फाग के राग में सुपरहिट हुई फिल्मे
फगुआ, यानी फाग के राग में रचे गीतों ने भारतीय फिल्म जगत को खूब लुभाया है। फागुनी सौंदर्य के साथ ही रंग भरे मौसम ने नायक नायिकाओ को इतना नचाया कि सारा जग ही नाच उठा। जिस होली के रंग से आज तक कोई रसिक बच नहीं सका ,भला उसी होली के रंगीन मिजाज से बॉलिवुड कैसे दूर रह सकता है। मस्ती से सराबोर इस आलम के कई रंग हिंदी फिल्मों में दिखाए गए हैं। शरारत , छेड़छाड़ , प्यार , दोस्ती और यहां तक कि विरह का दर्द भी होली के रंगों में दिखाया गया है। फिल्मों में होली के गाने तो अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। इस बार नज़र डालते हैं अपनी फ़िल्मी दुनिया के उसी होलियाना मिज़ाज़ पर -
होली आई रे कन्हाई.. मदर इंडिया (1954)- मदर इंडिया का सुपरहिट गीत ‘होली आई रे कन्हाई’। इस मधुर गीत का जादू आज भी बरकरार है।
कोहिनूर (1960) तन रंग लो जी आज मन भर लो
अरे जा रे हट नटखट- नवरंग (1959) संध्या का नृत्य आज भी देखने में उतना ही ताजगी से भरा हुआ लगता है।
आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली , खेलेंगे हम होली.. कटी पतंग (1971) ‘आज ना छोड़ेंगे’ गाने को भला कौन भुला सकता है! समाज के निशाने पर आई एक विधवा को होली के रंगों का महत्व और खुशियों के पाठ पढ़ाते राजेश खन्ना।
नदिया से दरिया .. नमक हराम (1973) इस गाने में होली की मस्ती के साथ भांग का नशा भी जुड़ा है।
आली रे आली रे होली, जख्मी दिलों का बदला चुकाने आए हैं दीवाने- जख्मी(1974)
जय जय शिव शंकर कांटा लगे ना कंकर जो प्याला तेरे नाम का पिया- आपकी कसम(1974)
होली के दिल दिल मिल जाते है , रंगों में रंग मिल जाते है.. शोले (1975)– जब गब्बर पूछता है, ‘कब है होली’, रामगढ़ के लोग रंगों के त्योहार में नाचते-झूमते घरों से बाहर निकलकर गाते हैं, ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं।’
नीला पीला हरा गुलाबी, आपबीती(1976)
रंग बरसे भीगे चुनर वाली , रंग बरसे,… सिलसिला (1981)- नशे की आड़ में ही सही, दूसरे की पत्नी को खुलेआम छेड़ने का माद्दा सिर्फ अमिताभ बच्चन में ही है! आज तक होली के मौके पर छेड़छाड़ और मस्ती का माहौल बनाने में हरिवंशराय बच्चन के लिखे इस गीत का रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाया है।
अंग से अंग लगाना सजन .. डर (1993) इस गाने के जरिये सन्नी देओल फिल्म की नायिका जूही चावला को इशारों में यह बताते हैं कि बिना रंग फेंके भी किस तरह एक-दूसरे को रंगों से रंगा जा सकता है!
सोनी सोनी अंखियोंवाली.. मोहब्बतें (2000) गुरुकुल के छात्रों के दिल में प्यार की ज्योति जलाने के लिए शाहरुख खान की कोशिशें रंग लाती हैं, जब गुरुकुल के छात्र प्यार की भाषा को समझने लगते हैं। नारायण शंकर (अमिताभ बच्चन) के अनुशासन पर प्यार हावी होने लगता है।
होली खेले रघुबीरा.. बागबान (2003)- सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जब ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के साथ फिल्म के इस गीत में थिरके थे, तब ऐसा लगा था कि सच में होली के त्योहार में हर दिल को जवान रखने की क्षमता है।
डू मी अ फेवर, लेट्स प्ले होली.. वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम (2005) अनु मलिक की आवाज ने इस गाने में एक अलग ही मस्ती भर दी थी। दुर्भाग्यवश इस गाने की शूटिंग के दौरान प्रियंका घायल हो गई थीं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
ये जवानी है दिखानी (2013) बालम पिचकारी जो तूने मुझे मारी तो बोले रे ज़माना ख़राबी हो गयी मेरे अंग राजा जो तेरे रंग लगा तो सीधी-सादी छोरी शराबी हो गयी.
फगुआ, यानी फाग के राग में रचे गीतों ने भारतीय फिल्म जगत को खूब लुभाया है। फागुनी सौंदर्य के साथ ही रंग भरे मौसम ने नायक नायिकाओ को इतना नचाया कि सारा जग ही नाच उठा। जिस होली के रंग से आज तक कोई रसिक बच नहीं सका ,भला उसी होली के रंगीन मिजाज से बॉलिवुड कैसे दूर रह सकता है। मस्ती से सराबोर इस आलम के कई रंग हिंदी फिल्मों में दिखाए गए हैं। शरारत , छेड़छाड़ , प्यार , दोस्ती और यहां तक कि विरह का दर्द भी होली के रंगों में दिखाया गया है। फिल्मों में होली के गाने तो अपना एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। इस बार नज़र डालते हैं अपनी फ़िल्मी दुनिया के उसी होलियाना मिज़ाज़ पर -
होली आई रे कन्हाई.. मदर इंडिया (1954)- मदर इंडिया का सुपरहिट गीत ‘होली आई रे कन्हाई’। इस मधुर गीत का जादू आज भी बरकरार है।
कोहिनूर (1960) तन रंग लो जी आज मन भर लो
अरे जा रे हट नटखट- नवरंग (1959) संध्या का नृत्य आज भी देखने में उतना ही ताजगी से भरा हुआ लगता है।
आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली , खेलेंगे हम होली.. कटी पतंग (1971) ‘आज ना छोड़ेंगे’ गाने को भला कौन भुला सकता है! समाज के निशाने पर आई एक विधवा को होली के रंगों का महत्व और खुशियों के पाठ पढ़ाते राजेश खन्ना।
नदिया से दरिया .. नमक हराम (1973) इस गाने में होली की मस्ती के साथ भांग का नशा भी जुड़ा है।
आली रे आली रे होली, जख्मी दिलों का बदला चुकाने आए हैं दीवाने- जख्मी(1974)
जय जय शिव शंकर कांटा लगे ना कंकर जो प्याला तेरे नाम का पिया- आपकी कसम(1974)
होली के दिल दिल मिल जाते है , रंगों में रंग मिल जाते है.. शोले (1975)– जब गब्बर पूछता है, ‘कब है होली’, रामगढ़ के लोग रंगों के त्योहार में नाचते-झूमते घरों से बाहर निकलकर गाते हैं, ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं, रंगों में रंग मिल जाते हैं।’
नीला पीला हरा गुलाबी, आपबीती(1976)
रंग बरसे भीगे चुनर वाली , रंग बरसे,… सिलसिला (1981)- नशे की आड़ में ही सही, दूसरे की पत्नी को खुलेआम छेड़ने का माद्दा सिर्फ अमिताभ बच्चन में ही है! आज तक होली के मौके पर छेड़छाड़ और मस्ती का माहौल बनाने में हरिवंशराय बच्चन के लिखे इस गीत का रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाया है।
अंग से अंग लगाना सजन .. डर (1993) इस गाने के जरिये सन्नी देओल फिल्म की नायिका जूही चावला को इशारों में यह बताते हैं कि बिना रंग फेंके भी किस तरह एक-दूसरे को रंगों से रंगा जा सकता है!
सोनी सोनी अंखियोंवाली.. मोहब्बतें (2000) गुरुकुल के छात्रों के दिल में प्यार की ज्योति जलाने के लिए शाहरुख खान की कोशिशें रंग लाती हैं, जब गुरुकुल के छात्र प्यार की भाषा को समझने लगते हैं। नारायण शंकर (अमिताभ बच्चन) के अनुशासन पर प्यार हावी होने लगता है।
होली खेले रघुबीरा.. बागबान (2003)- सदी के महानायक अमिताभ बच्चन जब ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी के साथ फिल्म के इस गीत में थिरके थे, तब ऐसा लगा था कि सच में होली के त्योहार में हर दिल को जवान रखने की क्षमता है।
डू मी अ फेवर, लेट्स प्ले होली.. वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम (2005) अनु मलिक की आवाज ने इस गाने में एक अलग ही मस्ती भर दी थी। दुर्भाग्यवश इस गाने की शूटिंग के दौरान प्रियंका घायल हो गई थीं और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था।
ये जवानी है दिखानी (2013) बालम पिचकारी जो तूने मुझे मारी तो बोले रे ज़माना ख़राबी हो गयी मेरे अंग राजा जो तेरे रंग लगा तो सीधी-सादी छोरी शराबी हो गयी.