सनातन संस्कृति की इस पीढ़ी पर दया भी आती है 
संजय तिवारी 
इस बार दशहरा मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत गंभीर चिंता लेकर आया। भारत संस्कृति न्यास की अवधारणा के लिए जिस चिंता को मैंने सार्वजनिक किया वह चिंता इतने घनघोर तरीके से इतनी जल्दी सामने आएगी , कल्पना नहीं थी। मै सोच रहा था कि सनातन संस्कृति की नयी पीढ़ी को भ्रमित करने में मैकाले को अभी बहुत समय लगेगा। लेकिन यह मेरी भूल थी। इसका प्रमाण मिला जब महानवमी के दिन आभासी दुनिया के हिन्दू समुदाय की भारी भीड़ को राम के जन्मदिन की बधाइयां बाँटते देखा। सोशल मीडिया में शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि को जिस तरह भगवान् राम के जन्मदिन की शक्ल दी जा रही थी , मैं उसी अनुपात में चिंतित भी हो रहा था और अपनी नेतृत्व करने वाली जमात पर गुस्सा भी आ रहा था। विज्ञानं और सम्प्रेषण के इस कथित प्रगतिशील युग में आखिर हमने कौन सा ज्ञान पढ़ा दिया अपनी नयी पीढ़ी को ?
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सनातन परंपरा की समझ तो बहुत दूर की बात दिख रही है , ये तो हिन्दू भी ठीक से नहीं दिखते। हिदुत्व को धर्म की संज्ञा भी देते है और हिंदुत्व के नायक के बारे में इतना अल्पज्ञान ? क्या दर्शाता है यह ?कौन सी शिक्षा पाकर ये बड़े हो रहे है ?हमारी शिक्षण संस्थाएं क्या ज्ञान बाँट रही हैं ? राम नवमी और महा नवमी का अंतर नहीं जानती यह पीढ़ी ?शारदीय और वासंतिक नवरात्र को नहीं समझती यह पीढ़ी ?और समाज चुप है? संस्कृति और हिंदुत्व का ढिंढोरा पीट पीट कर बड़े बड़े पद हथिया चुके कथित महाज्ञानी भी आँख बंद किये है ?आखिर कैसा समाज बना रहे हैं हम ? किस सनातनता के गीत गए रहे हैं ?क्या ऐसे ही सनातन को सुरक्षित और संरक्षित रख सकेंगे ?
इस पीढ़ी को कौन बताएगा कि राम (रामचन्द्र), प्राचीन भारत में अवतरित, ईश्वर के अवतार हैं। सनातन संस्कृति में, राम, विष्णु के १० अवतारों में से सातवें हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित, संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में लिखा गया है| उन पर तुलसीदास ने भी भक्ति काव्य श्री रामचरितमानस रचा था। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं। रामचन्द्र हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बडे पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते है। राम ने राक्षस जाति के राजा रावण का वध किया|
राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक की पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्में थे, जिसकी परंपरा प्राण जाए पर वचन ना जाये की थी। पिता दशरथ ने सौतेली माता कैकेयी को वचन दिया था, उसकी 2 इच्छा ( वर) पुरे करने का। कैकेयी ने इन वर के रूप में अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा और राम के लिए 14 वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्शपत्नी का उदहारण पेश करते हुए पति के साथ वन जाना पसंद किया। सौतेला भाई लक्ष्मण ने भी भाई का साथ दिया। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका( चप्पल) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। राम की पत्नी सीता को रावण हरण(चुरा) कर ले गया। राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगो की मदद से सीता को ढूंढा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा दोस्त और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम के आयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्याय प्रिय थे ।बहुत अच्छा शासन् किया इसलिए आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को संभाला। हिन्दू धर्म के कई त्यौंहार, जैसे दशहरा और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं।

नौमी तिथि मधुमास पुनीता, सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता।
मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक बिश्रामा।।

वैज्ञानिक तथा प्लेनिटेरियम सॉफ्टवेयर के अनुसार राम जन्म 10 जनवरी 7,393 ई° पूर्व हुआ था, यह गणना हिन्दू कालगणना से मेल खाता है।किन्तु जिस आधार पर यह गणना की गई है, उन ग्रह नक्षत्रों की वही स्थिति निश्चित समय अंतराल पर दोहराई जाती है और सॉफ्टवेयर द्वारा निकला गया दिनांक सबसे निकट के समय को ही संदर्भित करता है, अतः यह समय इससे बहुत पूर्व का भी हो सकता है क्योंकि हिन्दू काल गणना के अनुसार राम त्रेतायुग में पैदा हुए थे जो 8 लाखवर्ष पूर्व हुआ था।वाल्मीकि पुराण के अनुसार राम जन्म के दिन पाँच ग्रह अपने उच्च स्थान में स्थापित थे, नौमी तिथि चैत्र शुक्लपक्ष तथा पुनर्वसु नक्षत्र था। जिसके अनुसार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था।वाल्मीकि तथा तुलसीदास नें अपने ग्रंथों में लिखा है कि रामजन्म मध्यान्ह में हुआ था। पीवी वर्तक के अनुसार वाल्मीकि रामायण जैसी परिस्थितियाँ राम जन्म के दिन दोपहर 12:25 बजे दृश्य थीं। यह तिथि वासंतिक  नवरात्र की नवमी थी। 

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