भारत का इतिहास पुराना सदियाँ तारी तारी हैं
जीवन को जीवन देने की क्षमता इनमे सारी है,
भारत की बेटी है तो वह निश्चित दुर्गा ही होगी
सृष्टि समझती सच में जिसको वह भारत की नारी है।



बिंदी पायल ईंगुर सिंदूर है इसके श्रृंगार जहा ,
हाथो की मेहदी पर जिसने लिखे बहुत बहार जहा
कुमकुम रोली चन्दन जैसा जो महके हर क्यारी है ,
समय पड़ा तो कहना होगा सब उसके आभारी हैं।
देश की खातिर जब बलिदानी जथ्थे लेकर चलती है।
सीमाओ की हर हलचल में उसकी सासें पलती हैं,
शीश पति का या भाई का या बेटे का कट जाये
पर माता का शीश झुके न , नहीं कभी वह हारी है।
छाती में जिसके है दुधौला वाही रखा अंगार भी है ,
.मन में जिसके ममता जीतनी उतना ही श्रृंगार भी है ,
लज्जा है और है लक्ष्मी पर रणचंडी बन जाती है
देश पुकारे जब जब उसको अरिसेना पर भारी है।
बेटी है , कोमल है लेकिन कौशल अद्भुत रखती है ,
समय पुकारे जब भी जैसे उसी भाव में दिखती है ,
सुन्दर है सुकुमार बहुत पर रणकौशल दिखलाती है,
आँगन की गौरैया भी है ,समर काल की वारि है।


संजय शांडिल्य
अध्यक्ष
भारत संस्कृति न्यास नयी दिल्ली

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