यूरेका : भारत का प्राचीनतम चोरिका बैंक
संजय तिवारी
दुनिया का संभवतः यह प्राचीनतम बैंक है। शायद सृष्टि के साथ ही शुरू हुआ होगा। ऐसा बैंक जिसमे सोना ,चांदी , हीरे मोती , जवाहरात , और रुपये , पैसे से लेकर दूध , दही , आचार , घी से लगायत वह हर वास्तु जमा होती रहती है जिसकी जरूरत कभी भी घर की इज्जत बचाने के लिए पड़ सकती है। जो लोग गाँव से सम्बन्ध रखते होंगे उनको बड़की माई या ईया के लकड़ी वाले संदूक की याद जरूर होगी। जब कोई मेहमान घर में आता था तब इसी संदूक से खाने की विशिष्ट वस्तुओ के आलावा उसे उपहार में देने वाली वस्तुए भी निकला कराती थी।
गाव में जब तक बड़े संयुक्त सामूहिक परिवारों का अस्तित्व था तब तक इस बड़की माई या ईया का भी अस्तित्व था और उनके संदूक रुपी चोरिका बैंक का भी। जब एकल परिवार बनने लगे तब चोरिका बैंक की कमान सीधे गृहिणी के हाथ आ गयी। इस बैंक की सबसे बड़ी विशेषता तो यह होता है कि घर का स्वामी जो भी सामग्री या धन गृहणी को देता है उसका बिलकुल सटीक हिसाब उसे तत्काल मिल जाता है फिर भी उसी में से बचाकर संचालित होने वाले चोरिका बैंक में बिना हिसाब के ही सम्बंधित राशि जमा करती है। यह बैंक भारत के प्रायः सभी घरो में संचालित होता है जिसकी सीइओ हर पत्नी हुआ करती है। स्वनिर्मित बैंक की स्वनियुक्त सीईओ जब भी परिवार पर कोई आर्थिक संकट आता है तो स्वेक्षा से अनुदान या ऋण दे दिया करती है। कई बार इस ऋण पर गृहस्वामी को भारी ब्याज भी देने की नौबत आती है और कई बार यह रकम न लौटाने वाले अनुदान के रूप में भी प्राप्त हो जाती है।
कल जब से मोदी जी ने बड़े नोटों के बंद होने की घोषणा की है , हर घर की चोरिका बैंक की सीईओ की नींद हराम हो गयी है। कारण यह की इस बैंक की साड़ी रकम 500 या हज़ार के नोटों के रूप में ही है। कई सीईओ ऐसी है जिनके पास का डिपाजिट बहुत भारी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी इस बैंक के बारे में पता रहा होगा तभी तो उन्होंने घोषणा कर दी की महिलाये परेशां न हो , ढाई लाख तक जमा करने पर उनसे कोई कुछ नहीं कहेगा। फिर भी देश में लाखो महिलाये परेशान है क्योकि उनके पास डिपाजिट बहुत ज्यादा है।