिंह दलन की उपाधि से नवाजा। अनूप सिंह की चौथी पीढ़ी में राजा सुरजन सिंह हुए। इन्होंने पवांसा की कच्ची गढ़ी का निर्माण कराया। सुरजन सिंह की 4 संतान हुई, उनमें से एक राजा हेमकरण सिंह के 5 बेटों में से एक कमाल सिंह ने बाद में गद्दी संभाली। इनके बाद इसी वंश के राजा पहुप सिंह और बाद में उनके इकलौते बेटे केसरी सिंह वीर प्रतापी हुए। नवंबर, 1717 में राजा केशरी सिंह के राज्य पर मेवातियों ने आक्रमण कर दिया। केशरी सिंह और उनकी सेना ने मेवातियों का डटकर मुकाबला किया और जीत हासिल की। राजा जब विजयी होकर सेना के साथ मेवातियों के झंडे छीनकर वापस लौटे, तो महल में खड़ी रानी ने समझा कि मेवाती युद्ध में जीत गए हैं और वह महल की ओर आ रहे हैं। यह देखकर रानी सती पवांरनी ने महल में मौजूद करीब 200 वीरांगनाओं के साथ जौहर कर लिया।
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ऐसे संभल पहुंचा चितौड़ की रानियों का अस्थ‍ि कलश
पवांसा के इतिहास को संजोते हुए 20 अक्टूबर 1985 में एक जौहर स्मृति मंदिर का निर्माण कराया गया। इसी मंदिर में रानी पवांरनी और उनके साथ जौहर करने वाली वीरांगनाओं का अस्थि कलश रखा गया।
 इसके अलावा यहां चित्तौड़ की रानी पद्मावती, कलावती और करुणावती का कलश भी रखा गया है। जौहर स्मृति मंदिर में हर साल 17 नवंबर को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम आयोजित कराने वालों में शामिल अवधेश कुमार का कहना है, इस बार जौहर के 300 साल पूरे होने पर श्रद्धाजंलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। जब मंदिर का निर्माण कराया गया, तब चित्तौड़ से राज घराने के उदय सिंह यहां चित्तौड़ से रानी पद्मावती, रानी कमलावती और रानी करुणावती की अस्थियों के कलश लेकर पहुंचे थे।इन कलश में उस स्थान से लाई गई मिट्टी और अस्थियों के अवशेष हैं, जहां रानी पद्मावती ने जौहर किया था। पवांसा गांव के लोग भी पद्मावती का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फिल्म में पद्मावती के बारे में गलत जानकारियां दी गई है। उन्होंने संजय लीला भंसाली के ख‍िलाफ देशद्रोह का केस दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की है।
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किसने क्या कहा -
 'पद्मावती' पर लगा है दाउद का पैसा :लोकेन्द्र सिंह कालवी , करणी सेना
हिंदू वीरंगनाओं की छवि को बदनाम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय माफिया सरगना और मुबंई हमलों के मास्टर माइंड दाउद इब्राहिम के इशारे पर फिल्म में जानबूझ कर आपत्तिजनक दृश्यों को डाला गया। मैं दावे के साथ कहता हूं कि फिल्म के लिये धन दुबई से आ रहा है जिसे मुबंई हमलों का आरोपी दाऊद इब्राहिम उपलब्ध करा रहा है। इतिहास के साथ छेडछाड एक खास मकसद के साथ की गयी है जिसे उनका संगठन कतई बर्दाश्त नही करेगा।
फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिये वह पीएम नरेन्द्र मोदी से अपील कर चुके है और उन्हे यकीन है कि मोदी उनकी अपील पर गौर करेंगे। उम्मीद है कि पद्मावती को एक दिसम्बर से रिलीज होने की इजाजत नही दी जायेगी। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसके लिये हम मरने के लिये तैयार है।  संगठन पद्मावती फिल्म को किसी भी कीमत पर रिलीज नही होने देगा। फिल्म के निर्माता एवं निदेशक संजय लीला भंसाली ने कहा था कि फिल्म में से विवादित दृश्यों को हटा दिया जायेगा परन्तु उन्होने ऐसा नही किया। अगर फिल्म को रिलीज करने की अनुमति दी जाती है तो एक दिसम्बर को भारत बंद का आह्वान करेंगे।

फिल्म में लगे पैसे की जांच जरुरी : सुभ्रमण्यम स्वामी
 हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी अब इस विवाद में कूद चुके हैं। फिल्म का जहां राजपूत समाज लगातार विरोध कर रहा वही इस विवाद को एक हवा और मिल गई है । सुब्रमण्यम स्वामी कह रहे हैं कि संजय लीला भंसाली की जांच हो इस फिल्म में बाहरी ताकतों का पैसा है। वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने पद्मावती के फंड पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि फिल्म में किसका पैसा लगा है इसकी जांच होनी चाहिए। इतिहास से छेड़छाड़ को लेकर लगातार इस फिल्म का विरोध हो रहा था। अब भंसाली पर देशद्रोह का मुकादमा करने की मांग भी उठ रही है।फिल्म पद्मावती की रिलीज पर दीपिका ने भी बयान दिया था। दीपिका ने सवाल किया था कि, एक राष्ट्र के तौर पर हम कहां पहुंच गए हैं, हम आगे बढ़ने के बदले पीछे जा रहे हैं। बीजेपी नेता सुब्रमण्‍यन स्वामी को दीपिका की बात इतनी बुरी लगी कि उन्होंने दीपिका की अनपढ़ तक कह दिया। पद्मवती पर बैन की मांग को लेकर स्वामी ने कहा, 'किसी एक फिल्म की रिलीज रुकने का मतलब ये नहीं है कि हमारा देश पीछे जा रहा है। दीपिका के बयान से लगता है कि वो पढ़ी-लिखी नहीं हैं। उन्हें फिर से पढ़ाई शुरू कर कुछ सीखना चाहिए। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिर्फ सिनेमा के आधार पर देश को पिछड़ा बताया जा रहा है। हमें ये भी नहीं पता कि दीपिका भारत की नागरिक हैं भी या नहीं। दीपिका के बयान की पूरे देश में आलोचना होनी चाहिए। यही नहीं स्‍वामी ने फिल्‍म के बजट पर भी सवाल उठा दिए, उन्‍होंने कहा कि इस फिल्‍म में किसका पैसा लगा यह बात सामने आनी चाहिए।

लोगों को नाराज होने का अधिकार : नितिन गडकरी
पद्मावती को लेकर सबसे ताजा बयान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने फिल्ममेकर्स को सीमा में रहने की सलाह तक दे डाली। उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की आजादी मूलभूत अधिकार जरूर है लेकिन एक सीमा में रहे तो बेहतर है। मेकर्स को सांस्कृतिक संवेदनशीलता बनाए रखने की आवश्यकता है। फिल्म में इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। लोगों को फिल्म से नाराज होने का अधिकार है। बीजेपी के सीनियर नेता का यह बयान उस समय आया है जब देशभर में फिल्म के खिलाफ प्रदर्शन उग्र हो रहा है।

कहानी लिखने वाले हैं जिम्‍मेदार : उमा भारती
दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकी के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने सटीक जवाब दिया। दीपिका का बचाव करते हुए उमा ने टि्वटर पर लिखा कि, जब हम पद्मावती के सम्‍मान की बात करते हैं तो हमें सभी महिलाओं के सम्‍मान का ध्‍यान रखना होगा। इसके बाद उमा ने एक और ट्वीट किया कि, 'फिल्म पद्मावती के संदर्भ में उस फिल्म की अभिनेत्री या अभिनेताओं के बारे में कोई भी टिप्पणी उचित नहीं है. उनकी आलोचना अनैतिक होगी।' हालांकि उमा ने इस पूरे विवाद की वजह फिल्‍म मेकर्स को बताया। उन्‍होंने आगे लिखा कि, 'निर्देशक और पटकथा लेखक के तौर पर काम कर रहे भंसाली के सहयोगी इसकी कहानी के प्रति जिम्मेदार हैं। उनको लोगों की भावनाओं और ऐतिहासिक तथ्यों का ख्याल रखना चाहिए।'

फिल्‍म रिलीज न हो : योगी आदित्‍यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शांति व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर 1 दिसंबर को फिल्म रिलीज न करने की मांग की है। योगी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा, राज्‍य में स्‍थानीय निकाय चुनाव तथा बारावफात को देखते हुए फिल्‍म का रिलीज होना शांति व्‍यवस्‍था के हित में नहीं होगा। यूपी में निकाय चुनाव के लिए मतों की गिनती भी एक दिसंबर को ही होनी है।इससे पहले एक पत्रकार वार्ता में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विवाद के लिए संजय लीला भंसाली भी जिम्मेदार हैं. जनभावनाओं से खिलवाड़ का अधिकार किसी को नहीं है। उन्होंने कहा कि फिल्म के विरोध में प्रदर्शन करने वाले जितने जिम्मेदार हैं, उतनी ही गलती संजय लीला भंसाली ने भी की. यदि प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई होगी तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी. उन्होंने कहा कि संजय लीला भंसाली जनभावनाओं से खिलवाड़ करने के आदी हो चुके हैं। लीड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को मिली धमकी के बाबत मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून को हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है. चाहे वह संजय लीला भंसाली हों या कोई और। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सभी को ऐसे बयानों से परहेज करना चाहिए. एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. यदि सभी ऐसी भावना रखेंगे तो समाज में सौहार्द स्थापित होगा. फिल्म के प्रदर्शन को लेकर सरकार अपना स्टैंड स्पष्ट कर चुकी है. कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।

जिनकी बीवियां रोज बदलती हैं शौहर, वो क्‍या जानें जौहर : चिंतामणि मालवीय
उज्जैन सांसद और मध्यप्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ. चिंतामणि मालवीय ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का विरोध किया है। मालवीय ने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा, 'मैं फ़िल्म पद्मावती का पुरजोर विरोध और बहिष्कार करता हूं। मेरे शुभचिंतकों से अनुरोध करता हूं कि इस फ़िल्म को बिल्कुल न देखें। फ़िल्म बनाकर चन्द पैसों के लालच के लिए इतिहास से छेड़छाड़ करना शर्मनाक और घृणित कार्य है। आगे भाजपा नेता ने लिखा, 'यह देश रानी पद्मावती का अपमान नही सहेंगा। हम गौरवशाली इतिहास के साथ छेड़खानी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते। अलाउद्दीन खिलजी के दरबारी कवियों द्वारा लिखे गए गलत इतिहास पर संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फ़िल्म बना दी है। यह न सिर्फ गलत है, बल्कि निंदनीय है, जिन फिल्मकारों के घरों की स्त्रियां रोज अपने शौहर बदलती है वे क्या जाने जौहर क्या होता है? अभिव्यक्ति के नाम पर संजय भंसाली की मानसिक विकृति नहीं सहन की जाएगी।

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