बड़े मंगल पर विशेष निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा

बड़े मंगल पर विशेष 
निर्मल मन जन सो मोहि पावा,
मोहि कपट छल छिद्र न भावा 

संजय तिवारी 
संकट कैसा भी हो राम भक्त हनुमान उसे पल भर में दूर करने की क्षमता रखते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम से हनुमान जी की पहली मुलाकात ज्येष्ठ (जेठ) के महीने में हुई थी। यही वजह है कि इस महीने में पड़ने वाले सभी मंगलवार का विशेष महत्व है। हनुमानजी संकट हरने वाले देवता हैं। पूर्ण समर्पण से भक्ति करने वालों के सभी संकट पलभर में छूमंतर हो जाते हैं। लेकिन उनकी भक्ति और श्रद्धा वैसी ही होनी चाहिए, जैसी हनुमानजी की श्रीराम के प्रति थी, जहां न स्वार्थ हो, न आडंबर, न आकांक्षा और न ही किसी प्रकार की आशंका।
श्रीमदरामचरितमानस में गोस्वामी जी ने लिखा है-

निर्मल मन जन सो मोहि पावा,
 मोहि कपट छल छिद्र न भावा। 
लखनऊ में बड़े मंगल की महत्ता
हनुमान जी का लखनऊ से बहुत ही गहरा सम्बन्ध है। कलियुग में भी सर्वत्र विद्यमान परम ग्यानी , रामभक्त हनुमान जी की उपस्थिति तो सर्व विदित है।  मानस में गोस्वामी जी ने हनुमान जी को कलियुग का कल्पवृक्ष कहा है।लखनऊ में इस कल्पवृक्ष का अनुभव यहाँ का प्रत्येक प्राणी करता है। इस अनुभव में जाती , पंथ, मजहब आदि की कोई बंदिश कहीं नहीं है। लखनऊ में ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले सभी मंगल 'बडा़ मंगल' के रूप में मनाए जाते हैं और इस आयोजन में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई आदि सभी धर्मों के लोग भी  बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। मंगलवार के इस आयोजन के लिए प्रशासन द्वारा की गई सुरक्षा व्यवस्था के बीच सभी धर्मों के लोगों ने इसमें बडे़ हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं। इस दिन पूरा लखनऊ लाल लंगोटे वाले की जय के उद्घोष से गूंज उठता है।

चार सौ वर्ष पुरानी है परंपरा
मान्यता है कि इस परंपरा की शुरुआत लगभग 400 वर्ष पूर्व मुगल शासक ने की थी। नवाब मोहमद अली शाह का बेटा एक बार गंभीर रूप से बीमार हुआ। उनकी बेगम रूबिया ने उसका कई जगह इलाज कराया लेकिन वह ठीक नहीं हुआ। बेटे की सलामती की मन्नत मांगने वह अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर आईं। पुजारी ने बेटे को मंदिर में ही छोड़ देने कहा। रूबिया रात में बेटे को मंदिर में ही छोड गईं। दूसरे दिन रूबिया को बेटा पूरी तरह स्वस्थ मिला। उन्हें इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था कि एक ही रात में बीमार बेटा पूरी तरह से चंगा कैसे हो सकता है।


बेगम रुबिया ने कराया जीर्णोद्धार
 रूबिया ने इस पुराने हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। जीर्णोद्धार के समय लगाया गया प्रतीक चांद तारा का चिह्न आज भी मंदिर के गुंबद पर चमक रहा है। मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही मुगल शासक ने उस समय ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगल को पूरे नगर में गुड़-धनिया, भूने हुए गेहूं में गुड़ मिलाकर बनाया जाने वाला प्रसाद.. बंटवाया और प्याऊ लगवाए थे। तभी से इस बडे़ मंगल की परंपरा की नींव पडी़।

ऐसे बना नया  मंदिर
बडा मंगल मनाने के पीछे एक और कहानी है। नवाब सुजा-उद-दौला की दूसरी पत्नी जनाब-ए-आलिया को स्वप्न आया कि उसे हनुमान मंदिर का निर्माण कराना है। सपने में मिले आदेश को पूरा करने के लिए आलिया ने हनुमानजी की मूर्ति मंगवाई। हनुमानजी की मूर्ति हाथी पर लाई जा रही थी। मूर्ति को लेकर आता हुआ हाथी अलीगंज के एक स्थान पर बैठ गया और फिर उस स्थान से नहीं उठा। आलिया ने उसी स्थान पर मंदिर बनवाना शुरू कर दिया जो आज नया हनुमान मंदिर कहा जाता है।

ज्येष्ठ में ही हुआ था पहला भंडारा
मंदिर का निर्माण ज्येष्ठ महीने में पूरा हुआ। मंदिर बनने पर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई और बडा़ भंडारा हुआ। तभी से जेष्ठ के महीने का हर मंगलवार बडा़ मंगल के रूप में मनाने की परंपरा चल पडी़। चार सौ साल पुरानी इस परंपरा ने इतना बृहद रूप ले लिया है कि अब पूरे लखनऊ के हर चौराहे, हर गली और हर नुक्कड पर भंडारा चलता है। पूरे दिन शहर बजरंगबली की आराधना से गूंजता रहता है और हर व्यक्ति जाति, धर्म, अमीरी-गरीबी सब भूला कर भंडारा में हिस्सा लेने और हनुमानजी का प्रसाद ग्रहण करने की होड़ में लग जाता है।

घर से मंदिर तक लेट कर जाने की परंपरा
पुराने हनुमान मंदिर की मान्यता है कि बडे़ मंगल के दिन अपने निवास स्थान से लेटकर जमीन नापते हुए मंदिर तक जाने से मन्नत पूरी होती है। इसलिए बडे़ मंगल के दिन प्रातःकाल सैकड़ों लोग सड़क पर लेट-लेट कर मंदिर तक जाते हुए दिखाई पड़ते हैं और हर बार लेटते हुए... लाल लंगोटे वाले की जय.. बोलते हैं। इन परिक्रमा करने वालों में पांच वर्ष के बच्चे से लेकर बूढे़ तक दिखाई पडते हैं। मन्नत पूरी होने पर फिर यही परिक्रमा करते हैं।

अलीगंज मंदिर से जुड़ है सुनीलदत्त का नाम
अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर के साथ अभिनेता स्वर्गीय सुनील दत्त का भी नाम जुडा़ हुआ है। देश विभाजन के बाद लखनऊ आने पर अभिनेता सुनील दत्त ने इसी मंदिर के प्रांगण में रात बिताई थी और उन्हें सोते समय स्वप्न हुआ था कि मुंबई जाओ। वहां तुम्हारा भाग्य चमकेगा। सुनील दत्त ने लखनऊ से सीधे मुंबई का रूख किया और सफलता प्राप्त की।

दिन भर चलता है भंडारा
बडा़ मंगल की सबसे बडी़ विशेषता यह है कि इतने बृहद रूप में पूरे दिन भंडारा होता है और हनुमान जी की आराधना लाउडस्पीकर पर गूंजती रहती है, लेकिन इस दिन कभी भी, कहीं भी कोई तनाव की घटना नहीं हुई। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में भी सभी मंदिरों में हजारों श्रद्धालु दर्शन-पूजन करते हैं। पूरा माहौल हनुमान मय रहता है लेकिन पूरी तरह शांति और उल्लापूर्ण वातावरण बना रहता है। पूरे मंदिर क्षेत्र में मेले जैसा माहौल रहता है।

अलग अलग मंदिरों में अलग अलग श्रृंगार
 लखनऊ में स्थित विभिन्न हनुमानजी के मंदिरों में मूर्ति का श्रृंगार भी अलग-अलग तरह से किया जाता है। पक्का पुल स्थित अहिमर्दन पाताल पुरी में 11 क्विंटल गुलाब और गेंदे के फूलों से श्रृंगार होता है। यहां भक्त सिन्दूर चढा़ते हैं। चोला बदलने के बाद भव्य आरती होती है। किसी मंदिर में सोने और चांदी के वर्क से श्रृंगार किया जाता है, तो कहीं मेवा और मखाना से श्रृंगार होता है। अमीनाबाद के हनुमान मंदिर में चमेली के तेल, दुग्ध, मधु से अभिषेक के बाद सिन्दूर चढा़या जाता है तथा सोने-चांदी के वर्क और पुष्पों तथा मेवे से श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद 108 दीपों की आरती होती है। अलीगंज स्थित पुराने और नए हनुमान मंदिर, विकास नगर का पंचमुखी हनुमान मंदिर, छाछीकुआं मंदिर, हजरतगंज का दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर, इंदिरा नगर के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, निशातगंज बंधा मार्ग के पंचमुखी हनुमान मंदिर, आशियाने के छुहारे वाले हनुमान मंदिर, आलमबाग बडा़ चौराहा हनुमान मंदिर, गोलागंज के दुर्गा हनुमान मंदिर, सीतापुर रोड के हाथी बाबा मंदिर इत्यादि तमाम मंदिरों में श्रृंगार की अलग-अलग विधाएं हैं।

डालीगंज जैन मंदिर से निकलती है राम बारात
बडे़ मंगल की पूर्व संध्या पर डालीगंज जैन मंदिर से राम बारात निकाली जाती है, जिसमें सजे-धजे रथ पर भगवान राम सवार होते हैं, तो उनके पीछे वानर सेना भी रहती हैं। बैंड-बाजे और रंगबिरंगी आतिशबाजी के साथ बारात विभिन्न मार्गों से गुजरती है।

ऐसे खुश होंगे संकटमोचन
मंगलवार के दिन ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। इसलिए मान्यता है कि मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने से हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। हम आपको हनुमानजी को प्रसन्न करने के कुछ खास उपाय बता रहे हैं, जिनके करने से आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है और मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं। संकटमोचन हनुमानजी को प्रसन्न करना है तो कुछ उपाय करने होंगे, जिनसे वीरवर हनुमान आपके सारे संकट हर लेंगे। कहा भी गया है-

प्रेम प्रतीतिह कपि भजै सदा धरै उर ध्यान
तेहि के कारज सकल शुभ सिद्धि करैं हनुमान।

हनुमान चालीसा का पाठ करें
हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों के सारे दुःख दूर होते हैं। हनुमानजी के स्मरण मात्र से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है। हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महान कृति है। इसे पढ़ने और सुनने से बल बुद्धि और विद्या बढ़ती है।

संकटमोचक हनुमाष्टक
मंगलवार के दिन संकटमोचक हनुमाष्टक का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि- श्री हनुमानाष्टक पढ़ति निसि दिन विष्णु लोक सुगक्षितम्...

बजरंगबाण का पाठ करें
बड़े मंगल के दिन बजरंगबाण का पाठ सभी कष्टों से निजात दिला सकता है। साथ ही इसका नित्य पाठ सुरक्षा कवच बनकर आपकी रक्षा करता है। बजरंग बाण का रोजाना पाठ करने वाले शत्रु भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, चाहे वो जितना भी ताकतवर क्यों न हो।
गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है- जो बजरंग बाण यह जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै

सुंदरकांड का पाठ करें
वैसे तो पूरी रामचरितमानस का पाठ मनवांछित फल प्रदान करने वाला है, लेकिन मानना है कि सुंदरकांड के कुछ दोहों का रोजाना पाठ करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस कांड में हनुमान का समुद्र लांघना, सीता का पता लगाना, लंका दहन करना, अशोक वाटिका उजाड़ना और भगवान राम को माता सीता का हाल सुनाना आदि वर्णित है।

उतारें हनुमानजी की आरती
मान्यता है कि मंगलवार के दिन या रोजाना हनुमान लला की आरती करने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और अंत समय में मोक्ष धाम की प्राप्ति होती है। गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है-
जो हनुमानजी की आरती गावै, बसि बैकुंठ परम पद पावै...

इस बार नौ बड़े मंगल
ज्येष्ठ माह के 2018 में अधिक मास (पुरुषोत्तम मास) होने की वजह से नौ बड़े मंगल होंगे। इनमें मई में पांच और जून माह में चार बड़े मंगल होंगे। हर चौथे साल में ऐसा होता है। पुरुषोत्तम मास का निर्धारण हर 32 माह 16 दिन और चार घड़ी पर होता है। इस बार चूंकि ज्येष्ठ माह में ही यह शुरू हो रहा है तो ज्येष्ठ माह का विस्तार हो गया है। इससे पहले 2007 में भी ज्येष्ठ के महीने में पुरुषोत्तम मास आया था और बड़े मंगल की पूजा का कई बार अवसर मिला था।

 किस महीने की कौन सी तारीख को बड़ा मंगल
मई माह - एक मई, आठ मई, 15 मई, 22 मई, 29 मई
जून माह - पांच जून, 12 जून, 19 जून, 26 जून

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