आसाराम को उम्रकैद

आसाराम को उम्रकैद 

जोधपुर।  नाबालिग शिष्या से दुष्कर्म के मामले में आसाराम (80) को दाेषी करार दिया गया है। विशेष एससी-एसटी कोर्ट के जज मधुसूदन शर्मा ने बुधवार सुबह सेंट्रल जेल में कोर्ट लगाकर अपना फैसला सुनाया। जोधपुर की जेल में बंद आसाराम के दो सहयोगियों को भी दोषी ठहराया गया। आसाराम  उम्रकैद की सजा सुनाई गयी है। । फैसले और सजा के खिलाफ आसाराम राजस्थान हाईकोर्ट में अपील कर सकता है। इंदिरा गांधी के हत्यारों, आतंकी अजमल आमिर कसाब और डेरा प्रमुख गुरमीत राम-रहीम के केस के बाद ये देश का चौथा ऐसा बड़ा मामला है, जब जेल में कोर्ट लगी और वहीं से फैसला सुनाया गया। पॉक्सो एक्ट के तहत भी ये पहला बड़ा फैसला है।देश में 12 साल से काम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा के अध्यादेश के बाद यह पहला फैसला है।आसाराम के दोनों साथियों को 20 -20 साल की अजा हुई है।

फैसले की सबसे बड़ी कड़ी 
बता दें कि 21 अगस्त 2013 को आसाराम के खिलाफ नाबालिग छात्रा ने दिल्ली में यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। 31 सितंबर को इंदौर से उसे गिरफ्तार किया गया था। मामले में सेवादार शिवा, शरतचंद्र, शिल्पी और प्रकाश भी आरोपी हैं। कानूनी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि आसाराम को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इस बीच राजस्थान, गुजरात और हरियाणा हाईअलर्ट पर हैं। पीड़ित लड़की ने 27 दिन की लंबी जिरह में 94 पेज के बयान दिए। पीड़ित पक्ष ने 107 दस्तावेज पेश किए। 58 गवाहों की सूची दी। इनमें से 44 के बयान दर्ज हुए। आसाराम ने 12 बार जमानत की अर्जी दी। 6 अर्जी ट्रायल कोर्ट ने खारिज कीं, 3 राजस्थान हाईकोर्ट ने और 3 सुप्रीम कोर्ट ने। 

यह विदित है कि दुष्कर्म की शिकार लड़की उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की रहने वाली है। आसाराम के समर्थकों ने उसे और उसके परिवार को बयान बदलने के लिए बार-बार धमकाया। त्तर प्रदेश से बार-बार जोधपुर आकर केस लड़ने के लिए उसके पिता को ट्रक तक बेचने पड़े। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले नौ लोगों पर हमला हुआ। तीन गवाहों की हत्या तक हुई। जान गंवाने वालों में लड़की के परिवार के करीबी दोस्त भी थे। कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिशें हुईं। जांच अधिकारी को बचाव पक्ष के वकीलों ने बार-बार कोर्ट में बुलवाया। एक गवाह को 104 बार बुलाया गया। आसाराम की तरफ से लड़की पर अपमानजनक आरोप लगाए गए। ये तक कहा गया कि मानसिक बीमारी के चलते लड़की की पुरुषों से अकेले मिलने की इच्छा होती है। फिर भी 27 दिन की लगातार जिरह के दौरान पीड़ित लड़की अपने बयान पर कायम रही। उसने 94 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया। आसाराम के वकीलों ने पीड़िता को बालिग साबित करने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन उम्र पर संदेह की कोई जायज वजह नहीं मिली। जांच अधिकारी ने भी 60 दिन तक हर धारा पर ठोस जवाब दिए। 204 पन्नों में बयान दर्ज हुए।

आसाराम का गुनाह
आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली इस शिष्या ने अपने बयान में कहा था, ‘"मुझे दौरे पड़ते थे। गुरुकुल की एक शिक्षिका ने मेरे माता-पिता से कहा कि आसाराम से इलाज कराएं। आसाराम ने मुझे जोधपुर के पास मणाई गांव के फार्म हाउस में लाने को कहा। वहां पहुंचे तो मेरे माता-पिता को बाहर रोक दिया गया। उनसे कहा गया कि आसाराम विशेष तरीके से मेरा अकेले में इलाज करेंगे। इसके बाद मुझे एक कमरे में भेज दिया गया। वहां पर आसाराम पहले से मौजूद था। उसने मेरे साथ अश्लील हरकतें की। साथ ही धमकी दी कि यदि मैं चिल्लाई तो कमरे से बाहर बैठे उसके माता-पिता को मार दिया जाएगा। मुझे ओरल सेक्स करने को कहा गया, लेकिन मैंने मना कर दिया।’’

वजह, जिनके चलते दोष साबित हुआ
जहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी होती है, उसका अपराध ज्यादा गंभीर माना जाता है।
जिसके संरक्षण में नाबालिग रहता है, वही उसका शोषण करे तो और भी संगीन है।


न्यायिक और पुलिस अकादमियों में पढ़ाया जाएगा यह फैसला
2012 में बने पॉक्सो एक्ट और 2013 में "द क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट" प्रभाव में आने के बाद ही आसाराम के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। उसके खिलाफ आईपीसी की 376, 376(2)(f), 376(d) और पॉक्सो एक्ट की 5(f)(g)/6 व 7/8 धाराएं भी इन नए बदलावों के तहत लगी थी। ऐसे में इस केस में जो भी फैसला होगा, वह देश की न्यायिक और पुलिस अकादमियों में पढ़ाया जाएगा।

आसाराम के दो साथी भी दोषी करार
 अासाराम के अलावा उसके सेवादार शिल्पी और शरतचंद्र को भी दोषी करार दिया गया है। इन दोनों ने लड़की को आसाराम तक पहुंचाने में मदद की थी। वे गिरोह बना कर दुष्कर्म करने की धारा 376डी के तहत दोषी साबित हुए।
कोर्ट ने सेवादार शिवा और रसोइया प्रकाश को बरी कर दिया गया।

इसी जेल में बनी थी टाडा कोर्ट
जोधपुर की जेल का जो हॉल कोर्ट रूम बना, उसी हॉल में 31 साल पहले टाडा कोर्ट बनी थी और कठघरे में अकाली नेता गुरचरणसिंह टोहरा खड़े थे।
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दिल्ली पुलिस ने 19 अगस्त 2013 की रात को नाबालिग का मेडिकल कराया और 20 अगस्त 2013 को आसाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने 20 अगस्त 2013 को ही नाबालिग के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए थे। इसके बाद 21 अगस्त 2013 को यह एफआईआर जोधपुर स्थानांतरित कर दी गई थी।

12 जमानत याचिकाएं
इस मामले में न्यायिक हिरासत के तहत साल 2013 से जेल में बंद आसाराम के पक्ष की ओर से 12 जमानत याचिकाएं डाली गई लेकिन सभी अर्जियां विभिन्न अदालतों से खारिज होती गईं। ट्रायल कोर्ट से छह जबकि राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से तीन-तीन जमानत याचिकाएं समय समय पर खारिज कर दी गईं।

 दिग्गज वकील भी रहे फेल
आसाराम को राम जेठमलानी, सुब्रह्मण्यम स्वामी, सलमान खुर्शीद, के. के. मनन, राजु रामचंद्रन, सिद्धार्थ लूथरा, के. एस. तुलसी सहित देश के कई जाने माने वकील भी जमानत दिलाकर जेल से बाहर निकालने में फेल साबित हुए।

सुप्रीम कोर्ट से मिला था तगड़ा झटका
आखिरी बार 30 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने जबर्दस्त फटकार लगाते हुए मेडिकल ग्राउंड पर आधारित जमानत याचिका खारिज कर दी और एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी ठोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के स्वास्थ्य से जुड़े फर्जी दस्तावेज पेश करने के मामले में नई एफआईआर भी दर्ज करने के निर्देश दिए।

एक के बाद एक मरते चले गए गवाह
जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद आसाराम मामले की सुनवाई चल रही थी, वहीं बाहर एक के बाद एक गवाह मारे जा रहे थे और कई हमलों में गम्भीर घायल हो गए। कुछ गवाह तो ऐसे गायब हुए कि अब तक उनका पता नहीं चल सका  है। आसाराम बापू रेप केस के मुख्य गवाह 35 वर्षीय कृपाल सिंह को 10 जुलाई 2015 को शाहजहांपुर में अज्ञात बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी। बरेली में निजी अस्पताल में इलाज के दौरान 11 जुलाई 2015 को उसकी मौत हो गई। कुछ दिन बाद पुलिस ने पुष्पेंद्र को जोधपुर से गिरफ्तार किया और शाहजहांपुर लेकर आई और यहां पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान उसने कृपाल सिंह की हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली।

आसाराम मामले में मुख्य गवाह कृपाल सिंह की मौत तीसरा मामला था। इससे पहले दो गवाहों की भी मौत हो चुकी थी। मामले की सुनवाई के दौरान 9 गवाहों पर जानलेवा हमले भी हुए थे। आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले उनके पूर्व वैद्य अमृत प्रजापति पर कातिलाना हमला किया गया, जिसमें इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। गवाह महेन्द्र सिंह चावला पर भी जानलेवा हमला हुआ और वह गंभीर रूप से घायल हुए। गवाह राहुल के. सच्चान पर जोधपुर कोर्ट परिसर में गवाही देने के दौरान चाकुओं से हमला किया गया। वह गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसका इलाज जोधपुर के अस्पताल में करवाया गया। लेकिन उसके बाद वह कहां गया, पुलिस को अब तक पता नहीं चल पाया है।

साढ़े चार साल से अपने ही घर में जी रहे जेल का जीवन
शाहजहांपुर में पीड़िता के घर के घर सन्नाटा था। घर के बाहर पुलिस तैनात थी। फैसले के मद्देनजर सरगर्मी बढ़ी तो महिला पुलिस भी लगा दी गई। किसी बाहरी को जाने नहीं दिया जा रहा। शक है कि शहर में आसाराम के समर्थक छुपे हो सकते हैं। इस बीच प्रशासन ने पीड़िता के भाई को दो दिन पहले हथियार का लाइसेंस दे दिया। पीड़िता की मां ने बताया कि वो साढ़े चार साल से अपने ही घर में जेल की तरह रह रहे हैं। इस दौरान बेटी ने मोबाइल तक नहीं छुआ। वह काफी तकलीफों से गुजरी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। पीड़िता के परिवार ने बताया कि कि साढ़े चार साल से हमारे परिवार के दिन कैद में गुजर रहे हैं। हम इन सालों के बारे में क्या बताएं। उसकी माँ कहती हैं कि हमारी बेटी तो किसी बाहरी आदमी से बात तक नहीं करती। मैं भी किसी तरह दिनभर के कामों में खुद को उलझाए रखती हूं। पहले की तरह हम घर के बाहर घूम नहीं सकते। 24 घंटे सिक्युरिटी में रहना पड़ता है। आम आदमी की तरह कहीं जा नहीं पाते। अपना ही घर जेल जैसा लगता है। मेरी बेटी ने तो साढ़े चार साल से मोबाइल तक नहीं छुआ। जब बेटी घर से बाहर ही नहीं निकल पाती तो करेगी क्या? उसे बहुत तकलीफ होती है, लेकिन बेटी ने हिम्मत नहीं हारी है।"
वह कहती हैं कि  हम तो जल्द से जल्द चाहते हैं कि इस केस से पीछा छूटे... बस। बेटे को तो आए दिन धमकी मिलती रहती है। हम बाहर होते हैं, तो डर लगा रहता है। लोग कहते हैं कि फैसले के बाद मेरी बेटी अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करेगी... पर मैं कहती हूं कि अपनी जिंदगी में इतना पीछे होने के बाद कोई कैसे आगे बढ़ सकता है। अगर फैसला हमारे पक्ष में भी आ गया तो क्या होगा... हमारे सोचने से कुछ नहीं होता है। ईश्वर साथ है। उसके पिता का कहना है कि पांच साल से आसाराम क्या जेल में है? जेल में तो हम हैं। मेरी बेटी इस घटना की बात करने मात्र से गुस्से में आ जाती है। फैसले को लेकर पूरा परिवार भयभीत और डिप्रेशन में है। बच्ची सो नहीं पाती है, कई मीडिया वाले आ चुके हैं, किसी से बात नहीं की, और क्या बात करें? अदालत से अर्ज करते हैं कि आरोपियों को उम्रकैद की सजा दे, ताकि जिन्हें लोग भगवान माने वे शैतान न बन पाए।

पुलिस छावनी बना पीड़िता का घर
शाहजहांपुर में पीड़िता का घर पुलिस छावनी बना हुआ है, यहीं से पांच-छह किमी दूर बरेली रोड पर आसाराम का आश्रम भी पुलिस से घिरा हुआ है। जोधपुर जैसा है आशंकित शाहजहांपुर भी है।यहां की पुलिस बताती है कि शहर में कई जगह आसाराम के समर्थक छुपे हो सकते हैं। इसलिए उन्होंने पूरे परिवार को सुरक्षा घेरे में ले रखा है।

पिता ने कहा- हमें इंसाफ मिला
फैसले के बाद पीड़ित लड़की के पिता ने कहा कि हमें इंसाफ मिल गया। जिन्होंने हमारी इस लड़ाई में मदद की, उनका शुक्रिया। उम्मीद है कि आसाराम को कठोर दंड मिलेगा। मुझे ये भी उम्मीद है कि चश्मदीदों को भी न्याय मिलेगा।
 

आसाराम के लिए जेल भी आश्रम जैसा
 पीड़ित परिवार और गवाह पांच साल से दहशत में है। आसाराम के खिलाफ कई मामलों में अब तक 9 गवाहों पर हमले हो चुके हैं, लेकिन आसाराम खुद जेल में सुरक्षित, बिंदास और स्वस्थ है। जेल का एक पुराना वीडियो है जिसमें आसाराम गाते और तालियां बजाते हुए दिखता है। जबकि, उसने त्रिनाड़ीशूल बीमारी का बहाना बना कर जमानत लेने की नाकाम कोशिश की थी। उसका खाना आश्रम से आता है। कैदियों को प्रसाद में देने के लिए उसके पास टॉफियां और ड्राइफ्रूट भी उपलब्ध है। इस केस का आरोपी प्रकाश फरवरी 14 में जमानत होने के बावजूद बाहर नहीं आया, हर वक्त उसकी सेवा में लगा रहता है। जेल में उसका समानांतर सिक्युरिटी सिस्टम चलता था। पहले दो साल तक तो समर्थक शहर में उत्पात मचाकर धारा 151 में गिरफ्तार होकर जेल पहुंच जाते थे और आसाराम से बदतमीजी करने वालों की पिटाई करते थे। यह बात पुलिस को पता चली तो समर्थकों को जेल भेजना बंद कर दिया। जेल डीआईजी विक्रमसिंह बताते हैं कि सुरक्षा के कारणों से आसाराम को दूसरे कैदियों से अलग रखा है, तीन साल पहले ऐसी घटनाएं होती थी।


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