वासयति कर्मणा नियोजयति इति वासना

वासयति कर्मणा नियोजयति इति वासना

संजय तिवारी 
यह भी ज्ञान की अवस्था है । जब मनुष्य अपने अस्तित्व से ब्रह्म को जोड़ पाता है। वस्तुतः तीन शरीर के माध्यम से जीव की यात्रा पूर्ण होती है। 
प्रथम स्थूल शरीर
दूसरा सूक्ष्म शरीर
तीसरा कारण शरीर
स्थूल शरीर वह है जिसमे जीव जगत में एक समय सीमा तक रहता है। इसी शरीर को लेकर वह जन्म लेता है और फिर मृत्यु को प्राप्त होता है।
सुखम शरीर वह है जिसमे कामनाये और वासनाएं जन्म लेती हैं। इन्ही  कामनाओ और वासनाओ को प्राप्त करने के लिए जीव बार बार स्थूल शरीर मे प्रवेश करता है, यानी जन्म लेता है। जो कार्य कामना एक शरीर की आयु भर में पूरी नही हो पाती उसकी पूर्ति के लिए उसे पुनः दूसरे स्थूल शरीर मे आना पड़ता है।
जीव की इस यात्रा को थोड़ा समझ लेना आवश्यक है। इसके लिए वासना को समझना होगा। वासना का अर्थ है कि जो स्थूल शरीर के भीतर कुछ बसा सके।
हमारे शास्त्र कहते हैं- वासयति कर्मणा नियोजयति इति वासना। 
तातपर्य यह कि शरीर को किन कर्मो में लगाना है उसका नियोजन यह वासना ही करती है। एक प्रकार से यह स्थूल शरीर का इस्तेमाल करती है। इसको अपने लिए एक स्थूल शरीर चाहिए। एक शरीर समाप्त होने पर यह अपने कार्य पूरे करने के लिए उस जीव को दूसरे शरीर मे लेकर आती है। इसी में मोह, माया आदि प्रवृत्तियों को प्रश्रय मिलता है । जीव को यह मुक्त नही होने देती।
तीसरा है कारण शरीर। कारण शरीर को किसी भूत या भविष्य से कोई संबंध नही होता। यह शाश्वत भाव मे खुद के अस्तित्व से परिचित होता है। इसे जीव की उस आत्मिक प्रतिष्ठा का भान होता है जहां से यह आया है फिर वही जाना है।कारण शरीर मे आत्मदर्शन होता है। आत्मा त्रिकालदर्शी हो जाती है। यहाँ न कुछ भूत है और न ही भविष्य। सब वर्तमान है। यह आत्म तत्व ही कारण शरीर है। यही देहि है। हर जन्म में देह बदल जाती लेकिन देहि वही रहती है। इस देहि की आयु वही है जो परमतत्व यानी परमात्मा की है। यह कारण शरीर परमात्मा ही है। इसीलिए आत्मा को परमात्मा से मिलने की बात होती है। यही ईश तत्व है।
इसीलिए जब अर्जुन को यह भ्रम होता है कि कृष्ण तो मेरी ही उम्र के हैं, फिर यह बात कैसे कह रहे हैं कि इस ज्ञान को अबसे पहले मैंने विवस्वान को दिया। विवस्वान ने इसे मनु को दिया। मनु ने इक्ष्वाकु को दिया। अर्जुन के इसी भ्रम को दूर करने के लिए भगवान को शरीर की वास्तविकता बतानी पड़ी- स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीर।

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