नींद में क्यों आते हैं झटके क्या है इलाज
दिन भर का थका-हारा इंसान रात में सोकर आराम पाता है सोकर उसकी दिनभर की थकान उतर जाती है लेकिन कई बीमारियां ऐसी भी हैं जो आपकी नींद की दुश्मन होती हैं। जैसे आपके पास सोने वाले व्यक्ति का खर्राटे लेना आपको बिल्कुल भी पसंद नहीं होता। उसके खर्राटों से आपकी नींद खराब हो जाती है। कई बार लोग नींद में बड़बड़ाते भी हैं जिसकी वजह से पास वाले की नींद खराब हो जाती है। लेकिन ये सब तो वो कारण है जिनसे दूसरों की नींद खराब होती है। एक कारण ऐसा भी है जिससे आपकी नींद भी खराब हो जाती है। सोते समय कई बार हम झटके महसूस करते हैं। गहरी नींद में होते हुए एकदम से आपको झटका लगता है ऐसा लगता है कि आप कहीं गिर गए हो। ये समस्या अक्सर कई लोगों के साथ होती है लेकिन इसके बारें में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं है। तो टेंशन लेने की कोई बात नहीं है यहां हम आपको इन्हीं झटकों के बारें में कुछ आवश्यक जानकारी देने जा रहे हैं। जिनसे आप इन झटकों के बारें में जागरूक हो पाएंगे।
इसलिए आते हैं झटके
जब आप रात को गहरी नींद में सो रहे होते हैं तो अचानक से आपको झटके आने लगते हैं। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब रात में आप सपने देख रहे होते हैं। सपने में कुछ ऐसी गतिविधी भी होती है कि आपको वास्तविकता में झटके आते हैं। कभी-कभी आप जोर से भी चिल्लाने लगते हैं। इस अवस्था को ‘हाइपेनिक जर्क’ कहा जाता है। एक रिसर्च के अनुसार माना जाता है कि दुनिया में 70 प्रतिशत लोग इस स्थिति को महसूस करते हैं।
क्या है हाइपेनिक जर्क
आपके सोने और जागने के बीच का समय हाइपोजेनिक स्टेज कहलाती है। इस अवस्था में आप समझ नहीं पाते हैं कि आप जाग रहे हैं या सो रहे हैं। ये दिमाग का एक रिएक्शन है, जिसमें कभी-कभी दिमाग की नसों में संकुचन हो जाता है और आप संभल भी नहीं पाते हैं। इस वजह से कभी-कभी आप बिस्तर से नीचे भी गिर जाते हैं तो कभी जोर-जोर से चिल्ला उठते हैं।
क्या है कारण
हाइपेनिक जर्क का मुख्य कारण आज के दौर में चिंता और अवसाद है। भागदौड़ भरे इस जमाने में हम दिमाग को आराम देने की बजाय देर रात तक काम करते रहते हैं, टीवी देखते रहते हैं। इस कारण दिमाग सही तरीके से आराम नहीं कर पाता। कभी-कभी ये जेनेटिक डिसऑर्डर भी हो सकता है। इसके अलावा दिमाग का वह हिस्सा जो बॉडी मूवमेंट के लिए उत्तरदायी होता है उसमें घाव होने पर भी इस तरह की समस्या आती है। इन घावों की वजह से भी नींद में दिक्कत आती है। अल्कोहल का अत्यधिक सेवन भी इसका कारण हो सकता है
बचने के उपाय
नींद हर व्यक्ति के लिए जरूरी होती है अगर हमारी नींद सहीं ढंग से पूरी न हो तो पूरा दिन ही बेकार जाता है। लेकिन हाइपेनिक जर्क का कोई इलाज नहीं है। हालांकि इससे बचने के लिए दिमाग की गतिविधियों को कम करके इसमें कमी लाई जा सकती हैं। इसके अलावा सोते समय एक्सरसाइज तथा कैफीन का कम सेवन करने से इसका बेहतर इलाज हो सकता है। इसके अलावा अल्कोहल का सेवन करने से बचें।
कान की बीमारियों को दूर
भगाएंगे घरेलू उपाय
क ान के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में संक्रमण होना आम बात है। खास तौर पर तैराकों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। कान में फुंसी निकलने, पानी भरने या किसी प्रकार की चोट लगने की वजह से दर्द होने लगता है। बच्चों के लिए कान का दर्द अधिक पीड़ा भरा होता है। लगातार जुकाम रहने से भी कान का दर्द हो जाता है। ऐसे में कान के दर्द से निजात पाने के कुछ घरेलू उपाय।
ठ्ठ तुलसी के पत्तों का रस निकाल लें। कान में दर्द या मवाद होने पर रस को गर्म करके कुछ दिन तक लगातार डालने से आराम मिलता है।
ठ्ठ लगभग 10 मिली सरसों के तेल में 3 ग्राम हींग डाल कर गर्म कर लें। इस तेल की 1-1 बूंद कान में डालने से कफ के कारण पैदा हुआ कान का दर्द ठीक हो जाता है।
ठ्ठ कान में दर्द होने पर गेंदे के फूल की पंखुडिय़ों का रस निकालकर कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
ठ्ठ तिल के तेल में लहसुन की कली डालकर गर्म करें, जब लहसुन जल जाए तो यह तेल छानकर शीशी में भर लें। इस तेल की कुछ बूंदें कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।
ठ्ठ अलसी के तेल को गुनगुना करके कान में 1-2 बूंद डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
ठ्ठ 20 ग्राम शुद्ध घी में 20 ग्राम कपूर डालकर गर्म कर लें। अच्छी तरह पकने के बाद ठंडा करके शीशी में भरकर रख लें। इसकी कुछ बूंद कान में डालने से दर्द में आराम मिलता है।
ठ्ठ बच्चों के कान में पस होने पर स्वस्थ स्त्री के दूध की कुछ बूंदें कान में टपका दें। स्त्री के दूध में प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के गुण विद्यमान होते हैं। ये उपकारी उपचार है।
ठ्ठ कान में पस होने पर प्याज का रस लाभप्रद उपाय है। प्याज का रस गरम करके कान में 2-4 बूंदे डालें। दिन में 3 बार करें।
ठ्ठ अजवाईन का तेल और तिल का तेल 1:3 में मिक्स करें। इसे मामूली गरम करके कान में 2-4 बूंदे टपका दें। कान का दर्द कुछ ही देर में ठीक हो जाएगा।
ठ्ठ 5 ग्राम मैथी के बीज एक बड़ा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। छानकर शीशी में भर लें। 2 बूंद दवा और 2 बूंद दूध कान में टपका दें। इसे कान की पस का उम्दा इलाज माना गया है।
ठ्ठ तुलसी की कुछ पत्तियां और लहसुन की एक कली पीसकर पेस्ट बना लें। इसे गरम करें। कान में इस मिश्रण का रस 2-3 बूंद टपकाएं। कान में डालते समय रस गुनगुना होना चाहिये। कान दर्द का तत्काल लाभप्रद उपचार है।
ठ्ठ मूली कान दर्द में हितकारी है। एक मूली के बारीक टुकड़े कर लें। सरसों के तेल में पकाएं। छानकर शीशी में भर लें। कान दर्द में इसकी 2-4 बूंदे टपकाने से आराम मिल जाता है।
ठ्ठ गरम पानी में सूती कपड़ा भिगोकर निचोडक़र 3-4 तहें बनाकर कान पर सेक के लिये रखें। इससे कान दर्द में जल्द राहत मिलती है।
कानों को स्वस्थ रखने के टिप्स
ठ्ठ अपने कानों को अत्यधिक सावधानी से साफ करें। कान में कोई नुकीली चीज न डालें। इससे ईयर कनैल या ईयरड्रम क्षतिग्रत हो सकता है।
ठ्ठ ईयर वैक्स स्वयं ही कान की सफाई करता है। अगर यह अधिक मात्रा में एकत्र हो जाए और सुनने में दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।
ठ्ठ कान के संक्रमण से बचने के लिए गले और नाक के संक्रमण को गंभीरता से लें और तुरंत इलाज कराएं।
ठ्ठ कई बीमारियां भी सुनने की क्षमता को प्रभावित करती है, इसलिए अगर कोई ऐसा लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ठ्ठ कई दवाएं भी सुनने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। अगर कानों में घंटी बजे या दूसरी आवाजें आएं तो इसे गंभीरता से लें।
ठ्ठ अत्यधिक तेज आवाज में संगीत न सुनें।
ठ्ठ बारिश में भी कई बार नमी के कारण कान की नली में संक्रमण हो जाता है, इससे बचने के लिए कान को सूखा रखें।
ठ्ठ कान का मैल साफ करने के लिए नुकीली चीजों या ईयर बड का उपयोग न करें।
ठ्ठ नहाने के तुरंत बाद कानों को अच्छी तरह साफ करके सुखाना चाहिए।
नाखून पर बने इन आधे चांद का मतलब
आ पके हाथों में कई राज छुपे होते हैं। हाथ की लकीरों को देखकर आपका भविष्य बताया जा सकता है, आपकी उंगलियों को देखकर आपके व्यक्तित्व के बारे में बताया जा सकता है लेकिन क्या आपने कभी ध्यान से अपने नाखूनों को देखा है? आपके नाखून के निचले हिस्से को ध्यान से देखिए। नाखून के निचले हिस्से पर एक निशान होता है जो आधे चांद जैसा होता है, ये सफेद रंग का होता है। क्या आपने कभी सोचा कि ये आपके नाखून में क्यों पाया जाता है?
ये सफेद रंग का निशान आपके स्वास्थ्य का राज खोलता है। इसे लैटिन भाषा में ‘लूनाल’ कहा जाता है। हिंदी में इसे छोटा चांद कहते है। चीन के एक परंपरागत स्वास्थ्य समुदाय का मानना है कि ये किसी के स्वास्थ्य को मापने का बैरोमीटर होता है। ‘लूनाल’ की स्थिति आपके स्वास्थ्य का सूचक होती है। जब आपका स्वास्थ्य सही नहीं होता तो ये लगभग नाखून से गायब हो जाते हैं। स्वास्थ्य सही होने के साथ ही ये निशान वापस अपनी पुरानी अवस्था में लौट आते हैं।
सामान्य लूनाल
अगर आपकी 10 उंगलियों के नाखूनो में से 8 नाखूनों में लूनाल पाया जाता है तो आपका स्वास्थ्य बहुत बेहतर है। फिर आपको फिक्र करने की जरूरत नहीं।
लूनाल का कम होना
अगर आपकी उंगलियां के नाखूनों में से लूनाल लगातार गायब होते जा रहे हैं और बस अंगूठे पर लूनाल बचे हुए हैं। तो आपको अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचना चाहिए। चीनी स्वास्थ्य समुदाय के अनुसार ये तब गायब होते हैं जब आप बीमार पडऩे वाले होते हैं।
और भी हैं कई कारण
एक ओर जहां चीनी स्वास्थ्य समुदाय लूनाल के कम होने पर स्वास्थ्य के प्रति सजग करता है वहीं दूसरी ओर मेडिकल एक्सपट्र्स का मानना है कि लूनाल आपके शरीर से जुड़े कई रोगों और बातों का खुलासा करते हैं। इन रोगों के साथ-साथ ये आपके शरीर में आइरन की कमी, थायराइड के बारे में भी आगाह करते हैं।